G. 04.03 Geometry (9) || ज्यामितीय || Polygon (3) Geometrical Figures (Part 3)


G. 04.03 Geometry (9) || ज्यामितीय || Polygon (3) Geometrical Figures (Part 3)

By
Om Jitender Singh Tomar 
(ॐ जितेन्द्र सिंह तोमर)
M.A., B.Ed., DNYS, MASSCOM
11/1/10/1/2022

Figures in Geometry

There are four types of figures in geometry 

आयाम या विमा 

पहले चार द्कि के आयामों को चित्रण

गणित तथा भौतिक विज्ञान के अंतर्गत किसी भी वस्तु या दिक या स्पेस के उतने आयाम लिखे जा सकते है जितने कि उसकेे निर्देषांक या कोओरडीनेट्स हैं। 

शून्य आयामी: - यह वह आयाम (विमा) है जिसमें न तो मोटाई है और न ही चैडाई। इस लिए इस आयाम को शून्य आयाम कहते हैं। एक डोट या बिंदु शून्य आयाम का एक न्यायोचित उदाहरण है। हम जानते हैं कि एक डोट को लिखने के लिए किसी दिक या स्पेस की आवष्यकता नहीं होती इसलिए यह शून्य आयामी और जीरो डाॅयमेशनल या जीरो डी. कहा जाता है।

Point: A sharp and fine mark on the paper is called Point. It is represented by the capital letters of the English alphabet.

बिन्दु: पेंसिल की पतली नोंक से किसी कागज पर लगाया गया चिह्न बिन्दु कहलाता है। इसे अंग्रेजी के बडे अक्षरो से दर्षाते हैं।

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A        B        C

इस आयाम को दर्शान के लिए किसी निर्देशाक अक्षांश अथवा देशांतर की आवशकता नहीं होती है। इसलिए इसे शून्य आयामी या जीरो डायमेंशनल कहते हैं। 

एक आयामी या एकविमीय:- वह आकृति जिसमें एक ही आयाम होता है अर्थात वे अकृतियां जो एक ही आयाम में लिखी या बनाई जाती हैं। एक आयामी आकृतियां कहलाती है। जैसे रेखा, किरण, रेखाखंड आदि। इनमें केवल एक ही आयाम केवल लंबाई होती है। इसलिए इन्हे एक आयामी या वन डाॅयमेशनल या 1D कहा जाता है।

इस आयाम को दर्शान के लिए केवल एक ही प्रकार के निर्देषशांक अक्षांश अथवा देशांतर की आवशकता होती है। इसलिए इसे एक आयामी या वन डाॅयमेशनल कहते हैं। इसी प्रकार हम कह सकते हैं कि किसी रेखा, किरण या रेखा खंड को दर्शान कि लिए केवल एक ही प्रकार के निर्देशांक अक्षांश या देशांतर में से किसी एक की ही आवशकता होती है। इसलिए इसे एकआयामी या वन डायमेंशनल या 1D सतह या तल कहते हैं। 

No coordinate latitude or longitude is required to represent this dimension. Hence it is called zero dimensional or zero dimensional.

One Dimensional or One Dimensional:- A figure that has only one dimension i.e. those figures which are written or created in the same dimension. These are called one dimensional figures. Like line, ray, line segment etc. They have only one dimension, only length. That's why they are called one dimensional or one dimensional or 1D.

To represent this dimension, only one type of coordinate, latitude or longitude, is needed. That's why it is called one dimensional or one dimensional. Similarly, we can say that to represent a line, ray or line segment, only one type of coordinate is needed, either one of the latitude or longitude. Therefore it is called one dimensional or one dimensional or 1D surface or plane.


Ray: A line, which has one end point, is called ray. It has only one arrow on one end.

किरण: ऐसी रेखा जो एक बिन्दु से प्रारम्भ होती है। किरण कहलाती है। इसके केवल एक सिरे पर तीर का निशान होता है। 

Line: A line, which has no length, is called line. It has no end point but have two arrows on both ends. Straight line simply called a line. It has arrows on both ends.

