वैदिक गणित भारत की प्राचीन पद्धतियों में से एक है | वैदिक गणित विधि द्वारा सवाल हल करने से उन्हें शीघ्रता पूर्वक हल किया जा सकता है | हालांकि वैदिक गणित को समझने के लिए आपको प्रशिक्षण के आवश्यकता होगी |
गुणा संक्रिया
- 1. सूत्र – एकाधिकेन पूर्वेण
उदा. -103 × 97
=1 × 2 / 03 × 97
= 2 / 0291 (दक्षिण पक्ष में चार अंक)
=20291 - 2. सूत्र – निखिलम्
सूत्र – उपाधार अंक (संख्या + शेष विचलन ) / विचलनो का गुणनफल - 3. सूत्र – एकन्यूनेन पूर्वेण
गुण्य – 1 / गुणक – वाम पक्ष - 4. सूत्र – उर्ध्वतिर्यक
भाग की विधियाँ
- 1. सूत्र – निखिलम्
[पूरक अंक = आधार – भाजक ] - 2. सूत्र -परावर्त योजयेत्
- 3. सूत्र – ध्वजांक
वर्ग संक्रिया
- 1. उपसूत्र यावदूनम् तावदूनी (सूत्र निखिलम्)
उपाधार अंक (संख्या + विचलन ) / (विचलन)2 - 2. उपसूत्र आनुरूप्येण
संकेत
- 1. सर्वप्रथम इस विधि से वर्ग करने के लिए तीन खंड करते हैं | प्रथम खंड में दहाई का वर्ग करते हैं |
- 2. तृतीय खंड में इकाई अंक का वर्ग करते हैं |
- 3. द्वितीय खंड में इकाई अंक × दहाई अंक करते हैं |
- 4. द्वितीय खंड में प्राप्त गुणनफल को पुनः नीचे लिखकर जोड़ते हैं |
- 5. नियमानुसार सभी संख्याओं को जोड़कर वर्ग प्राप्त करते हैं |
- 3. सूत्र – एकाधिकेन पूर्वेण
उदहारण – (45)2
=4×5 / 5×5
=20 / 25 =2025 - 4. सूत्र संकलन – व्यवकलन (इष्ट संख्या विधि )
सूत्र = (संख्या + इष्ट संख्या ) (संख्या – इष्ट संख्या ) + (इष्ट संख्या )2 - 5. सूत्र – उर्ध्वतिर्यक (द्वन्दयोग विधि )
- 1. सूत्र – निखिलम् (आधार – उपाधार)
आधार विधि -:
सूत्र – संख्या + 2 × विचलन / 3 × (विचलन)2 / (विचलन)3उपाधार विधि -:
सूत्र – (उपाधार अंक)2 (संख्या + 2 × विचलन ) / उपाधार अंक × 3 × (विचलन)2 / (विचलन) 3 - 2. उपसूत्रआनुरूप्येण
संकेत
- 1.सर्वप्रथम चार खंड करते हैं |
- 2.प्रथम खंड में दहाई अंक का घन करते हैं |
- 3.चौथे खंड में इकाई अंक का घन करते हैं |
- 4.दूसरे खंड में (दहाई अंक)2 × इकाई अंक करते हैं |
- 5.तीसरे खंड दहाई अंक × (इकाई अंक )2 करते हैं |
- 6.दूसरे व् तीसरे खंड में प्राप्त संख्या का दुगुना कर जोड़ते हैं |
- 7.नियमानुसार सभी संख्याओं को जोड़कर घनफल प्राप्त करते हैं |
- 3. सूत्र – एकाधिकेन पूर्वेण सूत्र – दहाई का वर्ग × इसका एकाधिक / दहाई का वर्ग × विचलन / 3 × दहाई का अंक × (इकाई का अंक )2 / (इकाई अंक )3
[विचलन = 3 × इकाई अंक – 10 ] - तीन खण्ड बनाते हैं।
- प्रथम में दहाई तथा तृतीय में इकाई के अंक वर्ग लिखते हैं।
- द्वितीय खण्ड में इकाई व दहाई का गुणन लिखते हैं तथा उसके नीचे पुनः वही गुणनफल लिखते हैं।
- योगफल संख्या का अभीष्ट वर्ग है। मध्य खण्ड व तृतीय खण्ड में 1 – 1 अंक ही लिखते हैं।
- इसमें दहाई के अंक से एक(RBSESolutions.com) अधिक अंक लेकरे गुणा करते हैं।
- इकाई के अंक का वर्ग कर इसके साथ लिख देते हैं।
- इष्ट संख्या = 2
- इष्ट संख्या का चयन इस प्रकार किया(RBSESolutions.com) जाता है कि जोड़ने या घटाने पर शून्यान्त संख्या प्राप्त हो।
- सर्वप्रथम वर्ग ज्ञात करने वाली संख्या के अंक(RBSESolutions.com) समूह बनाते हैं। जैसे-3, 36, 362, 62, 2 इसके समूह.
