भाग 1
अंकगणितीय संख्याओं का बीजगणितीय निरूपण
अंक गणित में किसी संख्या की व्याख्या करते समय हम दशमिक आधार पद्धति का उपयोग करते हैं।
जैसे कि
इकाई (Unit) का स्थानीय मान 10⁰ = 1
दहाई (Tens) का स्थानीय मान 10¹ = 10
सैकड़ा (Hundreds) का स्थानीय मान 10² = 100
हजार (Thousand) का स्थानीय मान 10³ = 1000
एक से नौ तक की संख्या के लिए हम केवल संख्याओं को अपना लेते हैं।
1 एक
2 दो
3 तीन
4 चार
5 पांच
6 छ:
7 सात
8 आठ
9 नौ
इन्हें हम इस प्रकार दर्शा सकते हैं। इसलिए एक से नौ तक की संख्या के लिए हम केवल संख्याओं को अपना लेते हैं। इसे हम सामान्यत: विस्तृत रूप के नाम से जानते हैं। वैसे हमारी संख्या संक्षेप में लिखी होती हैं।
0 शून्य = 0 × 10⁰ = 0
1 एक = 1 × 10⁰ = 1
2 दो = 2 × 10⁰ = 2
3 तीन = 3 × 10⁰ = 3
4 चार = 4 × 10⁰ = 4
5 पांच = 5 × 10⁰ = 5
6 छ: = 6 × 10⁰ = 6
7 सात = 7 × 10⁰ = 7
8 आठ = 8 × 10⁰ = 8
9 नौ = 9 × 10⁰ = 9
दो अंकीय संख्याओं को हम इस प्रकार लिख सकते हैं। यहां दो अंकीय संख्याओं का विस्तृत रूप तथा अंत में संक्षिप्त रूप दिया गया है।
10 दस
= 1 × 10¹ + 0 × 10⁰ = 10+0 =10
11 ग्यारह
= 1×10¹ + 1 × 10⁰ = 10+ 1 =11
12 बारह
= 1 × 10¹ + 2 × 10⁰ = 10+2 =12
13 तेरह
= 1 × 10¹ + 3 × 10⁰ = 10+ 3 =13
14 चौदह
= 1 × 10¹ + 4 × 10⁰ = 10+4 =14
15 पंद्रह
= 1 × 10¹ + 5 × 10⁰ =10+5=15
16 सौलह:
= 1 × 10¹ + 6 × 10⁰ =10+6=16
17 सत्रह
= 1 × 10¹ + 7 × 10⁰ = 10+7=17
18 अट्ठारह
= 1 × 10¹ + 8 × 10⁰ = 10+ 8=18
19 उन्नीस
= 1 × 10¹ + 9 × 10⁰ = 10+9=19
23 तेईस
= 2 × 10¹ + 3 × 10⁰ = 20+3=23
34 चौंतीस
= 3 × 10¹ + 4 × 10⁰ = 30+4 =34
45 पैंतालीस
= 4 × 10¹ + 5 × 10⁰ =40+5=45
56 छप्पन
= 5 × 10¹ + 6 × 10⁰ =50+6=56
67 सरसठ
= 6 × 10¹ + 7 × 10⁰ = 60+7=67
78 अठहत्तर
= 7 × 10¹ + 8 × 10⁰ = 70+ 8=78
86 छियासी
= 8 × 10¹ + 6 × 10⁰ =80+6=86
99 निन्यानबे
= 9 × 10¹ + 9 × 10⁰ = 90+9=99
तीन अंकीय संख्याओं को हम इस प्रकार लिख सकते हैं। यहां तीन अंकीय संख्याओं का विस्तृत रूप तथा अंत में संक्षिप्त रूप दिया गया है।
100 सौ
= 1 × 10² +1 × 10⁰ + 0 × 10⁰
= 1 × 100 +1 × 10 + 0 × 1
= 100+00+0
=100
111 एक सौ ग्यारह
=1 × 10² + 1×10¹ + 1 × 10⁰
= 1 × 100 +1 × 10 + 1 × 1
= 100+10+ 1
=111
212 दो सौ बारह
= 2 × 10² +1 × 10¹ + 2 × 10⁰
= 2 × 100 +1 × 10 + 2 × 1
= 200+10+2
=212
313 तीन सौ तेरह
=3 × 10² + 1 × 10¹ + 3 × 10⁰
= 3 × 100 +1 × 10 + 3 × 1
= 300+ 10+ 3
=313
414 चार सौ चौदह
= 4 × 10² +1 × 10¹ + 4 × 10⁰
= 4 × 100 +1 × 10 + 4 × 1
= 400+10+4
=414
515 पांच सौ पंद्रह
= 5 × 10² +1 × 10¹ + 5 × 10⁰
= 5 × 100 +1 × 10 + 5 × 1
=500+10+5
=515
616 छः सौ सौलह:
= 6 × 10² +1 × 10¹ + 6 × 10⁰
= 6 × 100 +1 × 10 + 6 × 1
