A 43. सामान्य अंकगणित (दशमलव भिन्नात्मक संख्याएं) [भाग 02 दशमलव भिन्न]

A 43. सामान्य अंकगणित (दशमलव भिन्नात्मक संख्याएं) [भाग 02 दशमलव भिन्न]

लेखक
ॐ जितेन्द्र सिंह तोमर
M.A., B.Ed., DNYS, MASSCOM
13/5/12/11/2021

A 39. सामान्य अंकगणित (दशमलव भिन्नात्मक संख्याएं) [भाग 02 दशमलव भिन्न]

दशमलव भिन्न 

दशमलव अंकन पद्धति में भिन्न लिखने का दूसरा ढंग है, जो बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ है। इस पद्धति में इकाई के दसवें, सौवें, हजारवें भाग को एक बिंदु के दाई ओर लिखकर प्रकट करते हैं। इस बिंदु को 'दशमलव बिंदु' और भिन्न को 'दशमलव भिन्न' कहते हैं, जैसे-

5.764 = 5 + 7/10 + 6/100 + 4/1000

दशमलव भिन्न को जोड़ने या घटाने के नियम वे ही हैं जो साधारण संख्याओं के लिये हैं। गुणा का नियम यह है कि संख्या को साधारण संख्याओं की तरह गुणा कर गुणनफल में दशमलव बिंदु उतने अंकों के पहले लगाते हैं जो गुणक और गुण्य के दशमलव के बाद के स्थानों का जोड़ होता है, जैसे 4.567 x 3.0024 = 13.7119608 पहले 4,567 और 30,024 का गुणा करें और दाईं ओर से 3+4 स्थान गिनकर दशमलव लगाएँ।

वर्गमूल निकालते समय इसका प्रयोग अपरोक्ष रूप से बहुत पहले (ईसा से लगभग 1,500 वर्ष पूर्व) होता रहा है, जैसे 5 वर्गमूल निकालने तक के लिये 50,000 का वर्गमूल निकालकर फल को 100 से भाग देते हैं।

बहुत छोटी या बहुत बड़ी संख्याओं का निरूपण 

आजकल छोटी और अत्यधिक बड़ी संख्याओं का प्रयोग होता है। इनको सरलता से घात पद्धति से व्यक्त करते हैं तथा इन्हें इस प्रकार लिखते हैं: 0.000003 = 3 x 10-6 या 3,40,000 = 3.4 x 5 इस प्रकार लिखने से बड़ी बड़ी संख्याएँ सूक्ष्म रूप में लिखी जा सकती हैं और मस्तिष्क में संख्या के संनिकट परिणाम का आभास तुरंत हो जाता है।

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