- इनको द्वन्द्व योग के अनुसार क्रम में लिखते हैं।
- इकाई अंक की ओर से योग करते हैं। एक खण्ड में एक अंक रखते हैं। योगफल ही अभीष्ट संख्या का वर्ग होगा।
- इसके लिए चार खण्ड बनेंगे।
- बायीं ओर से प्रथम खण्ड में संख्या के दहाई अंक का घन तथा चतुर्थ खण्ड में संख्या के इकाई अंक का घन है।
- दूसरे खण्ड में दहाई अंक का वर्ग x इकाई अंक का वर्ग है।
- तीसरे खण्ड में दहाई अंक x इकाई अंक वर्ग है।
- दूसरे व तीसरे खण्ड में प्राप्त गुणनफल का दुगुना उन्हीं खण्डों में और जोड़ते हैं।
- द्वितीय, तृतीय तथा चतुर्थ खण्ड में एक-एक अंक रहेगा। सबका योगफल ही अभीष्ट घनफल है।
- इसके लिए चार खण्ड बनेंगे।
- बायीं ओर से प्रथम खण्ड में संख्या के दहाई(RBSESolutions.com) अंक का घन तथा चतुर्थ खण्ड में संख्या के इकाई अंक का घन है।
- दूसरे खण्ड में दहाई अंक का वर्ग x इकाई अंक का वर्ग है।
- तीसरे खण्ड में दहाई अंक x इकाई अंक वर्ग है।
- दूसरे व तीसरे खण्ड में प्राप्त गुणनफल का दुगुना उन्हीं खण्डों में और जोड़ते हैं।
- द्वितीय, तृतीय तथा चतुर्थ खण्ड में एक-एक अंक रहेगा। सबका योगफल ही अभीष्ट घनफल है।
- आधार = 10, विचलन = 5 x 3 – 10 = 5
- गुणन संक्रिया को चार खण्डों में लिखते हैं। बायें से(RBSESolutions.com) प्रथम खण्ड= दहाई अंक का वर्ग x उसको एकाधिक, द्वितीय खण्ड = दहाई अंक का वर्ग x विचलन, तृतीय खण्ड = 3 x दहाई अंक x (इकाई अंक), चतुर्थ खण्ड = (इकाई अंक) जहाँ विचलन = इकाई अंक x 3 – 10
घनफल संक्रिया
बीजगणित
1.सूत्र -परावर्त योजयेत् :-
सूत्र का अर्थ है - " पक्षांतरण तथा समायोजन "|इस सूत्र के अंतर्गत चार अनुप्रयोग आते हैं |
x =
2.सूत्र -शून्यं साम्य समुच्चये :-
सूत्र का अर्थ है - " समुच्चय परस्पर समान होने पर शून्य होता है "|इस सूत्र के अंतर्गत छः अनुप्रयोग आते हैं |
सूत्र का प्रथम अर्थ एवं अनुप्रयोग :-यदि समीकरण के प्रत्येक पद X में एक सर्वनिष्ठ खंड है तो X = 0 (बीजीय सूत्र )
उदहारण -:समीकरण 2(X+1)= 7(X+1)को सरल कीजिये |
हल :प्रत्येक पद में X+1 एक उभयनिष्ठ खंड है |
अतः सूत्रानुसार X + 1 = 0
X = -1
सूत्र का द्वितीय अर्थ एवं अनुप्रयोग :-एक घातीय समीकरण के दोनों पक्षों में स्वतंत्र पद समान हो तो चर राशि का मान शून्य होता है |
उदहारण -:(X+3)+(2x+5)+4 =2(X+6)को सरल कीजिये |
हल :(X+3)+(2x+5)+4 =2(X+6)
= 3x + 12 = 2x + 12
दोनों पक्षों में स्वतंत्र पद समान =12 अतः X = 0
सूत्र का तृतीय अर्थ एवं अनुप्रयोग :-यदि समीकरण में दो भिन्नों के अंश परस्पर समान हों तो उनके हरों का योग शून्य रखने पर चर राशि का मान प्राप्त होता है |
हल :यहां दोनों भिन्नों में अंश परस्पर समान = 1 अतः सूत्रानुसार
सूत्र का चतुर्थ अर्थ एवं अनुप्रयोग :-यदि समीकरण के दोनों पक्षों के अंशों का योग तथा उसके दोनों हरों का योग परस्पर समान हो अथवा दोनों योग एक निश्चित अनुपात में हो तो किसी भी योग का शून्य समान रखने पर चर राशि का एक मान ज्ञात होता है |
