OSE 08 Vedic Maths || Fast Friends, Base & Complement परममित्र अंक, आधार व पूरक
लेखक

ॐ जितेन्द्र सिंह तोमर
(M.A., B. Ed., MASSCOM, DNYS )
(Specialist in Basic and Vedic Maths)
OSE 08 Vedic Maths || Fast Friends, Base & Complement परममित्र अंक, आधार व पूरक
प्रारम्भ अंको की मित्रता से करते हैं
परममित्र अंक :
अंको में परम मित्रता होती है तथा वे कठिन परिस्थिति मे अपने मित्र अंको की सहायता करते हैं।
आइए देखें कि किन अंकों मे मित्रता होती है -
9 का मित्र 1 होता है।
8 का मित्र 2 होता है।
7 का मित्र 3 होता है।
6 का मित्र 4 होता है तथा
5 का मित्र 5 होता है।
उपरोक्त मित्र अंकों का अवलोकन करने पर ज्ञात होता है कि जिन दो अंको का योग 10 हो वे आपस मे मित्र होते हैं।
इन पर मित्रों को अच्छी प्रकार से पहचान लीजिए यह आपको घटाने के वक्त काम आएंगे।
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आधार
आधार– वैदिक गणित में आधार एक महत्वपूर्ण अंक है जो 10 या उसकी घात अर्थात पावर रूपी संख्या के निकटवर्ती रूप में लिया जाता है।
यह 10 की पावर 0 (जीरो) को छोड़कर सभी पावर के रूप में लिया जा सकता है क्योंकि 10 की पावर जीरो का मान 1(एक) होता है और किसी भी संख्या का आधार 1(एक) नहीं लिया जा सकता।
10⁰ = 1
10¹ = 10
10² = 100
10³ = 1000
10⁴ = 10000
* 1 से 20 तक की संख्याओं का आधार 10 लिया जाता है।
* 91 से 110 तक की संख्याओं का आधार 100 लिया जाता है।
* 991 से 1010 तक की संख्याओं का आधार 1000 लिया जाता है।
* 9991 से 10010 तक की संख्याओं का आधार 10000 लिया जाता है।
इसी प्रकार हम आधार को बढ़ाते चले जाते हैं।
दूसरे शब्दों में आधार वह संख्या है जो संख्या की गिनती के बराबर शून्य के आगे एक लगाने पर प्राप्त होती है।
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पूर्वोत्तमांक वे चरमांक में अंतर
चरमअंक इकाई के अंक को कहते हैं तो पूर्वोत्तमांक सबसे आखरी संख्या को कहते हैं।
संख्या पूर्वोत्तमांक चरमांक
35 3 5
87 8 7
746 7 6
4782893 4 3
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उप-आधार या उपाधार
कभी-कभी आधार व संख्या में बहुत अधिक अंतर होता है। जिससे गणना करने में काफी कठिनाइयां पैदा होती हैं। इसके लिए हमें उपाधार लेना होता है। उपाधार किस प्रकार प्राप्त होता है, आइए जानने का प्रयास करते हैं।
पूर्वोत्तमांक को छोड़ बाकी संख्याओं को 0 बना देने पर उप आधार या उपाधार प्राप्त हो जाता है। वास्तव में यह है उस संख्या की प्लेस वैल्यू अर्थात स्थानीय मान होता है।
Actually we can use the place value of the number as a sub base.
* 15 का पूर्वोत्तमांक एक है तो 5 को शून्य बनाना होगा अतः 15 का आधार 10 होगा।
दूसरे में शब्दों में 15 में 1 का स्थानीय मान 10 है
* 26 का पूर्वोत्तमांक एक है तो 6 को शून्य बनाना होगा अतः 26 का उपाधार 20 होगा।
दूसरे में शब्दों में 26 में 2 का स्थानीय मान 20 है। अतः उपाधार 20 हुआ।
* 346 का पूर्वोत्तमांक 3 है तो 46 को शून्य बनाना होगा अतः 346 का उपाधार 300 होगा।
दूसरे में शब्दों में 346 में 3 का स्थानीय मान 300 है। अतः उपाधार 300 हुआ।
* 57346 का पूर्वोत्तमांक 5 है तो 46 को शून्य बनाना होगा अतः 346 का उपाधार 300 होगा।
दूसरे में शब्दों में 346 में 3 का स्थानीय मान 300 है। अतः उपाधार 300 हुआ।
उप-आधार या उपाधार – किसी भी आधार को किसी पूर्णांक से गुणा करने पर प्राप्त संख्या उसका उप-आधार कहलाती है।
उप आधार = आधार × पूर्णांक
15 के लिए उपाधार = 10 × 1 = 10
34 के लिए उपाधार = 10 × 3 = 30
63 के लिए उपाधार = 10 × 6 = 60
83 के लिए उपाधार = 10 × 8 = 80
215 के लिए उपाधार = 100 × 2 = 200
384 के लिए उपाधार = 100 × 3 = 300
