2. वैदिक गणित पाठ्यक्रम
वर्तमान पाठ्यक्रम में वैदिक गणित की दृष्टि से कक्षानुसार निम्नलिखित विषयों-उपविषयों का भी समावेश किया जाए :-
शिशु प्रथम :-
1. सूत्र - अवलोकनम् अथवा विलोकनम, एकाधिकेन व एकाधिकेन पूर्वेण, एकन्यूनेन पूर्वेण । 1. उल्टी गिनती, शून्य की कल्पना ।
2. अंकों की पहचान-समानता व असमानता के कारण, भ्रम एवं निवारण । (विभिन्न साधनों के कटआउट, अंगुली घुमाना, लिखना आदि ) रेत पर
3. बड़ा-छोटा, लंबा-नाटा, थोड़ा अधिक, मोटा-पतला, दूर-पास । (विभिन्न साधनों से)
4. आगे-पीछे, पहले - बाद में, अंदर बाहर की कल्पना ( विभिन्न साधनों से )
5. संख्यांक - पहला, दूसरा आदि (विभिन्न साधनों से )
6. परम मित्र कल्पना (1 का 9, 2 का 8, 3 का 7, 4 का 6, 5
का 5, ये परस्पर परम मित्र हैं एवं पूरक अंक हैं। ) 7. समय का ज्ञान - प्रातः, दोपहर, सायं, रात्रि |
8. मासों के नाम, दिनों के नाम
9. आकृतियों की पहचान धीरे-धीरे अंकों की आकृति तक पहुंचना । 10. गीत के माध्यम से सूत्र याद करना ।
11. एक-एक कंकड़ लेकर एकन्यूनेन पूर्वेण कराते हुए शून्य तक ले जाना एवं शून्य के चिह्न की प्राथमिक जानकारी । सारे क्रिया-कलाप गीत, कहानी व खेल के माध्यम से करना ।
शिशु द्वितीय
सूत्र - शिशु प्रथम के अनुसार
1. पुनरावृत्ति, दहाइयों में गिनती 1 से 100 तक गिनती (उल्टी भी )
2. गणित में उन का अर्थ - उन्नीस, उनतीस, उनसठ
3. कुछ अन्य आकृतियाँ ।
4. कुछ तिथियों के नाम - अमावस्या, पूर्णिमा ।
5. 1 से 10 तक जोड़ना, घटाना । (सूत्रों का प्रयोग )
कक्षा प्रथम :-
सूत्र - निखिलं नवतः चरमं दशतः एवं पहले के सूत्र
1. परम मित्र की सहायता से जोड़ना पूरक अंक की सहायता से 1 घटाना (2 में क्या जोड़ें कि 7 बन जाए ।)
2. निखिलं सूत्र का अर्थ (एक एक शब्द का) तथा अभ्यास ।
3. निखिलं की सहायता से घटाना (मौखिक )
4. संख्याओं के नाम 1-100 (मौखिक)
5. 2-2, 4-4, 55, 10-10 करके गिनना ।
6. आकृतियाँ
7. घड़ी में घंटे की सूई समय देखना । (केवल घंटे)
एकन्यून, एकाधिक, पूरक का अभ्यास,
8. संख्याओं को दुगुना करना ।
9. तुलना >, < =
10. क्रम ज्ञान
11. पहले, बाद में, बीच में 1 से 10 तक पहाड़े वैदिक गणित की रीति से ।
12. चढ़ता-उतरता क्रम ।
13. मुद्रा - सिक्के का ज्ञान (मौखिक) ।
14. हिन्दी अंक लेखन
कक्षा द्वितीय :-
सूत्र :- ऊर्ध्वतिर्यग्भ्याम् एवं पूर्व के सूत्र
1. पुनरावृत्ति
2. संख्या ज्ञान - 101 से 999, संख्या व नाम ।
3. योग 1 से 9 योगफल 9 से अधिक न हो, 9 से 99, योगफल 99 से अधिक न हो, 100 से 999 योगफल 999 से अधिक हो, योग की जांच विधि (9 पर विभाजित करने पर शेष )
4. पहाड़ा 11 से 20 तक ।
चार मास पश्चात् वैदिक गणित विधि बतलाना घटाना तीन अंकों तक (परम मित्र अंक, निखिल सूत्र )
