5. औसत के सूत्र

दो या दो से अधिक सजातीय पदों का ‘औसत’ वह संख्या है, जो दिए गए पदों के योगफल को उन पदों की संख्या से भाग देने पर प्राप्त होती है। इसे ‘मध्यमान’ भी कहा जाता है।

औसत = सभी राशियों का योग/राशियों की संख्या

सभी राशियों का योग = औसत × राशियों की संख्या

जैसे: x1 , x2 , x3 , . . . . . . xn पदों का औसत = x1 + x2 + x3 + . . . . . . xn/n

औसत के सूत्र :

  • प्रथम n प्राकृतिक संख्याओं का औसत = (n+1)/2
  • n तक की प्राकृत संख्याओं का औसत = (n+1)/2
  • लगातार n तक की पूर्ण संख्याओं का औसत = n/2
  • n तक की सम संख्याओं का औसत = (n+2)/2
  • लगातार n तक की प्राकृत विषम संख्याओं का औसत = (n+1)/2
  • n तक विषम संख्याओं का औसत = n
  • लगातार n तक सम संख्याओं का औसत = n+1
  • प्रथम n प्राकृत संख्याओं के वर्गों का औसत = (n+1) (2n+1)/6
  • प्रथम n प्राकृतिक संख्याओं के घनों का औसत = n(n+1)² / 4
  • औसत = (पहली संख्या+अंतिम संख्या) / 2
  • नए व्यक्ति की आयु = (नया औसत × नयी संख्या) – (पुराना औसत × पुरानी संख्या)
  • G1 तथा G2 राशियों का औसत क्रमशः A1 तथा A2 हो तो (G1+G2) राशियों का औसत = (G1×A1) + (G2×A2) / (G1 + G2) होगा।
  • G1 तथा G2 राशियों का औसत क्रमशः A1 तथा A2 हो, तो (G1 – G2) राशियों का औसत = (G1×A1) – (G2×A2) / (G1 – G2) होगा।

औसत के गुण :

  1. यदि सभी संख्याओं में ‘a’ की वृद्धि होती है , तो उनके औसत में भी ‘a’ की वृद्धि होगी।
  2. यदि सभी संख्याओं में ‘a’ की कमी होती है , तो उनके औसत में भी ‘a’ की कमी होगी।
  3. यदि सभी संख्याओं में ‘a’ की गुणा की जाती है , तो उनके औसत में भी ‘a’ की गुणा होगी।
  4. यदि सभी संख्याओं को ‘a’ से भाग दिया जाता है , तो उनके औसत में भी ‘a’ से भाग होगा।

अधिक जानकारी के लिए औसत की पोस्ट पढ़े।

6. बट्टा के सूत्र

जब सामान्यतः कोई व्यापारी अपने ग्राहक को कोई समान बेचता हैं, तो अंकित मूल्य पर कुछ छूट देता हैं, इसी छूट को बट्टा कहते हैं बट्टे का सामान्य अर्थ छूट से हैं।

Note: बट्टा सदैव अंकित मूल्य पर दिया जाता हैं।

बट्टा के सूत्र :

विक्रय मूल्य = अंकित मूल्य – बट्टा

यदि किसी वस्तु को बेचने पर r% का बट्टा दिया जा रहा हो, तो

वस्तु का विक्रय मूल्य = अंकित मूल्य × (100-r)/100

बट्टा के महत्वपूर्ण तथ्य :

1. यदि किसी वस्तु के अंकित मूल्य पर क्रमशः r% व R% का बट्टा दिया जा रहा हो, तो

वस्तु का विक्रय मूल्य = अंकित मूल्य × (100 – r) / 100 × (100 – R) / 100)

2. यदि दो बट्टा श्रेणी r% तथा R% हो, तो

इनके समतुल्य बट्टा (r + R – rR/100)% होगा।

3. यदि किसी वस्तु पर r% छूट देकर भी R% का लाभ प्राप्त करना हो, तो

वस्तु का अंकित मूल्य = क्रय मूल्य × [(100 + R) / (100 – r )]

4. यदि किसी वस्तु पर r% छूट देने के उपरान्त भी R% का लाभ प्राप्त करना हो, तो

वस्तु का अंकित मूल्य [(r + R / 100 – r) × 100] बढ़ाकर अंकित किया जाएगा।

5. अंकित मूल्य = विक्रय मूल्य × 100 / (100% – %) × 100 / (100% – %) 100 / (100% – % )……….

6. विक्रय मूल्य = अंकित मूल्य × (100% – %)/100 × (100% – %)/100 × (100% – %)/100× ……….

अधिक जानकारी के लिए बट्टा की पोस्ट पढ़े।

7. प्रतिशत के सूत्र

प्रतिशत का अर्थ (प्रति + शत) प्रत्येक सौ पर या 100 में से x प्रतिशत का अर्थ 100 में से x

x% = x/100

भिन्न x/y को प्रतिशत में बदलने के लिए भिन्न को 100 से गुणा करते है।

किसी वस्तु का x/y भाग = उस वस्तु का (x/y) × 100

प्रतिशत के महत्वपूर्ण सूत्र :

  • x का y प्रतिशत = x × y 100
  • x, y का कितना प्रतिशत है = x/y × 100
  • y, x से कितना प्रतिशत अधिक है = (y – x)/x × 100
  • y, x से कितना प्रतिशत कम है = (x – y)/x × 100
  • प्रतिशत वृद्धि = वृद्धि/प्रारंभिक मान × 100
  • प्रतिशत कमी = कमी/प्रारंभिक मान × 100
  • x को R % बढ़ाने पर, x(1 + R/100) प्राप्त होगा
  • x को R % घटाने पर, x(1 – R/100) प्राप्त होगा