रेखा: एक ऐसी रेखा जिसकी लम्बाई अन्नंत होती है, रेखा कहलाती है। एक सीधा रेखा को साधारणतया रेखा कहा जाता है। इसके दोनों सिरों पर तीर के निशान होते हैं। 


Line Segment: A part of the line between two points is called line segment. It has two end points. One only one line can be drawn through two points. And we can write it as side AB or BA and for second line PQ or QP.

रेखाखंड: रेखा पर स्थित किन्ही दो बिंदुओं के बीच के हिस्से को रेखाखंड कहते हैं। किन्ही दो बिन्दुओं से केवल एक और केवल एक ही रेखा खीची जा सकती है। किसी रेखा के दो अंत बिंदु होते हैं। हम इसे AB और BA के रूप में लिख सकते है। दूसरी रेखा को PQ और QP के रूप में लिख सकते है।

द्विआयामी या द्विविमीय:- वह आकृति जिसमें दो आयाम लंबाई और चैड़ाई होते है अर्थात वे अकृतियां जो दो आयामों में लिखी या बनाई जाती हैं, द्विआयामी आकृतियां कहलाती है। जैसे वृत, त्रिभुज, आयत, वर्ग आदि। इन्हे टू डाॅयमेशनल या 2D भी कहा जाता है।  

इस आयाम को दर्शाने के लिए दो प्रकार के निर्देशांक अक्षांश अथवा देशांतर की आवश्यकता होती है इसलिए इसे द्विआयामी या टू डाॅयमेषनल कहते हैं। इसी प्रकार हम कह सकते हैं कि किसी वृत, त्रिभुज, आयत, वर्ग आदि को दर्शाने कि लिए केवल दो प्रकार के निर्देशांक अक्षांश तथा देशांतर दोनो की आवश्यकता होती है। इसलिए इसे दो आयामी या टू डायमेंशनल सतह या 2D तल कहते हैं। 

त्रिआयामी या त्रिविमीय:- वह आकृति जिसमें तीन आयाम लंबाई, चैड़ाई और ऊँचाई होते है अर्थात वे अकृतियां जो तीन आयामों में लिखी या बनाई जाती हैं। त्रिआयामी आकृतियां कहलाती है। जैसे घन, घनाभ, शंकु, गोला, प्रिज्म तथा पिरेमिड आदि। थ्री डाॅयमेशनल या थ्री डी. 3D भी कहा जाता है। 

त्रिविमीय आकृतियों को संक्षेप में 3D आकृतियाँ कहा जाता है। इसके फलक, किनारे और शीर्ष होते हैं।

 

     

3D आकृतियों से संबंधित कुछ अन्य परिभाशाएं

Plane: The flat, straight and smooth surface is called plane. Circular and spherical shape is called a curved surface. 

तल: एक चिकने, चपटे व सीधे सममतल को तल कहते हैं। घुमावदार तल को वक्राकृति कहलाती है।

Face: The flat surface is called face.

तल या फलक: एक चिकने, व सपाट सतह को तल या फलक कहते हैं। 

Edge: Where two faces meet is called edge.

किनारा: जहाँ पर दो तल या फलक मिलते है। वह स्थान किनारा कहलाता है।


शीर्ष: दो किनारों के मिलान स्थल को षीर्श बिन्दू या शीर्ष कहते हैं।

Vertex: The end of the edge is called vertex.