5. घटाना तीन अंकों तक (परम मित्र अंक, निखिल सूत्र )
6. गुणा - एक अंक का एक अंक से दो अंकों की संख्याओं का
7. ऊर्ध्वं तिर्यक् एवं निखिलं से । शून्य और एक की विशेषता विनकुलम की कल्पना ।
8. मापों का ज्ञान एवं परस्पर विनिमय क्रियात्मक पद्धति से
(क) मुद्रा रुपए व पैसे
(ख) तौल ग्राम, कि० ग्राम -
(ग) लम्बाई- कि०मी०, मीटर, सेंटीमीटर
(घ) धारिता-लीटर, मि०ली०
(च) समय घंटा, मिनट, सेकण्ड
9. घड़ी एवं कैलेण्डर देखना पढ़ना
10. भिन्न की संकल्पना (1/2, 1/4, 1/8 ) दैनिक जीवन में उपयोग
11. ज्यामिति वृत्ताकार चौकोर, तिकोनी आकृतियाँ, गोलाकार, घनाकार, बेलनाकार (पर्यावरण में उपलब्ध वस्तुओं से)
कक्षा तृतीय :-
सूत्र वही
1. पुनरावृत्ति
2. संख्या ज्ञान पहचानना, पढ़ना, लिखना, स्थानीय मान, प्रसारित संकेतन शून्य की विशेषता, तुलना, हिन्दी और अंग्रेजी अंकों का - ज्ञान ।
3. जोड़ना
10,000 तक (विधियाँ पूर्ववत्) समस्यात्मक प्रश्न व उत्तर की जांच ।
4. व्यवकलन - 10,000 तक (विधियाँ पूर्ववत्) व समस्यात्मक प्रश्न । उत्तर की जाँच (11 से शेष विधि)
5. गुणा - शून्यांत गुणा, गुणा अधिकतम 3 अंक व गुणांक 2 अंक ।
व्यावहारिक प्रश्न विचलन का पूर्वाभ्यास (आधार के निकट की संख्याएँ
6. भाग -चिह्न का ज्ञान चारों
7. मूल क्रियाओं पर आधारित जोड़ने व घटाने के प्रश्न । मिश्रित प्रश्न ( निखिलं सूत्र) एक साथ हल करना ।
8. रोमन संख्याएँ 1 से 12 तक इनकी सीमाएँ, भारतीय पद्धति से तुलना ।
9. मापांक इकाइयाँ जोड़ना, घटाना व्यावहारिक प्रयोग । -
10. समय घड़ी देखना - 1/4, 1/2, 3/4 का ज्ञान ।
11. भिन्न अंश, हर का ज्ञान (अंश व हर 10 से बड़ा न हो) तुल्य भिन्न ।
12. ज्यामिति - रेखाखण्ड, किरण, रेखा । (सूत्र - अवलोकनम्) । कोण, समकोण, वर्ग, आयत, त्रिभुज एवं वृत्त, घन, घनाभ, बेलन, शंकू, गोला ।
कक्षा चतुर्थ
1. पुनरावृत्ति
2. गणना - एक करोड़ तक ( इकाई, दहाई
3. बिनकुलम् (4 अंकों की संख्या तक) अभ्यास ।
4. गुणा ऊर्ध्वतिर्यक् सूत्र (3 अंक x 3 अंक ) ।
5. गुणा - रेखांक परिचय (1 अंक x 1 अंक, 2 अंक x 2 अंक)
6. निखिलं सूत्र (भाजक 3 अंक), परावर्त्य (भाजक 2 भाग अंक), ध्वजांक (भाजक 3 अंक )
7. वर्ग एकाधिकेन पूर्वेण ।
8. लघुतम समापवर्त्य, महत्तम समापवर्तक
9. भिन्न – जोड़ना, घटाना (हर समान)
10. कूटांक परिचय (कादि नव .......) 1
11. विभाजनीयता 2.3.5.7.9.11.13 ( विलोकनम् व लिख कर )
(मौखिक प्रश्नों का आग्रह प्रत्येक कक्षा में)
कक्षा पंचम :-
सूत्र :-
1. पुनरावृत्ति
2. गुणा ऊर्ध्व तिर्यक् (4 अंक x 4 अंक)
3. भाग ध्वजांक भाज्य 45 अंक, भाजक 2 अंक (निखिलं ) - - 3 अंक
4. भिन्न - गुणा, भाग
5. साधारण ब्याज, समानुपात, प्रतिशत
6. विभाजनीयता 7, 11, 13
7. वर्ग (सभी विधियाँ इन्द्र योग छोड़कर)