अन्य महत्वपूर्ण सूत्र :

  • x में y % की वृद्धि होने पर नई संख्या ज्ञात करना = (100 + y)/100 × x
  • यदि x का मान y से R% अधिक है तो y का मान x से R % में कम हैं = R/(100 + R × 100)%
  • यदि x का मान y से R% कम है तो y का मान x से R % में अधिक हैं = R/(100 – R × 100)%
  • किसी वस्तु के मूल्य में R% वृद्धि होने पर भी वस्तु पर कुल खर्च ना बढ़े इसके लिए
  • वस्तु की खपत में R% कमी = R/(100 + R × 100)%
  • किसी वस्तु के मूल्य में R% कमी होने पर भी वस्तु पर कुल खर्च ना घटे इसके लिए
  • वस्तु की खपत में R% वृद्धि = ( R/(100 – R× 100)%
  • यदि A = x × y तो x में m% परिवर्तन एवं y में n% परिवर्तन के कारण A में प्रतिशत परिवर्तन = m + n + mn/100
    जहाँ वृद्धि के लिए + एवं कमी के लिए – चिन्ह का उपयोग किया जाएगा ।

जनसंख्या पर आधारित सूत्र :

माना किसी शहर की जनसंख्या x है तथा प्रतिवर्ष R% की दर से बढ़ती हैं तब

  • n वर्ष बाद जनसंख्या = x[1 + R/100]^n
  • n वर्ष पूर्व जनसंख्या = x [1 + R/100]^n

मशीनों के अवमूल्यन संबंधी :

यदि किसी वस्तु का वर्तमान मूल्य x है तथा इसके अवमूल्यन ( मूल्य कम होना ) की दर R% वार्षिक है, तो

n वर्ष बाद मशीन का मूल्य = p(1 – R/100)^n जहाँ वृद्धि के लिए + एवं कमी के लिए – चिन्ह का उपयोग किया जाएगा।

n वर्ष पूर्व मशीन का मूल्य = p/(1 + R/100)^n

5%1/20
10%1/10
20%1/5
25%1/4
30%3/10
40%2/5
50%1/2
60%3/5
70%7/10
75%3/4
80%4/5
90%9/10
100%1

अधिक जानकारी के लिए प्रतिशत पोस्ट को पढ़े।

8. लाभ-हानि के सूत्र

क्रय मूल्य: जिस मूल्य पर कोई वस्तु खरीदी जाती हैं, उस मूल्य को उस वस्तु का क्रय मूल्य कहते हैं।

विक्रय मूल्य:- जिस मूल्य पर कोई वस्तु बेची जाती हैं, उस मूल्य को उस वस्तु का विक्रय मूल्य कहते हैं।

लाभ: यदि किसी वस्तु का विक्रय मूल्य उसके क्रय मूल्य से अधिक हो, तो उनके अंतर से प्राप्त धनराशि को लाभ कहते हैं।

हानि: यदि किसी वस्तु का विक्रय मूल्य उसके क्रय मूल्य से कम हो,तो उनके अंतर से प्राप्त धनराशि को हानि कहते हैं।

प्रतिशत लाभ या प्रतिशत हानि:- 100 रुपए पर जितना लाभ अथवा हानि होती हैं उसे प्रतिशत लाभ अथवा हानि कहते हैं, लाभ अथवा हानि का प्रतिशत हमेशा क्रय मूल्य पर ही ज्ञात किया जाता हैं।

लाभ और हानि के सूत्र :

लाभ = विक्रय मूल्य – क्रय मूल्य

हानि = क्रय मूल्य – विक्रय मूल्य

विक्रय मूल्य = लाभ + क्रय मूल्य

विक्रय मूल्य = क्रय मूल्य – हानि

क्रय मूल्य = विक्रय मूल्य – लाभ

क्रय मूल्य = हानि + विक्रय मूल्य

लाभ% = (लाभ × 100)/क्रय मूल्य

हानि% = (हानि × 100)/क्रय मूल्य

विक्रय मूल्य = क्रय मूल्य(1 + लाभ/100)

क्रय मूल्य = विक्रय मूल्य / (1 + लाभ/100)

विक्रय मूल्य = क्रय मूल्य(1 – हानि/100)क्रय मूल्य = विक्रय मूल्य/(1 – हानि/100)

अधिक जानकारी के लिए लाभ और हानि जरूर पढ़े।

9. अनुपात समानुपात के सूत्र

अनुपात (Ratio):- समान प्रकार की दो राशियों / वस्तुओं के बीच सम्बन्ध को अनुपात कहते हैं।

दो राशियों का अनुपात एक भिन्न के बराबर होता है , अतः यह प्रदर्शित करता है कि एक राशि दूसरी राशि से कितनी गुनी कम या अधिक है।

माना, एक राशि x तथा दूसरी राशि y है, तब इनके बीच अनुपात = x : y

अनुपात के प्रकार

  • x तथा y के बीच मध्यानुपात = √x. y
  • x तथा y के बीच तृतीयानुपात = y²/x
  • x तथा y का विलोमानुपात = 1/x : 1/y = y : x

दो समान अनुपातों के मिश्रित अनुपात को वर्गानुपात कहते हैं,
जैसे: a : b का वर्गानुपात = a² : b²

किसी अनुपात के वर्गमूल को वर्गमूलानुपाती कहते हैं,
जैसे: a : b का वर्गमूलानुपाती = √a : √b

किसी अनुपात के तृतीय घात को घनानुपाती कहते हैं,
जैसे: a : b का घनानुपाती = a³ : b³

