अब हम वैदिक गणित के 16वें सूत्र की ओर बढ़ते हैं। यह सूत्र है:
🔶 वैदिक गणित का 16वाँ सूत्र:
"यान्यन्येन पूर्ववतात्"
(Yānyanyena pūrvavat)
🔷 अर्थ:
यह सूत्र संस्कृत के तीन शब्दों से मिलकर बना है –
- यानि (Yāni) = जो भी हो
- अन्येन (Anyena) = अन्य के द्वारा
- पूर्ववत् (Pūrvavat) = पूर्ववत् या पहले जैसे
पूर्णार्थ:
"जो किसी अन्य के द्वारा पहले की तरह हल हो सकता हो"
🔵 इस सूत्र का भावार्थ:
यह सूत्र हमें यह बताता है कि कोई समस्या जो पहले हल की गई समस्या के समान हो, उसे उसी पद्धति से हल किया जा सकता है।
यानि यह सूत्र समानता (analogy) पर आधारित है।
🔸 सूत्र का कार्यक्षेत्र:
यह सूत्र विशेष रूप से उपयोगी होता है:
- समीकरणों को हल करने में
- श्रेणियों के सामान्य पद (general term) निकालने में
- अनुपात-समानुपात (ratio-proportion)
- गुणोत्तर श्रेणी (Geometric Progression)
- गणितीय कथनों की पुनरावृत्ति में
- पैटर्न पहचानने में
- गणितीय तर्क (mathematical reasoning) में
📘 उदाहरणों द्वारा विस्तृत व्याख्या:
🧩 उदाहरण 1: समीकरण हल करना
मान लीजिए कि हमने पहले यह समीकरण हल किया है:
मान लीजिए कि हमने पहले यह समीकरण हल किया है:
3x+211 ⇒ x = 11-23 / 3
अब यदि हमें कोई ऐसा समीकरण मिलेः
5x + 2 = 17
तो हम पूर्ववत् विधि अपनाते हुए उसी प्रकार हल कर सकते हैं:
x = 17-2 /5= 15/ 5=3
यही "यान्यन्येन पूर्ववतात्" है- नई स्थिति में भी पुरानी पद्धति का उपयोग।
3x + 2 = 11
\Rightarrow x = \frac{11 - 2}{3} = 3
अब यदि हमें कोई ऐसा समीकरण मिले:
5x + 2 = 17
तो हम पूर्ववत् विधि अपनाते हुए उसी प्रकार हल कर सकते हैं:
x = \frac{17 - 2}{5} = \frac{15}{5} = 3
👉 यही "यान्यन्येन पूर्ववतात्" है — नई स्थिति में भी पुरानी पद्धति का उपयोग।
🧩 उदाहरण 2: श्रेणी में पदों का अनुमान
श्रेणी:
2, 4, 8, 16, 32, ...
यह का क्रम है। अब अगर कोई श्रेणी आए:
नई श्रेणी:
3, 6, 12, 24, 48, ...
तो हम पूर्ववत के आधार पर पहचान सकते हैं कि यह है।
🧩 उदाहरण 3: अनुपात-समानुपात
यदि यह एक समस्या में लागू हो चुका है, और फिर कोई समस्या इस रूप में आती है:
👉 यहां हमने पूर्व समस्या की तरह हल किया।
🧠 सूत्र की गहराई: तर्कशास्त्र और मनोविज्ञान में उपयोग
यह सूत्र केवल गणितीय क्रियाओं में नहीं, तर्क (logic) और सामान्य ज्ञान (common sense) में भी प्रभावी है:
“यदि पहले किसी समस्या को हल करने के लिए कोई विशेष नियम या पैटर्न अपनाया गया था, तो वैसी ही समस्या में वैसा ही नियम पुनः लागू किया जा सकता है।”
यह गणना को त्वरित करता है, स्मृति पर भरोसा बढ़ाता है और मस्तिष्क को "पहले से सीखी गई प्रणाली" का उपयोग करने में दक्ष बनाता है।
📘 सूत्र का व्यावहारिक उपयोग (Applications):
क्षेत्र | उपयोग |
---|---|
बीजगणित | समीकरणों का हल, अनुपात |
क्रमिक श्रेणियाँ | समान अनुपात/अंतर की पहचान |
मानसिक गणना | पिछले प्रश्न जैसी रचना की पहचान |
प्रतियोगी परीक्षा | पैटर्न बेस्ड प्रश्नों को तेजी से हल करना |
कोडिंग/AI | एल्गोरिद्म द्वारा पैटर्न पहचान |
📗 सूत्र का प्रयोगिक अभ्यास
नीचे कुछ उदाहरण दिए जा रहे हैं, जहाँ इस सूत्र को पहचानना है:
🧮 सूत्र की तुलना (Comparative View):
सूत्र | कार्य |
---|---|
परावर्त्य योनि परावर्ते | भागफल आधारित संचालन |
शेषन्येन चरणम् | शेष के आधार पर उत्तर |
गुणितसमुच्चयः समुच्चयगुणितः | गुणा-योग संबंध |
यान्यन्येन पूर्ववतात् | पिछले विधियों की पुनरावृत्ति |
🏁 निष्कर्ष:
"यान्यन्येन पूर्ववतात्" एक अत्यंत बौद्धिक सूत्र है जो न केवल वैदिक गणना में बल्कि हमारे दैनिक निर्णयों और पैटर्न समझने की क्षमता में भी सहायक है।
यह हमें पूर्व अनुभव से सीख कर नया हल निकालना सिखाता है।
📄 आगे क्या?
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