763 के लिए उपाधार = 100 × 7 = 700
813 के लिए उपाधार = 100 × 8 = 800
515 के लिए उपाधार = 100 × 5 = 500
434 के लिए उपाधार = 100 × 4 = 400
8384 के लिए उपाधार = 1000 × 3 = 8000
7631 के लिए उपाधार = 1000 × 7 = 7000
8123 के लिए उपाधार = 1000 × 8 = 8000
5615 के लिए उपाधार = 1000 × 5 = 5000
4374 के लिए उपाधार = 1000 × 4 = 4000
इसी प्रकार आप अन्य उपाधार भी निकाल सकते हैं।
उपाधार
पूर्णांक = ––––——
आधार
निम्न के उप-आधार या उपाधार ज्ञात करो
1. एक अंकीय संख्या के लिए
1 के लिए उपाधार =
3 के लिए उपाधार =
6 के लिए उपाधार =
8 के लिए उपाधार =
2 के लिए उपाधार =
4 के लिए उपाधार =
7 के लिए उपाधार =
9 के लिए उपाधार =
2. दो अंकीय संख्या के लिए
15 के लिए उपाधार =
34 के लिए उपाधार =
63 के लिए उपाधार =
83 के लिए उपाधार =
26 के लिए उपाधार =
43 के लिए उपाधार =
58 के लिए उपाधार =
72 के लिए उपाधार =
25 के लिए उपाधार =
54 के लिए उपाधार =
73 के लिए उपाधार =
87 के लिए उपाधार =
3. तीन अंकीय संख्या के लिए
215 के लिए उपाधार =
384 के लिए उपाधार =
763 के लिए उपाधार =
813 के लिए उपाधार =
515 के लिए उपाधार =
434 के लिए उपाधार =
315 के लिए उपाधार =
484 के लिए उपाधार =
663 के लिए उपाधार =
713 के लिए उपाधार =
815 के लिए उपाधार =
334 के लिए उपाधार =
215 के लिए उपाधार =
484 के लिए उपाधार =
663 के लिए उपाधार =
613 के लिए उपाधार =
815 के लिए उपाधार =
634 के लिए उपाधार =
4. चार अंकीय संख्या के लिए
18384 के लिए उपाधार =
27631 के लिए उपाधार =
38123 के लिए उपाधार =
45615 के लिए उपाधार =
54374 के लिए उपाधार =
98384 के लिए उपाधार =
87631 के लिए उपाधार =
78123 के लिए उपाधार =
65615 के लिए उपाधार =
54374 के लिए उपाधार =
48384 के लिए उपाधार =
37631 के लिए उपाधार =
28123 के लिए उपाधार =
15615 के लिए उपाधार =
40374 के लिए उपाधार =
हमें आशा है कि अब आप किसी भी संख्या का उपाधार आसानी से ज्ञात कर सकते हैं।
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पूरक और आधार ज्ञात करना।
'निखिलं सूत्र'
निखिलं नवतश्चरमं दशतः
अर्थात
निखिलं नवतः चरमं दशतः
निखिलं सूत्र वैदिक गणित का दूसरा सूत्र है।
इस सूत्र का अर्थ स्पष्ट है
[निखिलं (शेष से) नवतः (नौ) तथा चरमं (ईकाई से) दशत: (दस को) ]
सभी को 9 से, अंत वाले को 10 से।
इस सूत्र का सर्वाधिक उपयोग पूरक (complement) ज्ञात करने में क्या जाता है।
इस पूरक का उपयोग विभिन्न गणनाओं में किया जाएगा जैसे कि गुणन, भाग या फिर रेखांक या विनकुलम ज्ञात करने में।
हमें यही याद रखना चाहिए कि निखिल सूत्र कहता है कि एबाएं से दाएं (left to right ) के ओर किसी संख्या के प्रत्येक अंक को 9 से और अंतिम वाले अंक को 10 से घटाते हैं, और इस प्रकार हमें उस संख्या का पूरक मिल जाता है।
यह 10 की पावर 0 (जीरो) को छोड़कर सभी पावर के रूप में लिया जा सकता है क्योंकि 10 की पावर जीरो का मान 1(एक) होता है और किसी भी संख्या का आधार 1(एक) नहीं लिया जा सकता।
10⁰ = 1
10¹ = 10
10² = 100
10³ = 1000
10⁴ = 10000
ध्यान रहे कि किसी संख्या का पूरक उसके निकटतम आधार को लिया जाता है।
* 10 से कम संख्याओं का पूरक 10 से निकाला जाता है।
6 का पूरक होगा : 10 – 6 = 4
2 का पूरक होगा : 10 – 2 = 8
8 का पूरक होगा : 10 – 8 = 2
* 11 से 99 तक की संख्याओं का आधार 100 (सौ) लिया जाता है।
24 का पूरक होगा : 100 – 24 = 76.
43 का पूरक होगा : 100 – 43 = 57.
64 का पूरक होगा : 100 – 64 = 36.
73 का पूरक होगा: 100 – 73 = 27
95 का पूरक होगा : 100 – 95 = 05
*एक से एक से लेकर 999 तक की संख्याओं के लिए आधार 1000 लिया जाएगा।
123 का पूरक होगा : 1000 – 123 = 877.