किसी अनुपात के घनमूल को घनमूलानुपाती कहते हैं,
जैसे: a : b का घनमूलानुपाती = ∛a : ∛b

किसी अनुपात के उल्टे को व्युत्क्रमानुपाती कहते हैं,
जैसे: a : b का व्युत्क्रमानुपाती = 1/a : 1/b

जब दो अनुपात परस्पर समान होते हैं , तो वे समानुपाती (Proportional) कहलाते हैं,
जैसे: a : b = c : d हो, तब a, b, c तथा d समानुपाती हैं

विलोमानुपाती (Invertendo) उस अनुपात को कहते हैं , जो स्थान बदल लें,
जैसे: a : b = c : d का विलोमानुपात b : a :: d : c

अर्थात् a/b = c/d या b/a = d/c

अनुपात के कुछ विशेष गुण :

  • अनुपात में पहली संख्या अर्थात् x को पूर्ववर्ती (Antecedent) तथा दूसरी संख्या अर्थात् y को अनुवर्ती (Consequent) कहते हैं
    x : y = x/y
  • अनुपात हमेशा समान इकाई की संख्या के बीच होता है,
    जैसे: रुपया : रुपया, किग्रा : किग्रा, घण्टा : घण्टा, सेकण्ड : सेकण्ड आदि
  • यदि दो अनुपात x : y तथा P : Q दिए गए हैं, तो Px : Qy मिश्रित अनुपात में कहलाएंगे
  • दो संख्याओं a तथा b का मध्य समानुपाती (Mean proportional):- माना मध्य समानुपाती x है, तब a : x :: x : b (सही स्थिति)
    हल:-
    x² = a.b
    ⇒ x = √a.b
    अतः दो संख्याओं a तथा b का मध्य समानुपाती = √a.b होता है
  • यदि a : b :: C : d हो , तो a : c :: b : d एकान्तरानुपात (Altermendo) कहलाता है अर्थात् a/b = c/d या a/c = b/d (एकान्तरानुपात)
  • यदि a : b :: c : d हो, तो (a + b) : b :: (c + d) : d योगानुपात (Componendo) कहलाता है
    अर्थात् a/b = c/d, तब (a + b)b = (c + d)d (योगानुपात)
    या a/b + 1 c/d + 1 ⇒ (a + b)/b = (c + d)/d
  • यदि a : b :: c : d हो , तब ( a – b ) : b :: ( c – d ) : d अन्तरानुपात ( Dividendo ) कहलाता है
    अर्थात् a/b = c/d ⇒ a/b – 1 = c/d – 1
    ⇒ (a – b)/b = (c – d)/d (अन्तरानुपात)
  • योगान्तरानुपात (Componendo and Dividendo) योगानुपात तथा अन्तरानुपात का सम्मिलन है
  • यदि a : b :: c : d हो , तब ( a + b ) : ( a – b ) :: ( c + d ) : ( c – d ) योगान्तरानुपात है
  • दो संख्याओं a तथा b का तृतीय समानुपाती (Third Proportional) – माना दो संख्याओं a तथा b का तृतीय समानुपाती x है, तब a : b = b : x (सही स्थिति)
    हल:- a/b : b/x
    ⇒ b2 = ax
    ∴ x = b²/a
    अतः दो संख्याओं a तथा b का तृतीय समानुपाती b²/a होता है
  • तीन संख्याओं a , b तथा c का चतुर्थ समानुपाती ( Fourth Proportional ) माना a , b तथा c का चतुर्थ समानुपाती x है, तब
    a : b = c : r ( सही स्थिति )
    हल:-
    a/b = c/x
    ⇒ a.x = bc
    ⇒ x bc/a
    अतः तीन संख्याओं a , b तथा c का चतुर्थ समानुपाती = bc/a होता है

अधिक जानकारी के लिए अनुपात समानुपात की पोस्ट पढ़े।

10. साधारण ब्याज के सूत्र

  • ब्याज = (मूलधन × समय × दर)/100
  • मिश्रधन = मूलधन + साधरण ब्याज
  • मिश्रधन = मूलधन × (100 + ब्याज की दर समय)
  • मूलधन = मिश्रधन – साधरण ब्याज
  • मूलधन = साधारण ब्याज × 100 / समय × ब्याज की दर
  • समय = साधरण ब्याज × 100 / मूलधन × ब्याज की दर
  • ब्याज की दर = साधरण ब्याज × 100 / मूलधन × समय
  • मिश्रधन = मूलधन × (100 + समय × दर)

अधिक जानकारी के लिए साधारण ब्याज जरूर पढ़िए

11. चक्रवृद्धि ब्याज के सूत्र

  • चक्रवृद्धि ब्याज = (1 + दर / 100 )^समय – मूलधन
  • चक्रवृद्धि ब्याज = मूलधन [(1 + दर / 100)^समय – 1]
  • चक्रवृद्धि ब्याज = मिश्रधन – मूलधन
  • मिश्रधन की गणना निम्न प्रकार की जाती हैं।
  • मिश्रधन = मूलधन × (1 दर / 100)^समय
  • मिश्रधन = मूलधन + ब्याज

अधिक जानकारी के लिए चक्रवृद्धि ब्याज जरूर पढ़िए।

12. क्षेत्रमिति के सूत्र

त्रिभुज ∆ (Triangle) :

  • समबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल = √3/4 × (भुजा)²
  • समबाहु त्रिभुज को परिमिति = 3 × भुजा
  • समबाहु त्रिभुज के शीर्ष बिंदु से डाले गए लम्ब की लम्बाई = √3/4 × भुजा
  • समद्विबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल = 1/4a√4b² – a²
  • समद्विबाहु त्रिभुज की परिमिति = a + 2b या a + 2c
  • समद्विबाहु त्रिभुज के शीर्ष बिंदु A से डाले गए लम्ब की लंबाई = √(4b² – a²)
  • विषमबाहु त्रिभुज की परिमिति = तीनों भुजाओं का योग = a + b + c
  • त्रिभुज का अर्ध परिमाप S = ½ × (a + b + c)
  • विषमबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल = √s(s – a)(s – b)(s – c)
  • समकोण त्रिभुज का क्षेत्रफल = ½ × आधार × लम्ब
  • समकोण त्रिभुज की परिमिति = लंब + आधार + कर्ण = a + b + c
  • समकोण त्रिभुज का कर्ण = √(लम्ब)² + (आधार)² = √(c² + a²)
  • समकोण त्रिभुज का लम्ब = √(कर्ण)² – (आधार)² = √(b² – a²)
  • समकोण त्रिभुज का आधार = √(कर्ण)² – (लम्ब)² = √b² – c²
  • समद्विबाहु समकोण त्रिभुज का क्षेत्रफल = ¼ (कर्ण)²
  • किसी त्रिभुज की प्रत्येक भुजा को x गुणित करने पर परिमिति x गुणित तथा क्षेत्रफल x^2 गुणित हो जाती हैं।
  • समबाहु त्रिभुज का प्रत्येक कोण 60° होता हैं।
  • समकोण त्रिभुज के तीनों कोणों का योग 180° अर्थात दो समकोण होता हैं।

आयत (Rectangle) :

  • आयत का क्षेत्रफल = लंबाई ×चौड़ाई
  • आयत का विकर्ण =√(लंबाई² + चौड़ाई²)
  • आयत का परिमाप = 2(लम्बाई + चौड़ाई)
  • किसी आयताकार मैदान के अंदर से चारों ओर रास्ता बना हो, तो रास्ते का क्षेत्रफल = 2 × रास्ते की चौड़ाई × [(मैदान की लंबाई + मैदान की चौड़ाई) – (2 × रास्ते की चौड़ाई)]
  • यदि आयताकार मैदान के बाहर चारों ओर रास्ता बना हों, तो रास्ते का क्षेत्रफल = 2 × रास्ते की चौड़ाई × [(मैदान की लम्बाई + मैदान की चौड़ाई) + (2 × रास्ते की चौड़ाई)

वर्ग (Square) :

  • वर्ग का क्षेत्रफल = (एक भुजा)² = a²
  • वर्ग का क्षेत्रफल = (परिमिति)²/16
  • वर्ग का क्षेत्रफल = ½ × (विकर्णो का गुणनफल) = ½ × AC × BD
  • वर्ग की परिमिति = 4 × a
  • वर्ग का विकर्ण = एक भुजा × √2 = a × √2
  • वर्ग का विकर्ण = √2 × वर्ग का क्षेत्रफल
  • वर्ग की परिमिति = विकर्ण × 2√2
  • वर्गाकार क्षेत्र के बाहर चारों ओर रास्ता बना हो तो रास्ते का क्षेत्रफल = 4 × रास्ते की चौड़ाई (वर्गाकार क्षेत्र की एक भुजा + रास्ते की चौड़ाई)
  • वर्गाकार क्षेत्र के अंदर चारों ओर रास्ता बना हो तो रास्ते का क्षेत्रफल = 4 × रास्ते की चौड़ाई (वर्गाकार क्षेत्र की एक भुजा – रास्ते की चौड़ाई)

घन (Cube) :

  • घन का आयतन = a × a × a
  • घन का आयतन = (एक भुजा)³
  • घन की एक भुजा 3√आयतन
  • घन का विकर्ण = √3a सेंटीमीटर।
  • घन का विकर्ण = √3 × एक भुजा
  • घन की एक भुजा = विकर्ण/√3
  • घन का परिमाप = 4 × a × a
  • घन के सम्पूर्ण पृष्ठ का क्षेत्रफल = 6 a² वर्ग सेंटीमीटर।

बेलन (Cylinder) :

  • बेलन का आयतन = πr²h
  • बेलन के वक्र पृष्ठ का क्षेत्रफल = 2πrh
  • बेलन के सम्पूर्ण पृष्ठ का क्षेत्रफल = (2πrh + 2πr²h) वर्ग सेंटीमीटर।
  • दोनों सतहों का क्षेत्रफल = 2πr²
  • खोखले बेलन का आयतन = πh(r²1 – r²2)
  • खोखले बेलन का वक्रप्रष्ठ = 2πh(r1 + r2)
  • खोखले बेलन का सम्पूर्ण पृष्ठ = 2πh(r1 + r2) + 2π (r²1 – r²1)

शंकु (Cone) :

  • शंकु का वक्र पृष्ठ का क्षेत्रफल = πrl
  • शंकु के पृष्ठों का क्षेत्रफल = πr(r + l)
  • शंकु का आयतन = (πr²h)/3 घन सेंटीमीटर।
  • शंकु की तिर्यक ऊँचाई (l) = √(r² + h²)
  • शंकु की ऊँचाई (h) = √(l² – r²)
  • शंकु की त्रिज्या (r) = √(l² – h²)
  • शंकु का सम्पूर्ण पृष्ठ का क्षेत्रफल = (πrl + πr²) वर्ग सेंटीमीटर।

शंकु का छिन्नक (Frastrum) :

  • शंकु के छिन्नक का आयतन = (πh)/3 (R² + r² + Rr)
  • तिर्यक भाग का क्षेत्रफल = π (R + r)³, l² = h² + (R – r)²
  • छिन्नक के सम्पूर्ण पृष्ठ का क्षेत्रफल = π[R² + r² + l(R + r)]
  • तिर्यक ऊँचाई = √(R – r)² + h²

