04.4.6 वैदिक गणित का तीसरा नियम निखिलम सूत्र द्वारा गुणा (6) उपाआधार विधि (भाग द्वारा)

4.4.6 वैदिक गणित का तीसरा नियम निखिलम सूत्र द्वारा गुणा (6) उपाआधार विधि (भाग द्वारा)


Nikhilan (निखिलम् सूत्र)  उपाधार प्रयोग

आइए पहले हम आधार और उप-आधार के बारे में जान लेते हैं । इसे आप पहले भी पढ़ चुके हैं।

आधार– वैदिक गणित में आधार एक महत्वपूर्ण अंक है जो 10 या उसकी घात अर्थात पावर के रूप में लिया जाता है।

यह 10 की पावर 0 (जीरो) को छोड़कर सभी पावर के रूप में लिया जा सकता है क्योंकि 10 की पावर जीरो का मान 1(एक) होता है और किसी भी संख्या का आधार 1(एक) नहीं लिया जा सकता।

10⁰ = 1
10¹ = 10
10² = 100
10³ = 1000
10⁴ = 10000

उप-आधार या उपाधार – किसी भी आधार को किसी पूर्णांक से गुणा करने पर प्राप्त संख्या उसका उप-आधार कहलाती है।

उप आधार = आधार × पूर्णांक 

15 के लिए उपाधार = 10 × 1 = 10
34 के लिए उपाधार = 10 × 3 = 30
63 के लिए उपाधार = 10 × 6 = 60
83 के लिए उपाधार = 10 × 8 = 80

215 के लिए उपाधार = 100 × 2 = 200
384 के लिए उपाधार = 100 × 3 = 300
763 के लिए उपाधार = 100 × 7 = 700
813 के लिए उपाधार = 100 × 8 = 800
515 के लिए उपाधार = 100 × 5 = 500
434 के लिए उपाधार = 100 × 4 = 400

8384 के लिए उपाधार = 1000 × 3 = 8000
7631 के लिए उपाधार = 1000 × 7 = 7000
8123 के लिए उपाधार = 1000 × 8 = 8000
5615 के लिए उपाधार = 1000 × 5 = 5000
4374 के लिए उपाधार = 1000 × 4 = 4000

इसी प्रकार आप अन्य उपाधार भी निकाल सकते हैं।

                                             उपाधार 
पूर्णांक या उप आधार अंक  = ––––——
                                             आधार

अब आते हैं 'उप-आधार' के निकट के संख्याओं का इस विधि से गुणन पर

10, 20, 30, 40, 50, 60, 70, 80, 90, 100 ... ये सब 10 के गुणज (multiple) हैं। तो इनके आसपास की संख्याओं के लिए इन्हें आधार चुना जा सकता है। जबकि 10, 20, 50, 100 आदि 100 के गुणज के साथ साथ 100 के गुणनखंड (factor) भी हैं। 

100, 200, 300, 400, 500, 600, 700, 800, 900, 1000 आदि 1000 के गुणज हैं जबकि 100, 200, 500, 1000  आदि 1000 के गुणज के साथ साथ 1000 के गुणनखंड भी हैं।

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि ऊपर के ये जो गुणज और गुणनखंड हैं वह अपने  संगत आधार संख्या से बने उप -आधार हैं।

जब दो संख्याएँ, जो आधार 10ⁿ या 10 की घात के निकट नही हो तो उनका गुणनफल सूत्र निखिलम् - उपाधार द्वारा ज्ञात किया जाता हैं।


यहां दो स्थितियां सामने आती है। 

(1) जब उप आधार, मुख्य आधार का गुणज हो तथा 

(2) दूसरी स्थिति वह होती है जब उप आधार, मुख्य आधार का गुणनखंड हो।


गुणा द्वारा

पहली स्थिति में अर्थात जब उप आधार, मुख्य आधार का गुणज हो तो मुख्य पूर्णांक यह आधार अंक प्राप्त करते हैं और उसकी गुणा LHS वाले भाग में करते हैं जबकि RHS वाले भाग को यूं ही छोड़ देते हैं। 


भाग द्वारा

दूसरी स्थिति में अर्थात जब उप आधार, मुख्य आधार का गुणनखंड हो तो पूर्णांक यह आधार अंक प्राप्त करते हैं और उसकी भाग LHS में करते हैं जबकि RHS को यूं ही छोड़ देते हैं। 


द्वितीय स्थिति


सूत्र पर आधारित विधि:

