विनजीत वैदिक अंकगणित पुस्तक || 1 || अध्याय 08.02.2 || वैदिक विधि से संख्याओं को घटाना
Vinjeet Vedic Arithmetic Book || 1 || Chapter 08.02.2 || Vedic method of subtracting numbers
हम जानते हैं कि दो संख्याओं को घटाने की क्रिया उन संख्याओं को परस्पर ऊपर- नीचे लिखकर की जाती है, जिसमें घटने वाली संख्या को सदैव नीचे लिखा जाता है।
साधारण गणित में हमने देखा है कि यदि घटने वाली संख्या के अंक, ऊपर वाली संख्या के स्थानीय अंकों से छोटे होते हैं तो घटाने की क्रिया सामान्य ढंग में कर ली जाती है।
We know that the process of subtracting two numbers is done by writing those numbers above and below each other, in which the number being decreased is always written below.
In simple mathematics, we have seen that if the digits of the number to be reduced are smaller than the local digits of the number written above, then the process of subtraction is done in the usual manner.
Example
क्रिया
4 7 इकाई में: 7–5= 2
–2 5 दहाई में: 4–2= 2
2 2
Example
Process
4 7 In Unit: 7–5= 2
–2 5 In Ten's: 4–2= 2
2 2
परन्तु यदि घटने वाला कोई अंक, अपने ऊपर वाले स्थानीय अंक सेव होता है तो हाँसिल लेकर घटाने की क्रिया की जाती है।
वैदिक गणित में हॉसिल का प्रयोग न करके उप सूत्र शुद्धः का प्रयोग किय जाता है। यह शुद्धीकरण रीति कहलाती है।
But if any digit to be subtracted saves the local digit above it, then the process of subtraction is done by taking the result.
In Vedic mathematics, instead of using Hosil, the sub formula Shuddha is used. This is called purification method.
शुद्धीकरण रीति से घटाना :
(1) यदि घटने वाला अंक अपने ऊपर वाले स्थानीय अंक से छोटा होता। तो उसे सामान्य रूप से घटाकर उत्तर में लिख देते हैं।
(ii) यदि घटने वाला कोई अंक अपने ऊपर वाले स्थानीय अंक से बा होता है तो उस अंक को 10 में से घटाकर' उसका पूरक अंक ज्ञात कर लेते हैं जि शुद्धीकरण कहा जाता है तथा उस अंक के ठीक बाँयी ओर स्थित अंक पर 'शुद्ध विन्सु लगा देते हैं। यह शुद्ध बिन्दु उस अंक का मान एक बढ़ा बेता है अर्थात् 3=3+1 = 4 पढ़ा जाता है।
(iii) पूरक अंक को ऊपर वाले अंक में जोड़ देते हैं। इस प्रकार जो अंग प्राप्त होता है उसे उत्तर में लिख देते हैं।
आवश्यक नोट-
यदि किसी अंक के बांयी ओर कोई भी अंक न हो त वहाँ 0 मानकर उस पर शुद्ध बिन्दु लगाया जाता है।
उदाहरणार्थ -
5 4 8
–3 7 9
हल :
इकाई का अंक घटाना :
(i) यहाँ इकाई का अंक 9, ऊपर वाले अंक 8 से बड़ा है; इसलिए शुद्धि करण करना होगा ।
(ii) 9 को 10 में से घटाने पर, पूरक अंक = 10 – 9 = 1
(iii) पूरक अंक 1 को ऊपर वाले अंक 8 में जोड़ने पर, 8+1=9 जिसे उत्तर में इकाई स्थान पर लिख देंगे ।
(iv) 9 के बाँयी ओर स्थित अंक 7 पर शुद्ध बिन्दु लगा देंगे ।
5 4 8
–3 •7 9
9
दहाई का अंक घढाना :
(i) बहाई के अंत •7 पर शुद्ध बिन्दु लगा है; इसलिए इसे एक अंक से बढ़ा देंगे।
दहाई का अंक =•7 =7+1 =8 जिसे ऊपर के अंक 4 में से घटाना होगा।
(ii) अब दहाई का अंक 8, ऊपर वाले अंक 4 से बड़ा है; इसलिए मुद्धी- करण करना होगा।
(iii) 8 को 10 में से घटाने पर, पूरक अंक = 10 –8 = 2
(iv) पूरक अंक 2 को ऊपर वाले अंक 4 में जोड़ने पर, 4+2=6 जिसे उत्तर में दहाई के स्थान पर लिख देंगे ।
(v) 7 के बाँयी ओर स्थित अंक 3 पर शुद्ध बिन्दु लगा देंगे ।
5 4 8
–•3 •7 9
6 9
सैकड़ा का अंक घटाना :
(i) सैकड़ा के अंक 3 पर शुद्ध बिन्दु लगा है; इसलिए इसे एक अंक से बढ़ा देंगे ।
सैकड़ा का अंक =•3 =3+1 =4
(ii) अब सैकड़ा का अंक 4, ऊपर वाले अंक 5 से छोटा है, घटाने पर, 5–4=1 जिसे उत्तर में सैकड़ा के स्थान पर लिख देंगे ।
5 4 8
–•3 •7 9
1 6 9
अतः 548 – 379 = 169
उत्तर
विनकुलम् रीति से घटाना :
548 – 379
हल : इकाई के स्थान पर : 8–9=–1=1'
दहाई के स्थान पर : 4–7= –3=3'
सैकड़ा के स्थान पर : 5–3= 2
5 4 8
–3 7 9
2 3' 1'
अब विनकुलम् संख्या 23'1' को सामान्य संख्या में बदलने पर, 231
= *2 (9–3) (10–1)
=169
अतः अभीष्ट अन्तर = 169
नोट- विनकुलम् का अभ्यास होने पर इस विधि द्वारा संख्याओं को सरलता- पूर्वक घटाया जा सकता है।
उत्तर
विनकुलम् संख्याओं का घटाना :
4262'14' – 22'74'43'
हल :
इकाई के स्थान पर –4–3' = 4–(–3) =–4+3 = –1= 1'
वहाई के स्थान पर : 1–4= –3 = 3'
सैकड़ा के स्थान पर : –2–4' =2–(–4)=–2+4 =2
हजार के स्थान पर : 6–7= –1=1'
दस हजार के स्थान पर : 2–2'=2–(–2)=2+2= 4
लाख के स्थान पर : 4 –2 = 2
4 2 6 2' 1 4'
–2 2' 7 4' 4 3'
2 4 1' 2 3' 1'
विनकुलम् संख्या 241' 23'1' को सामान्य संख्या में बदलने पर, 241' 23'1' = 2*4 (10–1) *2(9–3) (10–1)
= 239169
अतः अभीष्ट अन्तर = 239169
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