समलम्ब चतुर्भुज (Trapezium Quadrilateral) :

  • समलम्ब चतुर्भुज का क्षेत्रफल = ½ × समान्तर भुजाओं का योग × समांतर भुजाओं के बीच की दूरी
  • समलम्ब चतुर्भुज का क्षेत्रफल = ½ × ऊँचाई × समान्तर भुजाओं का योग
  • समलम्ब चतुर्भुज का क्षेत्रफल = ½ × h × (AD + BC)
  • समान्तर चतुर्भुज की परिमिति = 2 × (आसन्न भुजाओं का योगफल)
  • समचतुर्भुज का क्षेत्रफल = ½ × विकर्णो का गुणनफल
  • समचतुर्भुज की परिमिति = 4 × एक भुजा
  • किसी चतुर्भुज का क्षेत्रफल = ½ × एक विकर्ण
  • समचतुर्भुज की एक भुजा = √(विकर्ण)² + (विकर्ण)²
  • समचतुर्भुज का एक विकर्ण = √भुजा² – (दूसरा विकर्ण/2)²

बहुभुज (Polygon) :

  • n भुजा वाले चतुर्भुज का अन्तः कोणों का योग = 2(n -2) × 90°
  • n भुजा वाले बहुभुज के बहिष्कोणों का योग = 360°
  • n भुजा वाले समबहुभुज का प्रत्येक अन्तः कोण = [2(n – 2) × 90°] / n
  • n भुजा वाले समबहुभुज का प्रत्येक भहिष्यकोण = 360°/n
  • बहुभुज की परिमिति = n × एक भुजा
  • नियमित षट्भुज का क्षेत्रफल = 6 × ¼√3 (भुजा)²
  • नियमित षट्भुज का क्षेत्रफल = 3√3×½ (भुजा)²
  • नियमित षट्भुज की परिमति = 6 × भुजा
  • समषट्भुज की भुजा = परिवृत की त्रिज्या
  • n भुजा वाले नियमित बहुभुज के विकर्णो की संख्या = n(n – 3)/2

घनाभ (Cuboid) :

  • घनाभ के फलक का आकार = आयताकार
  • घनाभ में 6 सतह या फलक होते हैं।
  • घनाभ में 12 किनारे होते हैं।
  • घनाभ में 8 शीर्ष होते हैं।
  • घनाभ का आयतन = लम्बाई × चौड़ाई × ऊँचाई
  • घनाभ की लंबाई = आयतन/(चौड़ाई × ऊँचाई)
  • घनाभ की चौड़ाई = आयतन/(लम्बाई × ऊँचाई)
  • घनाभ की ऊँचाई = आयतन/(लंबाई × चौड़ाई)
  • घनाभ का आयतन = l × b × h
  • घनाभ का परिमाप = 2(l + b) × h
  • घनाभ के समस्त पृष्ठों का क्षेत्रफल = 2(लम्बाई × चौड़ाई + चौड़ाई × ऊँचाई + ऊँचाई × लम्बाई)
  • घनाभ के सम्पूर्ण पृष्ठ का क्षेत्रफल = 2(lb + bh + hl)
  • घनाभ के विकर्ण = √(लम्बाई)² + (चौड़ाई)² + (ऊँचाई)²
  • घनाभ का विकर्ण = √l² + b² + h²
  • खुले बक्से के सम्पूर्ण पृष्ठों का क्षेत्रफल = लम्बाई × चौडाई + 2(चौडाई × ऊँचाई + ऊँचाई × लम्बाई)
  • कमरे के चारों दीवारों का क्षेत्रफल = 2 × ऊँचाई × (लम्बाई + चौड़ाई)
  • किसी कमरे में लगने वाली अधिकतम लम्बाई वाली छड़ = √(लम्बाई)² + (चौड़ाई)² + (ऊँचाई)²

गोला (Sphere) :

  • गोला का आयतन = (4πr³)/3 घन सेंटीमीटर
  • गोले का वक्र पृष्ठ = 4πr² वर्ग सेंटीमीटर
  • गोले की त्रिज्या = ∛3/4π × गोले का आयतन
  • गोले का व्यास = ∛ (6 × गोले का आयतन)/π
  • गोलाकार छिलके का आयतन = 4/3π(R³ – r³)
  • गोले का सम्पूर्ण पृष्ठ = 4πr
  • गोले की त्रिज्या = √सम्पूर्ण पृष्ठ/4π
  • गोले का व्यास = √सम्पूर्ण पृष्ठ/π
  • गोलाकार छिलके का आयतन = 4/3π(R³ – r³)

अर्द्धगोला (Semipsphere) :

  • अर्द्ध गोले का वक्र पृष्ठ = 2πr²
  • अर्द्धगोले का आयतन = 2/3πr³ घन सेंटीमीटर
  • अर्द्धगोले का सम्पूर्ण पृष्ठ = 3πr² वर्ग सेंटीमीटर
  • अर्द्वगोले की त्रिज्या r हो, तो अर्द्वगोले का आयतन = 2/3 πr³
  • अर्द्वगोले का सम्पूर्ण पृष्ठ = 3πr²

व्रत (CIRCLE) :