8. क्षेत्रफल
9. घन की गणना
10. आयतन
11. कूटांक का प्रयोग मौखिक प्रश्नों पर सर्वत्र आग्रह हो ।
कक्षा षष्ठ :-
1. संख्याएँ
अंक, धनात्मक अंक, ऋणात्मक अंक, रेखांक, संख्या, आधार, उपाधार, परममित्र अंक, पड़ोसी अंक, निखिल अंक, चरम अंक।
2. जोड़ना, घटाना, गुणा, भाग की सामान्य जानकारी,
जोड़ना- उपसूत्र - शुद्धः
सूत्र - एकन्यूनेन पूर्वेण ।
गुणा-एकन्यूनेन पूर्वेण, एकाधिकेन पूर्वेण ।
आधार एवं उपाधार संख्या से विचलन विधि, ऊर्ध्वतिर्यग्भ्याम् विधि, दो अंकों, तीन अंकों वाली दो संख्याओं, तीन संख्याओं का आपस में गुणा ।
भाग- परावर्त्य योजयेत्, ऊर्ध्वतिर्यग्भ्याम् -ध्वजांक, एकाधिकेन पूर्वेण
3. गुणनखंड :-
3.1 विभाजनीयता
(2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 11, 13, 15, 17, 19, 23, 29 से )
3.2 महत्तम समापवर्तक-संकलन व्यवकलनाभ्यां विधि
महत्तम समापवर्तक (HCF या GCD) निकालने की एक अद्भुत वैदिक विधि है:
"संकलन व्यवकलनाभ्यां" (अर्थात् – जोड़ और घटाव के माध्यम से HCF निकालना)।
यह उपसूत्र वैदिक गणित का एक शक्तिशाली उपकरण है, विशेषतः तब जब दो संख्याओं का HCF ज्ञात करना हो। इसे अंग्रेज़ी में "By addition and subtraction" method भी कहा जाता है।
🔶 इस विधि का मूल सिद्धांत:
यदि दो संख्याओं का अंतर (या योग) और छोटी संख्या का HCF ज्ञात कर लिया जाए, तो वही दोनों संख्याओं का भी HCF होता है।
📘 यानी:
यदि A > B,
तो HCF(A, B) = HCF(A – B, B)
या
HCF(A, B) = HCF(A + B, B) — जब A + B को सरल बनाने की जरूरत हो।
🧠 क्यों काम करता है ये? (थोड़ा गणितीय तर्क)
यदि कोई संख्या A और B दोनों का समापवर्तक है, तो वह A – B का भी समापवर्तक होगी, क्योंकि A – B = A – (B × 1)
और इससे HCF घटते-घटते सबसे छोटी संख्या पर आ जाता है।
🔢 उदाहरणों के माध्यम से समझें:
✅ उदाहरण 1:
48 और 30 का HCF ज्ञात करें।
हम जानते हैं:
Step 1:
48 – 30 = 18
अब
👉 HCF(48, 30) = HCF(30, 18)
👉 30 – 18 = 12
👉 HCF(30, 18) = HCF(18, 12)
👉 18 – 12 = 6
👉 HCF(18, 12) = HCF(12, 6)
👉 12 – 6 = 6
👉 HCF(12, 6) = HCF(6, 6) = 6
🟢 उत्तर: 6
✅ उदाहरण 2:
HCF(84, 18)
Step-by-step:
84 – 18 = 66
66 – 18 = 48
48 – 18 = 30
30 – 18 = 12
18 – 12 = 6
12 – 6 = 6
अब दोनों संख्या समान हो गईं → HCF = 6
🎯 व्यावहारिक प्रयोग:
परीक्षा या मानसिक गणना में संख्याएँ बड़ी होने पर यह विधि तेजी से उत्तर तक पहुँचाती है, क्योंकि इसमें भाग करने की आवश्यकता नहीं होती, केवल घटाव (या जोड़) करना होता है।
🔁 इस विधि के फायदे:
✅ कोई भागफल नहीं निकालना
✅ केवल घटाव या जोड़ की क्रियाएँ
✅ बिना कलम उठाए मौखिक गणना भी संभव
✅ छोटे बच्चों को सिखाने में सरल
🧮 कुछ अभ्यास प्रश्न:
- HCF(36, 60) = ?