=600+10+6
=616
717 सात सौ सत्रह
= 7 × 10² +1 × 10¹ + 7 × 10⁰
= 7 × 100 +1 × 10 + 7 × 1
= 700+10+7
=717
818 आठ सौ अट्ठारह
= 8 × 10² +1 × 10¹ + 8 × 10⁰
= 8 × 100 +1 × 10 + 8 × 1
= 800+10+ 8
=818
919 नौ सौ उन्नीस
= 9 × 10² +1 × 10¹ + 9 × 10⁰
= 9 × 100 +1 × 10 + 9 × 1
= 900+ 10+9
=919
999 नौ सौ निन्यानबे
= 9 × 10² +9 × 10¹ + 9 × 10⁰
= 9 × 100 +9 × 10 + 9 × 1
= 900+90+9
=999
तीन से बड़ी संख्याओं को विस्तृत रूप में और फिर सामान्य रूप में लिखना।
5818 पांच हजार आठ सौ अट्ठारह
= 5 × 10² + 8 × 10² +1 × 10¹ + 8 × 10⁰
= 5 × 10³ + 8 × 100 +1 × 10 + 8 × 1
= 5000+800+10+8
= 5818
हमें विश्वास है कि आप अंकगणित कि इन बातों को समझ गए होंगे। आप बहुत पहले इनके बारे में अच्छे से जान चुके थे ।
आइए अब इसी आधार पर बीजगणित को समझने का प्रयास करते हैं।
अंक गणित में जहां हम दशमिक आधार पद्धति का उपयोग करते हैं। वही बीजगणित में हम 10 के स्थान पर x (एक्स) का प्रयोग करते हैं अर्थात x (एक्स) आधार पद्धति का उपयोग बीजगणित में किया जाता है।
जैसे कि
इकाई (Unit) का स्थानीय मान x⁰ = 1
दहाई (Tens) का स्थानीय मान x¹ = 10
सैकड़ा (Hundreds) का स्थानीय मान x² = 100
हजार (Thousand) का स्थानीय मान x³ = 1000
शून्य से 9 तक लिखने के लिए हमें उन्हीं अंको का (0 से 9 ) उपयोग करना होगा।
कैसे आइए हम बताते हैं? इन्हें हम इस प्रकार दर्शा सकते हैं। इसलिए एक से नौ तक की संख्या के लिए हम केवल संख्याओं को अपना लेते हैं। इसे हम सामान्यत: विस्तृत रूप के नाम से जानते हैं। वैसे हमारी संख्या संक्षेप में लिखी होती हैं।
0 शून्य = 0 × x⁰ = 0 × 1 = 0
1 एक = 1 × x⁰ = 1 × 1 = 1
2 दो = 2 × x⁰ = 2 × 1 = 2
3 तीन = 3 × x⁰ = 3 × 1 = 3
4 चार = 4 × x⁰ = 4 × 1 = 4
5 पांच = 5 × x⁰ = 5 × 1 = 5
6 छ: = 6 × x⁰ = 6 × 1 = 6
7 सात = 7 × x⁰ = 7 × 1 = 7
8 आठ = 8 × x⁰ = 8 × 1 = 8
9 नौ = 9 × x⁰ = 9 × 1 = 9
दो अंकीय संख्याओं को हम इस प्रकार लिख सकते हैं। यहां दो अंकीय संख्याओं का विस्तृत रूप तथा अंत में संक्षिप्त रूप दिया गया है।
10 दस
= 1 × x¹ + 0 × x⁰ = 1x+0= x + 0 = x
11 ग्यारह
= 1×x¹ + 1 × x⁰ = 1x+ 1 = x + 1
12 बारह
= 1 × x¹ + 2 × x⁰ = 1x+2 = x + 2
13 तेरह
= 1 × x¹ + 3 × x⁰ = 1x+ 3 = x + 3
14 चौदह
= 1 × x¹ + 4 × c⁰ = 1x+4 = x + 4
15 पंद्रह
= 1 × x¹ + 5 × x⁰ =1x+5= x + 5
16 सौलह
= 1 × x¹ + 6 × x⁰ =1x+6 = x + 6
17 सत्रह
= 1 × x¹ + 7 × x⁰ = 1x+7 = x + 7
18 अट्ठारह
= 1 × x¹ + 8 × x⁰ = 1x+ 8 = x + 8
19 उन्नीस
= 1 × x¹ + 9 × x⁰ = 1x+9 = x + 9
23 तेईस
= 2 × x¹ + 3 × x⁰ = 2x+3
34 चौंतीस
= 3 × x¹ + 4 × x⁰ = 3x+4
45 पैंतालीस
= 4 × x¹ + 5 × x⁰ =4x+5
56 छप्पन
= 5 × x¹ + 6 × x⁰ = 5x+6
67 सरसठ