  • व्रत का व्यास = 2 × त्रिज्या = 2r
  • व्रत की परिधि = 2π त्रिज्या = 2πr
  • व्रत की परिधि = π × व्यास = πd
  • व्रत का क्षेत्रफल = π × त्रिज्या² = πr²
  • व्रत की त्रिज्या = √व्रत का क्षेत्रफल/π
  • अर्द्व व्रत की परिमिति = (n + 2)r = (π + 2)d/2
  • अर्द्वव्रत का क्षेत्रफल = 1/2πr² = 1/8 πd²
  • त्रिज्याखण्ड का क्षेत्रफल = θ/360° × व्रत क्षेत्रफल = θ/360° × πr²
  • त्रिज्याखण्ड की परिमिति = (2 + πθ/180°)r
  • वृतखण्ड का क्षेत्रफल = (πθ/360° – 1/2 sinθ)r²
  • वृतखण्ड की परिमिति = (L + πrθ)/180° , जहाँ L = जीवा की लम्बाई
  • चाप की लम्बाई = θ/360° × व्रत की परिधि
  • चाप की लम्बाई = θ/360° × 2πr
  • दो संकेन्द्रीय व्रतों जिनकी त्रिज्याए R1, R2, (R1 ≥ R2) हो तो इन व्रतों के बीच का क्षेत्रफल = π(r²1 – r²2)

आयतन के सूत्र :

  • घन का आयतन = भुजा³
  • घनाभ का आयतन = लम्बाई × चौड़ाई ×ऊंचाई
  • बेलन का आयतन = πr²h
  • खोखले बेलन का आयतन = π(r1² – r2²)h
  • शंकु का आयतन = ⅓ πr2h
  • शंकु के छिन्नक का आयतन = ⅓ πh[r1² + r2²+r1r2]
  • गोले का आयतन = 4/3 πr3
  • अर्द्धगोले का आयतन = ⅔ πr3
  • गोलीय कोश का आयतन = 4/3 π(r13 – r23)

अधिक जानकारी के लिए क्षेत्रमिति की पोस्ट पढ़े।

13. समय दूरी और चाल के सूत्र

चाल (Speed) :- किसी व्यक्ति/यातायात के साधन द्वारा इकाई समय में चली गई दूरी, चाल कहलाती हैं।

चाल का सूत्र = चाल = दूरी / समय

चाल का मात्रक (Unit of Speed) : चाल का मात्रक मीटर/सेंटीमीटर अथवा किलोमीटर/घण्टा होता हैं।

यदि चाल मीटर/सेंटीमीटर में हैं, तो

किलोमीटर/घण्टा = 18/5 × मीटर/सेंटीमीटर

यदि चाल किलोमीटर/घण्टा में हैं, तो

मीटर/सेंटीमीटर = 5/18 × किलोमीटर/घण्टा

दूरी (Distance): किसी व्यक्ति/यातायात के साधन द्वारा स्थान परिवर्तन को तय की गई दूरी कहा जाता हैं।

दूरी का सूत्र : दूरी = चाल × समय

समय (Time): किसी व्यक्ति/यातायात के साधन द्वारा इकाई चाल से चली गई दूरी, उसके समय को निर्धारित करती हैं।

समय का सूत्र : समय = दूरी / चाल

सापेक्ष चाल (Relative Speed): यदि दो वस्तुएं क्रमशः a किलोमीटर/घण्टा व b किलोमीटर/घण्टा की चाल से चल रही हैं, तब

दोनों विपरीत दिशा में हो, तो सापेक्ष चाल = (a + b) किलोमीटर/घण्टा

दोनों समान दिशा में हो, तो सापेक्ष चाल = (a – b) किलोमीटर/घण्टा

रेलगाड़ी और प्लेटफॉर्म (Train and Platform): जब कोई रेलगाड़ी किसी लम्बी वस्तु/स्थान (प्लेटफार्म/पुल/दूसरी रेलगाड़ी) को पार करती हैं, तो रेलगाड़ी को अपनी लम्बाई के साथ-साथ उस वस्तु की लम्बाई के बराबर अतिरिक्त दूरी भी तय करनी पड़ती हैं,

अर्थात कुल दूरी = रेल की लम्बाई + प्लेटफॉर्म/पुल की लम्बाई

महत्वपूर्ण तथ्य :

(a) चाल को किलोमीटर/घण्टा से मीटर/सेकेण्ड में बदलने के लिए 5/18 से गुणा तथा चाल को मीटर/सेकेंड से किलोमीटर/घण्टा में बदलने के लिए 18/5 से गुणा करते हैं।

औसत चाल = (कुल चली गई दूरी) / (कुल लगा समय)

(b) यदि कोई वस्तु निश्चित दूरी को x किलोमीटर/घण्टा तथा पुनः उसी दूरी को y किलोमीटर/घण्टा की चाल से तय करती हैं, तो पूरी यात्रा के दौरान उसकी

औसत चाल = (2 × x × y) / (x + y) किलोमीटर/घण्टा होगी।

(c) यदि दो वस्तु एक ही दिशा में a किलोमीटर/घण्टा तथा b किलोमीटर/घण्टा की चाल से गति कर रही हैं, जिनका गति प्रारम्भ करने का स्थान तथा समय समान हैं, तो उनकी सापेक्ष चाल (a – b) किलोमीटर/घण्टा होगी।

(d) यदि दो वस्तु विपरीत दिशा में a किलोमीटर/घण्टा तथा b किलोमीटर/घण्टा की चाल से गति कर रही हैं, जिनका गति प्रारम्भ करने का स्थान व समय समान हैं, तो उनकी सापेक्षिक चाल (a + b) किलोमीटर/घण्टा होगी।

(e) यदि A तथा B चाल में अनुपात a : b हो तो एक ही दूरी तय करने में इनके द्वारा लिया गया समय का अनुपात b : a होगा।

