वि० वैदिक अंकगणित पु० || 1 || अध्याय 08.03.3 || वैदिक विधि से विनकुलम् युक्त संख्याओं का योग

विनजीत वैदिक अंकगणित पुस्तक || 1 || अध्याय 08.03.3 || वैदिक विधि से विनकुलम् युक्त संख्याओं का योग

विनकुलम् युक्त संख्याओं के योग में दो प्रकार की स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं, जो निम्न है-

पहली स्थिति 
जब किसी स्तम्भ के धनात्मक अंकों का योग 9 से अधिक आ जाय : 
माना किसी स्तम्भ के धनात्मक अंक 5 और 7 हैं जिनका योग 12 है।

इस दशा में, उस स्तम्भ के ऊपरी धनात्मक अंक पर शुद्ध बिन्बु लगा देते है तथा योग (12) में इकाई का अंक 2 उत्तर में लिख देते हैं। यह क्रिया शुद्ध अथवा शुद्धिकरण कहलाती है। शुद्ध बिन्दु बायीं ओर के अंक में एक की वृद्धि कर देता है।

अतः बायीं ओर के स्तम्भ का जो भी ऊपरी अंक हो उसमें 1 जोड़कर इस स्तम्भ के अंकों का योग ज्ञात करते हैं ।

दूसरी स्थिति
अब किसी स्तम्भ के ऋणात्मक अंकों का योग 9 से अधिक आ जाय : 

माना किसी स्तम्भ में विनकुलम् अंक (ऋणात्मक अंक) 5 और 7 हैं।

अब 5'+7'= –5+(–7)=–12= (12)' (यहाँ शुद्धीकरण करना होगा) इस स्थिति में, उस स्तम्भ के ऊपरी विनकुलम् अंक पर एक बिन्दु लगा देते 'है तथा योग (12) में इकाई का अंक 2 उत्तर में लिख देते हैं।

शुद्ध बिन्दु बायीं ओर के अंक में 1 की वृद्धि कर देता है। अतः 'बाँयी ओर के स्तम्भ का जो भी ऊपरी अंक हो उसमें 1 जोड़कर इस स्तम्भ के अंकों का योग ज्ञात करते हैं।

(पहली स्थिति पर आधारित)
उदाहरण -1. 42'1'0'1' +24'3'06

         4 2' 1' 0' 1' 
       +2 4' 3' 0  6  
         6 6' 4' 0  5

हल : 
इकाई के स्थान पर : 1'+6=–1+6=5
दहाई के स्थान पर : 0'+0=–0+0=0
सैकड़ा के स्थान पर : 1'+3'=(–1)+(–3)= –4=4'
हजार के स्थान पर : 2'+4'=(–2)+(–4)=–6=6'
दस हजार के स्थान पर : 4+2=6

विनकुलम् संख्या 66'4'05 को सामान्य संख्या में बदलने पर, 66405= •6(9–6)(10–4)05 =53605 अतः अभीष्ट योग =66'4'05 = 53605

(पहली स्थिति पर आधारित)
उदाहरण-2.
         4 3' 5 0 4' 
       +5 4' 7 2 3  
                4' 2 1'

इकाई के स्थान पर : 4'+3=–4+3=–1=1'
दहाई के स्थान पर : 0+2 = 2
सैकड़ा के स्थान पर : 5+7= 12, यहाँ शुद्धीकरण होगा। अतः 5 पूर्व अंक 3' के ऊपर शुद्ध बिन्दु लगा देंगे। तथा इकाई का अंक 2 उत्तर में लिख देंगे। ध्यान रहे की शुद्ध बिंदु का अर्थ +1 (प्लस वन) होता है। 

         4 •3' 5 0 4' 
       +5  4' 7 2 3  
             6' 2 2 1'
हजार के स्थान पर : •3'+4'=(+1–3)+(–4)=(–2)+(–4)=–6=6'
दस हजार के स्थान पर : 4+5=9
         4 •3' 5 0 4' 
       +5  4' 7 2 3  
         9 6' 2 2 1'
विनकुलम् संख्या 96'221' को सामान्य संख्या में बदलने पर,

96'221'= •9(10–6) 2 •2(10–1)=84219

अतः अभीष्ट योग = 96'221= 84219

उदाहरण -2. 
          •'3 •'5' 6' 2 
       +  4    4' 5' 3'   
            6  0   1'  1' 
(दूसरी स्थिति पर आधारित)

हल : 
इकाई के स्थान पर : 2+3'=2–3=–1=1'
दहाई के स्थान पर : 6'+5'=–6–5= –11=(11)'

(यहाँ शुद्धीकरण होगा)

अतः इस स्तम्भ के ऊपर वाले अंक 5 पर एक बिन्दु लगा देंगे तथा उत्तर में इकाई का अंक 1' लिख देंगे ।

सैंकडे के स्थान पर : •'5' पर बिन्दु लगा है। अतः •'5' या –1–5=–6 या 6' में 4' जोड़ने पर, 6'+4'=(10)'
 (यहाँ शुद्धीकरण होगा)

अतः इसके आगे वाले स्तम्भ (हजार) के ऊपर वाले अंक 3 पर एक बिन्दु लगा देंगे तथा उत्तर में इकाई का अंक 0 लिख देंगे ।

हजार के स्थान पर : •'3 पर बिन्दु लगा है। अतः बाँयी ओर के अंक •'3 या –1+3=2 में 4 जोड़ने पर 6 प्राप्त होता है।

विनकुलम् संख्या 601'1' को सामान्य संख्या में बदलने पर,

बिनकुलम संख्या 601'1' को सामान्य संख्या में बदलने पर, 601'1'=*6(9–0)(9–1)(10–1)=5989 
अतः अभीष्ट योग => 601'1' = 5989





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