हल :दोनों पक्षों के अंशों का योग = 2x+3 +2x+5 = 4x+8
दोनों पक्षों के हरों का योग = 4x+8
दोनों समुच्चय समान अतः सूत्रानुसार 4x+8=0 , ∴ X = -2
सूत्र का पंचम अर्थ एवं अनुप्रयोग :-यदि समीकरण के एक पक्ष के अंश व हर का अंतर दूसरे पक्ष के अंश व हर के अंतर के समान हो अथवा दोनों अंतर एक निश्चित अनुपात में हो तो किसी भी अंतर को शून्य समान रखने पर चर राशि का मान ज्ञात होता है |
हल :वाम पक्ष के अंश व हर का अंतर = 3x+4 - 2x-1 = X+3
दक्षिण पक्ष के अंश व हर का अंतर = 2x-5 - X+8 = X+3
दोनों पक्षों के अंतर परस्पर समान अतः सूत्रानुसार
X+3 = 0 ∴X = -3
सूत्र का षष्ठ अर्थ एवं अनुप्रयोग :-यदि किसी समीकरण के प्रत्येक पक्ष में दो पद हों और पद का प्रत्येक अंश परस्पर समान हो तथा वाम पक्ष के हरों का योग दक्षिण पक्ष के हरों के योग के समान हो तो इस योग को शून्य के बराबर रखने पर चर राशि का मान प्राप्त होता है |
हल :वाम पक्ष के हरों का योग = X+7 + X+9 = 2x+16
दक्षिण पक्ष के हरों का योग = X+6 + X+10 = 2x+16
सूत्रानुसार 2x + 16 = 0 ∴X = -8
वैदिक गणित Ex 1.2
प्रश्न 1.
93
हल:
(93)2 = 93 – 07/072
= 86/49 = 8649 उत्तर
संकेत — आधार = 100
विचलन = 93 – 100 = – 07
सूत्र— (संख्या)2 = संख्या + विचलन/(विचलन)2
प्रश्न 2.
(106)
हल:
(106)2 = 1(106 + 06)/062
= 1 x 112/36
= 11236 उत्तर,
संकेत-आधार = 100
उपाधार = 200
उपाधार = 2, विचलन = 6
सूत्र-(संख्या)2 = उपाधार(RBSESolutions.com) अंक (संख्या + विचलन)/(विचलन)2
प्रश्न 3.
211
हल:
(211)2 = 2(211 + 11)/(11)2
= 2 x 222/121
= 444/21 = 44521 उत्तर
संकेत-
आधार = 100
उपाधार = 200
आधार अंक = 2, विचलन = 11
सूत्र-(संख्या) = उपाधार(RBSESolutions.com) अंक (संख्या + विचलन)/(विचलन)
प्रश्न 4.
405
हल:
(405)2 = 4(405 + 05)/(05)2
= 4 x 410/25
= 164025 उत्तर
संकेत-
आधार = 100
उपाधार = 400
उपाधार अंक = 4, विचलन = 05
सूत्र-(संख्या)2 – उपाधार(RBSESolutions.com) अंक (संख्या + विचलन)/(विचलन)2
उपसूत्र आनुरूप्येण द्वारा वर्ग ज्ञात कीजिए।
प्रश्न 5.
16
हल:
(16)2 =
संकेत-
प्रश्न 6.
31
हल:
(31)2 =
प्रश्न 7.
24
हल:
प्रश्न 8.
56
हल:
सूत्र एकाधिकेन पूर्वेण द्वारा वर्ग ज्ञात करो।
प्रश्न 9.
45
हल:
(45)2 = 4 x (4 + 1)/52
= 4 x 5/25
= 20/25
= 2025 उत्तर
संकेत-
प्रश्न 10.
85
हल:
(85)2 = 8 x (8 + 1)/52
= 72/25
= 7225 उत्तर
प्रश्न 11.
115
हल:
(115)2 = 11 x 12/(5)2
= 132/25
= 13225 उत्तर
125
हल:
(125)2 = 12 x 13/52
= 156/25
= 15625 उत्तर
सूत्र संकलन व्यवकलन द्वारा वर्ग ज्ञात कीजिए।
प्रश्न 13.
23
हल:
(23)2 = (23 + 3) (23 – 3) + 32 संकेत-इष्ट संख्या = 3
= 26 x 20 + 9
= 520 + 9 = 529 उत्तर
प्रश्न 14.
38
हल:
(38)2 = (38 + 2.) (38 – 2) + 22
= 40 x 36 + 4
= 1440 + 4
= 1444 उत्तर
संकेत-
प्रश्न 15.
(69)
हल:
(69)2 = (69+ 1) x (69 – 1) + (1)2 संकेत-इष्ट संख्या = 1
= 70 x 68 + 1
= 4760 + 1 = 4761 उत्तर
प्रश्न 16.