(f) जब एक व्यक्ति A से B तक x किलोमीटर/घण्टे की चाल से जाता हैं तथा t1 समय देर से पहुँचता हैं तथा जब वह y किलोमीटर/घण्टे की चाल से चलता हैं, तो t2 समय पहले पहुँच जाता हैं, तो

A तथा B के बीच की दूरी = (चालों का गुणनफल) × (समयान्तर) / (चालों में अंतर)

(X × Y) × (T1 + T2) / (Y – X) किलोमीटर।

अधिक जानकारी के लिए समय दूरी और चाल जरूर पढ़िए।

14. समय और कार्य के सूत्र

समय और कार्य के महत्वपूर्ण नियम:

  • यदि किसी व्यक्ति द्वारा एक कार्य पूरा करने में x दिन का समय लगे, तो व्यक्ति द्वारा 1 दिन में किया गया कार्य 1/x होगा।
  • यदि किसी व्यक्ति द्वारा 1 दिन में 1/x भाग कार्य किया जाता है, तो व्यक्ति द्वारा पूरा कार्य समाप्त करने में x दिन लगेंगे।
  • यदि किसी कार्य को करने के लिए व्यक्तियों की संख्या बढ़ाई जाए, तो कार्य समाप्त होने में उसी अनुपात में समय कम लगता है।
  • यदि किसी व्यक्ति A की कार्य करने की क्षमता, किसी अन्य व्यक्ति B की कार्य करने की क्षमता की x गुनी हो, तो किसी कार्य को करने में A को B के समय का 1/x गुना समय लगेगा।
  • यदि A तथा B किसी कार्य को भिन्न-भिन्न समय मे करते हों, तो (A का कार्य) : (B का कार्य)
  • = (B द्वारा लिया समय) : (A द्वारा लिया समय)
  • यदि m1 व्यक्ति, h1 घण्टे/दिन कार्य करके d1 दिनों में w1 कार्य करते हैं, तो m2 व्यक्ति, h2 घण्टे/दिन कार्य करके d2 दिनों में w2 कार्य करने के लिए (m1d1h1)/w1 = (m2d2h2)/h2
  • यदि A किसी काम को x दिन में तथा B उसी काम को y दिन में करता हैं, तो काम पूरा होने में (x × y)/(x + y) दिन का समय लगेगा।
  • यदि A तथा B किसी काम को x दिन में तथा A अकेला उसी काम को y दिन में कर सकता हैं, तो B अकेला उसी कार्य को (xy)/(x – y) दिन में पूरा करेगा।
  • यदि एक हौज को एक पाइप द्वारा h1 घण्टों में तथा दूसरे पाइप द्वारा h2 घण्टों में भरा जाता हैं, तो दोनों पाइपों को एक साथ खोल देने पर वह हौज (h1 × h2)/(h1 + h2) घण्टों में भर जाएगा।
  • यदि A, B तथा C किसी काम को क्रमशः x, y तथा z दिनों में कर सकते हैं, तो तीनों मिलकर उसी काम को (x×y×z) / (xy + yz + zx)

अधिक जानकारी के लिए समय और कार्य जरूर पढ़िए।

15. बीजगणित के सूत्र

  • (a+b)² = a²+2ab+b²
  • (a+b)² = (a-b)²+4ab
  • (a-b)² = a²-2ab+b²
  • (a-b)² = (a+b)²-4ab
  • (a+b)² + (a-b)² = 2(a²+b²)
  • (a+b)² – (a-b)² = 4ab(a+b)³ = a³+3a²b+3ab²+b³
  • (a+b)² – (a-b)² = a³+b³+3ab(a+b)
  • (a-b)³ = a³-3a²b+3ab²-b³
  • (a-b)³ = a³+b³+3ab(a+b)
  • (a+b)³ + (a-b)³ = 2(a³+3ab²)
  • (a+b)³ + (a-b)³ = 2a(a²+3b²)
  • (a+b)³ – (a-b)³ = 3a²b+2b³
  • (a+b)³ – (a-b)³ = 2b(3a²+b²)
  • a²-b² = (a-b)(a+b)
  • a³+b³ = (a+b)(a²-ab+b²)
  • a³-b³ = (a-b)(a²+ab+b²)
  • a³-b³ = (a-b)³ + 3ab(a-b)
  • (a+b+c)² = a²+b²+c²+2(ab+bc+ca)
  • (a+b+c)³ = a³+b³+c³+3(a+b)(b+c)(c+a)
  • a³+b³+c³ = (a+b+c)³ – 3(a+b)(b+c)(c+a)
  • (a+b+c+d)² = a²+b²+c²+d²+2(ab+ac+ad+bc+bd+cd)
  • a³+b³+c³-3abc = (a+b+c)(a²+b²+c²-ab-bc-ca)
  • x²+y²+z²-xy-yz-zx = ½[(x-y)²+(y-z)²+(z+x)²]
  • a³+b³+c³-3abc = ½(a+b+c) [(a-b)²+(b-c)²+(c-a)²]
  • a²+b²+c²-ab-bc-ca = ½[(a-b)²+(b-c)²+(c-a)²]
  • a(b-c)+b(c-a)+c(a-b)=0
  • ab(a-b)+bc(b-c)+ca(c-a) = -(a-b)(b-c)(c-a)
  • a²(b²-c²)-b²(c²-a²)+c²(a²-b²) = (a-b)(b-c)(c-a)
  • a+b = (a³+b³)/(a²+ab+b²)
  • a – b = (a³-b³)/(a²+ab+b²)
  • a+b+c = (a³+b³+c³-3abc)/(a²+b²+c²-ab-bc-ca)
  • (a+1/a)² = a²+1/a²+2
  • (a²+1/a²) = (a+1/a)²-2
  • (a-1/a)² = a²+1/a²-2
  • (a²+1/a²) = (a-1/a)²+2
  • (a³+1/a³ = (a+1/a)³-3(a+1/a)
  • (a³-1/a³ = (a-1/a)³-3(a-1/a)