- HCF(121, 99) = ?
- HCF(105, 30) = ?
- HCF(144, 96) = ?
- HCF(225, 135) = ?
यदि आप चाहें, मैं इनका हल भी इस विधि से करके बता सकता हूँ।
📚 वैदिक गणित सूत्र – पुनः स्मरण:
संकलन व्यवकलनाभ्यां = By Addition and Subtraction
📌 यह केवल HCF में ही नहीं, अनुपातों को सरल करने, भिन्नों को घटाने, और अनुपातिक विचारों में भी सहायक होता है।
अगर आप चाहें तो मैं इसे चित्रों, इमोजी, या स्टोरी शैली में और भी रोचक ढंग से समझा सकता हूँ।
क्या आप चाहेंगे कि मैं इसे कम उम्र के बच्चों के लिए इमोजी व खेल विधि से समझाऊँ?
महत्तम समापवर्तक (HCF) — संकलन-व्यवकलनाभ्यां विधि से समझाना
(यह वैदिक गणित की एक सरल और प्रभावी पद्धति है, जिससे दो संख्याओं का HCF आसानी से निकाला जा सकता है।)
🌟 🔷 संकलन-व्यवकलनाभ्यां विधि क्या है?
यह वैदिक गणित का एक उपसूत्र है —
"संकलनं व्यवकलनाभ्यां वा"
जिसका अर्थ है — "जोड़ने या घटाने के द्वारा।"
इस विधि के अनुसार:
दो संख्याओं का HCF निकालते समय हम बड़ी और छोटी संख्याओं का योग या अंतर लेते हैं और उससे बार-बार HCF निकालते हैं।
🔢 कदम-दर-कदम प्रक्रिया:
मान लीजिए दो संख्याएँ हैं: a और b (जहाँ a > b)
-
पहले a और b का अंतर निकालो:
c = a - b
-
अब नए जोड़े बनाओ:
(b, c)
-
फिर से इन्हीं दो संख्याओं पर वही प्रक्रिया दोहराओ
जब तक दोनों संख्याएँ बराबर न हो जाएँ।
बराबर होते ही वही संख्या HCF होगी।
✅ उदाहरण 1: 36 और 60
चरण |
संक्रिया |
जोड़ा (a, b) |
1 |
60 – 36 = 24 |
(36, 24) |
2 |
36 – 24 = 12 |
(24, 12) |
3 |
24 – 12 = 12 |
(12, 12) |
🔚 जब दोनों संख्याएँ बराबर हो गईं = 12
🎯 HCF = 12
✅ उदाहरण 2: 84 और 66
चरण |
संक्रिया |
जोड़ा (a, b) |
1 |
84 – 66 = 18 |
(66, 18) |
2 |
66 – 18 = 48 |
(48, 18) |
3 |
48 – 18 = 30 |
(30, 18) |
4 |
30 – 18 = 12 |
(18, 12) |
5 |
18 – 12 = 6 |
(12, 6) |
6 |
12 – 6 = 6 |
(6, 6) |
🎯 HCF = 6
🧠 महत्त्वपूर्ण बातें:
- आप चाहें तो हर बार संख्याओं का योग लेकर भी प्रयोग कर सकते हैं, लेकिन अंतर (difference) लेना अधिक सरल और कम संख्यात्मक प्रयास वाला होता है।
- यह पद्धति बच्चों को आसानी से सिखाई जा सकती है क्योंकि यह बार-बार घटाना सिखाती है — जो प्राइमरी लेवल के बच्चों के लिए सरल है।
🧮 यह पद्धति कहाँ उपयोगी है?
