4.2 पूरक और आधार ज्ञात करना।
'निखिलं सूत्र'
निखिलं नवतश्चरमं दशतः
अर्थात
निखिलं नवतः चरमं दशतः
निखिलं सूत्र वैदिक गणित का दूसरा सूत्र है।
इस सूत्र का अर्थ स्पष्ट है
[निखिलं (शेष से) नवतः (नौ) तथा चरमं (ईकाई से) दशत: (दस को) ]
सभी को 9 से, अंत वाले को 10 से।
इस सूत्र का सर्वाधिक उपयोग पूरक (complement) ज्ञात करने में क्या जाता है।
इस पूरक का उपयोग विभिन्न गणनाओं में किया जाएगा जैसे कि गुणन, भाग या फिर रेखांक या विनकुलम ज्ञात करने में।
हमें यही याद रखना चाहिए कि निखिल सूत्र कहता है कि एबाएं से दाएं (left to right ) के ओर किसी संख्या के प्रत्येक अंक को 9 से और अंतिम वाले अंक को 10 से घटाते हैं, और इस प्रकार हमें उस संख्या का पूरक मिल जाता है।
यह 10 की पावर 0 (जीरो) को छोड़कर सभी पावर के रूप में लिया जा सकता है क्योंकि 10 की पावर जीरो का मान 1(एक) होता है और किसी भी संख्या का आधार 1(एक) नहीं लिया जा सकता।
10⁰ = 1
10¹ = 10
10² = 100
10³ = 1000
10⁴ = 10000
ध्यान रहे कि किसी संख्या का पूरक उसके निकटतम आधार को लिया जाता है।
* 10 से कम संख्याओं का पूरक 10 से निकाला जाता है।
6 का पूरक होगा : 10 – 6 = 4
2 का पूरक होगा : 10 – 2 = 8
8 का पूरक होगा : 10 – 8 = 2
* 11 से 99 तक की संख्याओं का आधार 100 (सौ) लिया जाता है।
24 का पूरक होगा : 100 – 24 = 76.
43 का पूरक होगा : 100 – 43 = 57.
64 का पूरक होगा : 100 – 64 = 36.
73 का पूरक होगा: 100 – 73 = 27
95 का पूरक होगा : 100 – 95 = 05
*एक से एक से लेकर 999 तक की संख्याओं के लिए आधार 1000 लिया जाएगा।
123 का पूरक होगा : 1000 – 123 = 877.
235 का पूरक होगा : 1000 – 253 = 765.
459 का पूरक होगा: 1000 – 459 = 541.
623 का पूरक होगा : 1000 – 623 = 377.
962 का पूरक होगा : 1000 – 962 = 038.
* इसी प्रकार हम बड़े संख्याओं का भी पूरक निकाल सकते हैं।
51326 का पूरक होगा: 100000–51326 = 48674.
5351326 का पूरक होगा: 10000000–5351326 = 4648674.
ध्यान रहे-
(1). यदि कोई संख्या शून्य से समाप्त होती हैं तो अशून्य अंक से गणना प्रारंभ की जाती है। जबकि शून्य के नीचे शून्य मान लिया जाता है।
* 5100 का पूरक 4900 होगा।
(यहां 51 का पूरक 49 है तथा संख्या में दो शून्य हैं, इसलिए पूरक में दो शून्य भी लगेंगे।)
* 451000 का पूरक 549000 होगा।
(यहां 451 का पूरक 549 है तथा संख्या में तीन शून्य हैं, इसलिए पूरक में 3 शून्य भी लगेंगे।)
(2). ध्यान रहे कि किसी संख्या और उसके पूरक का आधार सदा एक या समान ही रहता है। अर्थात संख्या और पूरक, उनके आधार के अनुरूप एक दूसरे के पूरक होते हैं
* 5100 तथा उसके पूरक 4900 का आधार 1000 ही रहेगा।
* 45100 तथा उसके पूरक 54900 का आधार 1000 ही रहेगा।
(3). पर-पूरक या अधिकाय – पूरक और आधार की क्रिया को ध्यान से देखते हैं तो हमें एक अवस्था और प्राप्त होती है ।
जो आप को समझाना बहुत जरूरी है । वह है जब संख्या आधार से बड़ी है तो उस उस आधार से बड़े भाग को हम पर-पूरक या अधिकाय कहते हैं।
जैसे
* मान लिया हमने संख्या 16 ली और आधार 10 तो इसका पर-पूरक या अधिकाय 6 होगा।
* मान लिया हमने संख्या 126 ली और आधार 100 तो इसका पर-पूरक या अधिकाय 26 होगा।
* मान लिया हमने संख्या 1111 ली और आधार 1000 तो इसका पर-पूरक या अधिकाय 111 होगा।
परंतु इसका हमारी गणना पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि हम इसका उपयोग कहीं भी नहीं करेंगे।
बल्कि इसके स्थान पर हम इसके पूर्व का ही उपयोग करेंगे।
जैसे * 16 का पूरक 84 होगा।
* इसी प्रकार 116 का पूरा 984 होगा।
* इसी प्रकार 1111 का पूरक 8889 होगा।
ॐ जितेंद्र सिंह तोमर
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