अधिक जानकारी के लिए बीजगणित जरूर पढ़िए।

16. त्रिकोणमिति के सूत्र

समकोण त्रिभुज का नियम :

  • (कर्ण)² = (लम्ब)² + (आधार)²
  • (लम्ब)² = (कर्ण)² – (आधार)²
  • (आधार)² =(कर्ण)² – (लम्ब)²

त्रिकोणमिति अनुपात :

  • sinθ = लम्ब /कर्ण
  • cosθ = आधार /कर्ण
  • tanθ = लम्ब /आधार
  • cotθ = आधार /लम्ब
  • secθ = कर्ण /आधार
  • cosecθ = कर्ण /लम्ब

नोट: आप इस TRICK के द्वारा भी इसे याद रख सकते हैं।

त्रिकोणमिति सम्बन्ध :

  • sinθ.cosecθ = 1
  • cosθ.secθ = 1
  • tanθ.cotθ = 1
  • tanθ = sinθ/cosθ

पायथागॉरियन सूत्र :

  • Sin²θ +cos²θ = 1
  • 1 + tan²θ = sec²θ
  • 1 + cot²θ = cosec²θ

त्रिकोणमिति के सूत्र :

  • sin(A+B) = sinA.cosB+cosA.sinB
  • sin(A-B) = sinA.cosB-cosA.sinB
  • cos(A+B) = cosA.cosB-sinA.sinB
  • cos(A-B) = cosA.cosB+sinA.sinB
  • tan(A+B) = (tanA+tanB)/(1-tanA.tanB)
  • tan(A-B) = (tanA-tanB)/(1+tanA.tanB)
  • sin2A = 2sinA.cosA
  • cos2A = cos2A-sin2A = 2cos2A-1 = 1-2sin2A
  • tan2A = 2tanA/(1-tan2A)

त्रिकोणमिति सारणी :

θ030°= Π/645°= Π/460°= Π/390°= Π/2180°= Π270°= 3Π/2360°= 2Π
sinθ01/21/√2√3/210-10
cosθ1√3/21/√21/20-101
tanθ01/√31√300
cosecθ2√22/√31-1
secθ12/√3√22-11
cotθ√311/√300

अधिक जानकारी के लिए त्रिकोणमिति जरूर पढ़िए।

17. समाकलन के सूत्र

  • ∫x n∙dx = x^(n + 1)/n + 1 + C
  • ∫e^x∙dx = e^x + C
  • ∫e^-x∙dx = -e^- x + C
  • ∫1/x∙dx = logx+ C
  • ∫Sinx∙dx = – Cosx + C
  • ∫Cosx∙dx = Sinx + C
  • ∫Tanx∙dx = log Secx + C
  • ∫Cotx∙dx = log Sinx + C
  • ∫Secx∙dx = log |Secx + Tanx | + C
  • ∫Cosecx∙dx = log |Cosecx – Cotx | + C
  • ∫1/√(1 – x²)∙dx = Sin^-1x + C
  • ∫1/(1 + x²)∙dx = Tan^ -1x + C
  • ∫1x(√x² – 1)∙dx = Sec^-1x + C
  • ∫1√(a² – x²)∙dx = Sin^-1(x/a ) + C
  • ∫1√(x² – a²) ∙dx = log | x + √(x² + a²) | + C
  • ∫1√(x² – a²) ∙dx = log | x + √(x² + a²) | + C
  • ∫√(a² – x²) ∙dx = x/2 √(a² – x²) + a²/2 Sin^-1( x/a ) + C
  • ∫√(a² + x²)∙dx = x/2 √(a² + x²) + a² /2 log | x + √(x² + a²) | + C
  • ∫√(x² – a²)∙dx = x/2 √(x² – a²) – a²/ 2 log | x + √(x² – a²) | + C
  • ∫1/(a² – x²)∙dx = 1/2a log | (a + x)/(a – x)| + C
  • ∫1/( (x² – a²)∙dx = 1/2a log | (x – a)/(x + a)| + C
  • ∫Sec²x∙dx = Tanx + C
  • ∫Cosec²x∙dx = -Cotx + C
  • ∫Secx ∙ Tanx∙dx = Secx + C
  • ∫Cosecx ∙ Cotx∙dx = – Cosecx + C
  • ∫K∙dx = Kx + C (जहाँ K = अचर राशि )
  • ∫1/(x² + a²)∙dx = 1/aTan^-1 x/a + C

18. अवकलन के सूत्र

  • dx^n/dx = nx^n – 1
  • d(Sinx)/dx = Cosx
  • d(Cosx)/dx = – Sinx
  • d(Tanx)/dx = Sec 2x
  • d(Cotx)/dx = – Cosec 2x
  • d(Secx)/dx = Secx ∙ Tanx
  • d (Cosecx)/dx = – Cosecx ∙ Cotx
  • d(Sin^-1x)/dx = 1/√(1 – x 2)
  • d(Cos^-1x)/dx = 1/(√1 – x 2)
  • d(Tan – 1x)/dx = 1/(1 + x 2)
  • d(Cot – 1x)/dx = 1/(1 + x 2)
  • d(Sec – 1x)/dx = 1/x√x 2 – 1
  • d(Cosec – 1x)/dx = 1/x√x 2 – 1
  • d e^x/dx = e x
  • d e^-x/dx = – e x
  • d log x/dx = 1/x
  • d a^x/dx = a x logx
  • d√x/dx = 1/2 √x


Post a Comment