= 6 × x¹ + 7 × x⁰ = 6x+7
78 अठहत्तर
= 7 × x¹ + 8 × x⁰ = 7x+ 8
86 छियासी
= 8 × x¹ + 6 × x⁰ =8x+6
99 निन्यानबे
= 9 × x¹ + 9 × x⁰ = 9x+9
तीन अंको की संख्या को हम तो प्रकार से लिख सकते हैं।
10 के रूप में तथा 100 के रूप में आइए हम दोनों को एक साथ लिखना और पढ़ना सीखते हैं।
100 सौ
(i) 10 के रूप में
= 10 × x¹ + 0 × x⁰
= 10x+0
= 10x + 0
= 10x
(ii) 100 के रूप में
= 1 × x² +1 × x¹ + 0 × x⁰
= 1x² +1 × x¹ + 0 × 1
= x² + x + 0
= x² + x
111 एक सौ ग्यारह
(i) 10 के रूप में
= 11 × x¹ + 1 × x⁰
= 11x+1
(ii) 100 के रूप में
= 1 × x² +1 × x¹ + 1 × x⁰
= 1x² +1 × x¹ + 1 × 1
= x² + x + 1
212 दो सौ बारह
(i) 10 के रूप में
= 21 × x¹ + 2 × x⁰
= 21x+2
(ii) 100 के रूप में
= 2 × x² +1 × x¹ + 2 × x⁰
= 2x² +1 × x¹ + 2 × 1
= 2x² + x + 2
313 तीन सौ तेरह
(i) 10 के रूप में
= 31 × x¹ + 3 × x⁰
= 31x+3
(ii) 100 के रूप में
= 31 × x² +1 × x¹ + 3 × x⁰
= 3x² +1 × x¹ + 3 × 1
= 3x² + x + 3
464 चार सौ चौसठ
(i) 10 के रूप में
= 41 × x¹ + 4 × x⁰
= 41x+4
(ii) 100 के रूप में
= 41 × x² +6 × x¹ + 4 × x⁰
= 4x² + 6 × x¹ + 4 × 1
= 4x² + 6x + 4
525 पांच सौ पच्चीस
(i) 10 के रूप में
= 52 × x¹ + 5 × x⁰
= 52x+5
(ii) 100 के रूप में
= 5 × x² + 2 × x¹ + 5 × x⁰
= 5x² +2 × x¹ + 5 × 1
= 5x² + 2x + 5
676 छः सौ छिहत्तर
(i) 10 के रूप में
= 67 × x¹ + 6 × x⁰
= 67x+6
(ii) 100 के रूप में
= 6 × x² + 7 × x¹ + 6 × x⁰
= 6x² +7 × x¹ + 6 × 1
= 6x² + 7x + 6
717 सात सौ सत्रह
(i) 10 के रूप में
= 71 × x¹ + 7 × x⁰
= 71x+7
(ii) 100 के रूप में
= 7 × x² +1 × x¹ + 7 × x⁰
= 7x² +1 × x¹ + 7 × 1
= 7x² + x + 7
818 आठ सौ अट्ठारह
(i) 10 के रूप में
= 81 × x¹ + 8 × x⁰
= 81x+8
(ii) 100 के रूप में
= 81 × x² +1 × x¹ + 8 × x⁰
= 8x² +1 × x¹ + 8 × 1
= 8x² + x + 8
919 नौ सौ उन्नीस
(i) 10 के रूप में
= 91 × x¹ + 9 × x⁰
= 91x+9
(ii) 100 के रूप में
= 9 × x² +1 × x¹ + 9 × x⁰
= 9x² +1 × x¹ + 9 × 1
= 9x² + x + 9
999 नौ सौ निन्यानबे
(i) 10 के रूप में
= 99 × x¹ + 9 × x⁰
= 99x+9
(ii) 100 के रूप में
= 9 × x² + 9 × x¹ + 9 × x⁰
= 9x² + 9 × x¹ + 9 × 1
= 9x² + 9x + 9
इसी प्रकार हम तीन से बड़ी संख्या को भी लिख सकते हैं , जो तीन रूपों में हो सकती हैं। 10 के रूप में, 100 के रूप में और 1000 के रूप में।
5817 पांच हजार आठ सौ सत्रह
(i) 10 के रूप में
= 581 × x¹ + 7 × x⁰
= 581x+7
(ii) 100 के रूप में
= 58 × x² + 1 × x¹ + 7 × x⁰
= 58x² + 1 × x¹ + 7 × 1
= 58x² + x + 7
(ii) 100 के रूप में
= 5 × x³ + 8 × x² +1 × x¹ + 8 × x⁰
= 5 × x³ + 8 × x² +1 × x + 8 × 1
= 5x³+8x²+1x+8
= 5x³ + 8x² + x + 8
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