- गणित की प्रतियोगी परीक्षाओं में
- मौखिक गणना (Mental Maths) में
- जहाँ बार-बार बड़े अंशों के HCF लेने हों
- वैदिक गणना से तेज हल करने में
📚 वैदिक गणितीय सूत्र याद रखने के लिए:
🔷 "संकलनं व्यवकलनाभ्यां वा"
👉 जोड़ो या घटाओ और क्रमिक रूप से दोहराओ
👉 जब दोनों संख्याएँ समान हो जाएँ, वही HCF होगा।
यदि आप चाहें तो मैं इस पर एक रंगीन चार्ट, अभ्यास पुस्तिका, या वीडियो स्क्रिप्ट भी बना सकता हूँ।
क्या आप कुछ और उदाहरण या अभ्यास चाहेंगे?
3.3 लघुतम समापवर्त्य - विलोकनम् (विभाजनीयता)
1. बीजगणित :- गुणा ऊर्ध्वतिर्यग्भ्याम् विधि
2. भाग - परावर्त्य योजयेत्
3. सरल समीकरण - विलोकनम्, शून्यं साम्यसमुच्चये
4. क्षेत्रमिति :-
क्षेत्रफल, पृष्ठीय क्षेत्रफल, आयतन, कमरे की चारों दीवारों का पृष्ठीय क्षेत्रफल
कक्षा सप्तम :-
अंकगणित
गुणा, वर्ग, वर्गमूल, बीजांक से जाँच
बीजगणित
व्यंजकों का गुणनखण्ड (आद्यम् आद्येन अन्त्यम् अन्त्येन ) द्विबीजीय व्यंजकों के गुणनखण्ड 1.
कक्षा अष्टम :-
अंकगणित :-
1. (क) वर्ग - यावदूनं तावदूनीकृत्य वर्गं च योजयेत्
(ख) वर्गमूल - 4 अंकों तक की संख्या का विलोकनम् से (पूर्ण वर्ग का)
2. (क) घन-वैदिक गणित पद्धति
(ख) घनमूल - 6 अंकों तक की संख्या का विलोकनम् से (पूर्ण घन का )
3. चक्रवृद्धि ब्याज में गुणा का उपयोग
4. तीन संख्याओं का, तीन-तीन अंकों का गुणा । (आधार एवं निखिलं सूत्र का उपयोग )
बीजगणित
1. गुणनफल
2.बीजीय व्यंजकों के गुणनखण्ड, ऊर्ध्वतिर्यग्भ्याम् विधि, द्वन्द्व योग
3. बीजीय व्यंजक के भाग
3.1 एकपदीय से परावर्त्य योजयेत्
32 बहुपदीय से भी
4. सरल और युगपत समीकरण
(क) सरल समीकरण (शून्यं साम्य समुच्चये )
(ख) युगपत् समीकरण (ऊर्ध्वतिर्यग्भ्याम् एवं परावर्त्य योजयेत्)
ax² + bx + c (विलोकनम् द्वारा)
a² – b² (संकलन व्यवकलनाभ्याम् विधि)
रेखागणित
1. बोधायन संख्याएँ
2. Which set gives a right-angled triangle :-
a. 5, 12, 14
b. 7, 24, 26
C. 8, 15, 18
d. 9, 40. 40
ध्यान रहे कि उपर्युक्त पाठ्यक्रम अनम्य (Rigid) नहीं है । यह लचीला है और प्रत्येक प्रांत अपने सामान्य गणित पाठ्यक्रम के अनुसार आवश्यक परिवर्तन कर सकता है ।
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