89
हल:
(89)2 = (89+ 1) (89 – 1) + (1)2 संकेत-इष्ट संख्या = 1
= 90 x 88 + 1
= 7920 + 1 = 7921 उत्तर
द्वन्द्व योग द्वारा वर्ग ज्ञात कीजिए।
प्रश्न 17.
362
हल:
362 के पांच अंक समूह बनेंगे
(362)2 = 32/3 x 6 x 2/3 x 2 x 2 + 6/6 x 2 x 2/22
= 9/36/48/24/4
(362)2 = 131044 उत्तर
संकेत-
प्रश्न 18.
453
हल:
(453)2 = अंक समूह = 4, 45, 453, 53, 3
इन्हें पाँच खण्डों में लिखने पर।
= 42/4×5 x 2/4×3 x 2 + 5/5 x 3 x 2/32
= 16/40/49/30/9 योग करने पर
= 205209 उत्तर
प्रश्न 19.
4312
हल:
4312 के सात अंक समूह निम्न प्रकार बनेंगे-
4, 43, 431, 4312, 312, 12, 2
(4312)2 = (4)2/4 x 3 x 2/4 x 1 x 2 + 32/4 x 2 x 2 + 3 x 1 x 2/3 x 2 x 2 + 12/1 x 2 x 2/22
= 16/24/17/22/13/4/4
(4312)2 = 18593344 उत्तर
प्रश्न 20.
2456
हल:
(2456)2 इसके सात अंक(RBSESolutions.com) समूह निम्न प्रकार हैं
2, 24, 245, 2456, 456, 56, 6
(2456)2 = 22/2×4 x 2/2 x 5 x 2 + 42/2 x 6 x 2 + 4 x 5
x 2/4 x 6 x 2 + 52/5 x 6 x 2/62
= 4/16/36/64/73/60/36
(2456)2 = 6031936
सूत्र निखिलम् द्वारा घनफल ज्ञात कीजिए।
प्रश्न 21.
14
हल:
सूत्र–घनफल = संख्या + 2 x विचलन/3(विचलन)2/(विचलन)3
(14)3 = 14 + 2(4)/3 x (4)2/4
= 14 + 8/48/64
= 2744 उत्तर
संकेत-आधार = 10 तथा विचलन = 14 – 10 = 4
प्रश्न 22.
97
हल:
सूत्र–घनफल = संख्या + 2 x विचलन/3(विचलन)2/(विचलन)3
(97)3 = 97 + 2 (-3)/3 x (- 3)/(- 3)3
(97)3 = 97 – 6/3 x 9/- 27
= 91/26/100 – 27
= 912673 उत्तर
संकेत–यहाँ आधार = 100 तथा विचलन = – 3 है।
प्रश्न 23.
27
हल:
(27)3 = (उपाधार अंक)2 (संख्या + 2 x विचलन)(RBSESolutions.com)/उपाधार अंक x 3 x (विचलन)/(विचलन)3
यहाँ उपाधार = 30, उपाधार अंक = 3, विचलन = – 3
अतः (27)3 = (3)2 (27 + 2x – 3)/3 x 3 x (-3)2/(- 3)3
= 189/81/- 27
= 189/78/30 – 27
= 19683 उत्तर
प्रश्न 24.
395
हल:
(395)3 = 42(395 + (-5) x 2)/4×3 x (- 5)2/(- 5)3
= 16(395 – 10)/300/- 125
= 6160/298/200 – 125
= 6160/298/75
= 61629875 उत्तर
संकेत–यहाँ आधार = 400, उपाधार(RBSESolutions.com) अंक = 4, विचलन = – 5 मध्य व तृतीय खण्ड में 2 = 2 अंक होंगे।
उपसूत्रं आनुरूप्येण द्वारा घनफल ज्ञात कीजिये।
प्रश्न 25.
16
हल:
16 के घनफल के खण्ड
संकेत
प्रश्न 26.
33
हल:
(33)3
संकेत
प्रश्न 27.
41
हल:
(41)3
(41)3 = 68921 उत्तर
प्रश्न 28.
52
हल:
(52)3
सूत्र एकाधिकेन पूर्वेण द्वारा घनफल ज्ञात कीजिए।
प्रश्न 29.
45
हल:
संकेत
प्रश्न 30.
73
हल:
संकेत–विचलन = 9-10 = – 1, आधार = 10
प्रश्न 31.
24
हल:
संकेत-विचलने = 4 x 3 – 10 = 10 = 2, आधार = 10
प्रश्न 32.
106
हल:
संकेत-विचलन = 6 x 3 – 10 = 8
उपसूत्र यावदूनम तावदूनी द्वारा वर्ग ज्ञात कीजिए
Post a Comment
Post a Comment