4. वैदिक गणित के 16 सूत्र
वैदिक गणित के 16 सूत्र इस प्रकार हैं........
- एकाधिकेन पूर्वेण
- निखिलम् नवतश्चर्मं दशतः
- उर्ध्वतिर्यग्भ्याम्
- परावर्त्य योजयेत्
- शून्यं साम्य-समुच्चये
- आनुरुप्ये शून्यं अन्यत्
- संकलन व्यवकलनाभ्यां
- पूरणापूर्णाभ्याम्
- चलनकलनाभ्याम्
- यावदूनम्
- व्यष्टि-समष्टिः
- शेषाण्यङ्केन चरमेण
- सोपान्त्यद्वयमन्त्यं
- एक न्युनेन पुर्वेण
- गुणितसमुच्चयः
- गुणकसमुच्चयः
वैदिक गणित के सूत्र संस्कृत में हैं। इन्हें समझाने के लिए हम आपको इनका अर्थ दे रहे हैं, जो आपको टिप्स पर याद होनी चाहिए या आपको अच्छे प्रकार समझ आने चाहिए।
वैदिक गणित के 16 सूत्र वह उनके अर्थ
1. एकाधिकेन पूर्वेण
शाब्दिक अर्थ है :
'पहले वाले की तुलना में एक अधिक से'।
2. निखिलं नवतः चरमं दशतः
शाब्दिक अर्थ :
सभी 9 में से, अंत वाला 10 में से
शाब्दिक अर्थ :
सभी 9 में से, अंत वाला 10 में से
3.ऊर्ध्व-तिर्यग्भ्याम् (vertically and crosswise):
शाब्दिक अर्थ : ऊर्ध्वाधर (सीधा) और तिर्यक (तिरछा)
शाब्दिक अर्थ :
पक्षान्तरण तथा अनुप्रयोग
शाब्दिक अर्थ :
जब समुच्चय एक समान हो तो उस समुच्चय का मान शून्य होता है।
शाब्दिक अर्थ :
प्रयोग में इसका अर्थ है - यदि एक अनुपात में है तो दूसरा शून्य है।
शाब्दिक अर्थ :
योग (जोड़ने) तथा घटाने द्वारा
पूर्ण या अपूर्ण(बिना पूर्ण) क्रियाओं द्वारा करने से।
शाब्दिक अर्थ :
चलन-कलन की क्रियाओं द्वारा।
10.यावदूनम
शाब्दिक अर्थ :
जितने का विचलन (कमी / अधिकता) है / जितना कम / अधिक है।
11.व्यष्टिसमष्टिः
शाब्दिक अर्थ :
समष्टि (समूह) से व्यष्टि (एकल) में बदलकर।
12.शेषाण्यङ्केन चरमेण
शाब्दिक अर्थ :
शेष को अंतिम अंक के द्वारा।
13.सोपान्त्यद्वयमन्त्यम्
शाब्दिक अर्थ :
अंतिम तथा उपान्तिम का दुगुना।
14.एकन्युनेन पूर्वेण
शाब्दिक अर्थ :
पूर्व वाले से एक कम।
15. गुणितसमुच्चयः
अर्थ: गुणनखंडो के गुणांकों के योग का गुणनफल, गुणनफल के गुणांकों के योग के बराबर होता है।
a(x + y + z) = ax + ay+ az = m
16. गुणक समुच्चयः
अर्थ: यदि द्विघात व्यंजक दो द्विपदों (x+a) तथा (x+b) का गुणनफल है,तब इसका प्रथम अवकलन दोनों गुणनखण्डों का योग होता है आदि आदि*।
ax² + bx + c = 0
(x)² + (–b/a)x + c/a = 0
(if and when a quadratic expression is the product of the binomials (x+a) and (x+b), its first differential is the sum of the said two factors and so on.)
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