235 का पूरक होगा : 1000 – 253 = 765.
459 का पूरक होगा: 1000 – 459 = 541.
623 का पूरक होगा : 1000 – 623 = 377.
962 का पूरक होगा : 1000 – 962 = 038.
* इसी प्रकार हम बड़े संख्याओं का भी पूरक निकाल सकते हैं।
51326 का पूरक होगा: 100000–51326 = 48674.
5351326 का पूरक होगा: 10000000–5351326 = 4648674.
ध्यान रहे कि किसी संख्या का पूरक उसके निकटतम आधार से लिया जाता है।
* इसी प्रकार हम बड़े संख्याओं का भी पूरक निकाल सकते हैं।
51326 का पूरक होगा: 100000–51326 = 48674.
5351326 का पूरक होगा: 10000000–5351326 = 4648674.
ध्यान रहे-
(1). यदि कोई संख्या शून्य से समाप्त होती हैं तो अशून्य अंक से गणना प्रारंभ की जाती है। जबकि शून्य के नीचे शून्य मान लिया जाता है।
* 5100 का पूरक 4900 होगा।
(यहां 51 का पूरक 49 है तथा संख्या में दो शून्य हैं, इसलिए पूरक में दो शून्य भी लगेंगे।)
* 451000 का पूरक 549000 होगा।
(यहां 451 का पूरक 549 है तथा संख्या में तीन शून्य हैं, इसलिए पूरक में 3 शून्य भी लगेंगे।)
(2). ध्यान रहे कि किसी संख्या और उसके पूरक का आधार सदा एक या समान ही रहता है। अर्थात संख्या और पूरक, उनके आधार के अनुरूप एक दूसरे के पूरक होते हैं
* 5100 तथा उसके पूरक 4900 का आधार 1000 ही रहेगा।
* 45100 तथा उसके पूरक 54900 का आधार 1000 ही रहेगा।
निम्न संख्याओं के लिए पूरक लिखिए
1. एक अंकीय संख्या के लिए
1 के लिए पूरक =
3 के लिए पूरक =
6 के लिए पूरक =
8 के लिए पूरक =
2 के लिए पूरक =
4 के लिए पूरक =
7 के लिए पूरक =
9 के लिए पूरक =
2. दो अंकीय संख्या के लिए
15 के लिए पूरक =
34 के लिए पूरक =
63 के लिए पूरक =
83 के लिए पूरक =
26 के लिए पूरक =
43 के लिए पूरक =
58 के लिए पूरक =
72 के लिए पूरक =
25 के लिए पूरक =
54 के लिए पूरक =
73 के लिए पूरक =
87 के लिए पूरक =
3. तीन अंकीय संख्या के लिए
215 के लिए पूरक =
384 के लिए पूरक =
763 के लिए पूरक =
813 के लिए पूरक =
515 के लिए पूरक =
434 के लिए पूरक =
315 के लिए पूरक =
484 के लिए पूरक =
663 के लिए पूरक =
713 के लिए पूरक =
815 के लिए पूरक =
334 के लिए पूरक =
215 के लिए पूरक =
484 के लिए पूरक =
663 के लिए पूरक =
613 के लिए पूरक =
815 के लिए पूरक =
634 के लिए पूरक =
4. चार अंकीय संख्या के लिए
18384 के लिए पूरक =
27631 के लिए पूरक =
38123 के लिए पूरक =
45615 के लिए पूरक =
54374 के लिए पूरक =
98384 के लिए पूरक =
87631 के लिए पूरक =
78123 के लिए पूरक =
65615 के लिए पूरक =
54374 के लिए पूरक =
48384 के लिए पूरक =
37631 के लिए पूरक =
28123 के लिए पूरक =
15615 के लिए पूरक =
40374 के लिए पूरक =
हमें आशा है कि अब आप किसी भी संख्या का उपाधार आसानी से ज्ञात कर सकते हैं।
(3). पर-पूरक या अधिकाय – पूरक और आधार की क्रिया को ध्यान से देखते हैं तो हमें एक अवस्था और प्राप्त होती है ।
जो आप को समझाना बहुत जरूरी है । वह है जब संख्या आधार से बड़ी है तो उस उस आधार से बड़े भाग को हम पर-पूरक या अधिकाय कहते हैं।
जैसे
* मान लिया हमने संख्या 16 ली और आधार 10 तो इसका पर-पूरक या अधिकाय 6 होगा।
* मान लिया हमने संख्या 126 ली और आधार 100 तो इसका पर-पूरक या अधिकाय 26 होगा।
* मान लिया हमने संख्या 1111 ली और आधार 1000 तो इसका पर-पूरक या अधिकाय 111 होगा।
परंतु इसका हमारी गणना पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि हम इसका उपयोग कहीं भी नहीं करेंगे।
बल्कि इसके स्थान पर हम इसके पूर्व का ही उपयोग करेंगे।
जैसे * 16 का पूरक 84 होगा।
* इसी प्रकार 116 का पूरा 984 होगा।
* इसी प्रकार 1111 का पूरक 8889 होगा।
श्री गणेशाय नमः।
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