For the cuboids with side l, b and h. 

l, b  तथा h विमा वाले घनाभ के लिए 


आसन्न भुजाएँ (adjacent sides): दो भुजाएँ जिनमें एक उभयनिष्ठ अंत बिंदु (common end point) हो बहुभुज की आसन्न भुजाएँ (adjacent sides) कहलाती हैं।

आसन्न शीर्ष (adjacent vertices) : बहुभुज की एक ही भुजा के अंत बिंदु आसन्न शीर्ष (adjacent vertices) कहलाते हैं। शीर्ष E और D आसन्न शीर्ष हैं,

विकर्ण (diagonals): उन शीर्षों को जो आसन्न नहीं हैं, मिलाने से बने रेखाखंड बहुभुज के विकर्ण (diagonals) कहलाते हैं।

भुजाएँ (Arms ; sides): किसी बहुभुज के कोणों को बनाने वाली दोनों किरण उसकी भुजाएँ (Arms ; sides) कहलाती हैं। 

शीर्ष (vertex) :भुजओं का उभयनिष्ठ बिंदु कोण का शीर्ष (vertex) कहलाता है।

घन का प्रत्येक ऊपरी तल वर्गाकर पृष्ठ एक फलक है। इसके दो फलक एक रेखाखंड में मिलते हैं, जो घन का एक किनारा कहलाता है। तीन किनारे एक बिंदु पर मिलते हैं, जो घन का शीर्ष कहलाता है। प्रत्येक ठोस बहुभुजीय क्षेत्रों से मिलकर बना है, जो उसके फलक कहते हैं। ये फलक किनारों या कोरों में मिलते हैं, जो रेखाखंड हैं तथा ये किनारे शीर्षों में मिलते हैं, जो बिंदु हैं। ऐसे ठोसों को बहुफलक या बहुफलकी कहते हैं।

बेलन, शंकु और गोले में कोई सीध किनारा नहीं होता है। शंकु का आधर एक वृत्त है। बेलन का आधर भी एक वृत्त है। बेलन का ऊपरी सिरा आधर जैसा एक सर्वसम वृत्त है। निःसंदेह, गोले का कोई फलक नहीं है। 


किनारे, षीर्श तथा तलों में संबंध को दर्षाने वाला सूत्र 

ऑयलर सूत्र (Euler's Formula) : संबंध F + V = E + 2, अर्थात् (F + V – E = 2) को सर्वप्रथम ऑयलर ने प्राप्त किया था इसलिए यह संबंध ऑयलर सूत्र कहलाता है। यह सूत्र प्रत्येक प्रकार के बहुफलक के लिए सत्य है।

उत्तल बहुफलक: आपको उत्तल बहुभुज की अवधारणा के बारे में याद होगा। उत्तल बहुफलक की अवधरणा भी उसी प्रकार की है।

सम बहुफलक: एक बहुफलक तब सम बहुफलक कहलाता है जब उसके सभी फलक सर्वांगसम सम बहुभुजों से बने हों तथा प्रत्येक शीर्ष पर मिलने वाले फलकों की संख्या समान हो।

एक प्रिज्म (prism)  के दो फलक त्रिभुज के आकार के होते हैं। इसलिए यह प्रिज्म एक त्रिभुजाकार पिज्म (triangulur prism) कहलाता है।

यह त्रिभुजाकार फलक इसका आधर  (base)  भी कहलाता है। इस प्रिज्म के दो सर्वसम (identical) त्रिभुजाकार फलक हैं। एक आधर और दूसरा ऊपरी सिरा (top) कहलाता है। इन दोनों फलकों के अतिरिक्त अन्य फलक समांतर चतुर्भुज हैं। यदि प्रिज्म का आधर आयताकार हो, तो यह प्रिज्म एक आयताकार (rectangular) प्रिज्म कहलाता है। आयताकार प्रिज्म के लिए क्या आपको याद है कि एक अन्य नाम क्या है?

एक पिरामिड वह आकार है जिसमें आधर का फलक किसी भी बहुभुज के आकार का हो सकता है और शेष फलक त्रिभुजाकार होते हैं। सामने की आकृति में एक वर्ग पिरामिड (square pyramid) का चित्र दिखाया गया है। इसका आधर एक वर्ग है। 



        


        


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