Dd × De

1.    संख्याओं का निकटतम उपाधार चुनकर विचलन ज्ञात करते हैं।

विचलन संख्या उपाधार

D         d  

D          e

2.    उपाधार के सापेक्ष विचलनों को उनकी संख्या के सामने लिखते हैं।

3.    तिरछी रेखा से गुणनफल स्थान के दो भाग करते हैं।

D         ±d  

D          ±e

        /

4.    दायें पक्ष में विचलनों का गुणनफल लिखते हैं।

LHS / RHS

        / ±d × ±e

5.    बायें पक्ष में कोई भी एक संख्या तथा दूसरी संख्या के विचलन का योग कर उसे उपाधार अंक से भाग करके लिख देते हैं।

LHS / RHS

[D+(±e) या D+(±d)]÷UAN / ±d × ±e

6.    उपाधार में जितने शून्य हो, उतने ही अंक दायें पक्ष में रखते हैं।

* यदि आधार 10 हो तो दायें पक्ष में एक अंक रखेंगे, दो अंक हो तो दहाई का अंक बायें पक्ष में जोड़ देते हैं।

* यदि आधार 100 हो तो दायें पक्ष में दो अंक रखेंगे, एक अंक हो तो उससे पूर्व 0 लिखते हैं तथा तीन अंक हो तो सैकडे़ का अंक बायें पक्ष में जोड़ देते हैं।

7.    विचलनों का गुणनफल यदि ॠणात्मक हो तो बायें पक्ष से आवश्यकतानुसार अंक लेकर दायें पक्ष को धनात्मक में बदलते हैं।


(a) यहां 100 के  गुणनखंड के रूप में उप-आधार अंक लिया जा सकता है।

Example (1) 25 X 24

25          +0       

24          –1                

उप-आधार =25

उप-आधार अंक (UAN) =100/25=4

LHS                                      / RHS

=[25+(–1) या 24+(+0)]÷4/0×–1

=24÷4/00

= 6/00

= 600

संकेत -

1.    मुख्य आधार 100 तो उपाधार = 50 (=100/2) 

अत: 

विचलन = 25 – 25 = +0

विचलन = 24 – 25 = –1

2.    दायें पक्ष (RHS) में विचलनों का गुणनफल लिखते हैं।(आधार 100 तो RHS में अंकों की संख्या 2 होगी।)

= (+0)×(–1)

= 00

3.    बायें पक्ष (LHS)में एक संख्या व दूसरी संख्या के विचलन का योग को उपाधार अंक से गुणा कर लिखते हैं।

=[25 + (–1)] या [24 + (0)]÷4

= 24 ÷4

= 6

4.    अभीष्ट गुणनफल LHS/RHS

= 6/00

= 600


Example (2) 44 X 47

44          –6       

47          –3                    

उप-आधार =50

उप-आधार अंक (UAN) =100/50=2

=[44+(–3)] या [47+(–6)] ÷2/–6×–3

= 41÷2/ 18

 41 एक विषम संख्या है। जिसे 2 से भाग करने पर संख्या 20.5 प्राप्त होती है । 0.50 को RHS में ले जाने पर यह 50 हो जाएगा।

= 20.5 / 18

= 20 / 50+18

= 20/68

= 2068

संकेत -

1.    मुख्य आधार 100 तो उपाधार = 50 (=100/2) 

अत: 

विचलन = 44 – 50 = –6

विचलन = 47 – 50 = –3

2.    दायें पक्ष (RHS) में विचलनों का गुणनफल लिखते हैं।(आधार 100 तो RHS में अंकों की संख्या 2 होगी।)

= (–6)×(–3)

= 18

3.    बायें पक्ष (LHS)में एक संख्या व दूसरी संख्या के विचलन का योग को उपाधार अंक से गुणा कर लिखते हैं।

=[44+(–3)] या [47+(–6)] ÷2/–6×–3

= 41÷2/ 18

= 20.5 / 18

4.    अभीष्ट गुणनफल LHS/RHS

 41 एक विषम संख्या है। जिसे 2 से भाग करने पर संख्या 20.5 प्राप्त होती है । 0.50 को RHS में ले जाने पर यह 50 हो जाएगा।

= 20 / 50+18

= 20/68

= 2068


Example (3) 54 X 57

54          +4       

57          +7                    

उप-आधार =50

उप-आधार अंक (UAN) =100/50=2

=[54+(+7) या 57+(+4)]÷2 /4x7

= 61÷2/ 28

= 30.5 / 28

= 30 / 50+28

= 307/8

= 3078

संकेत -

1. मुख्य आधार 100 तो उपाधार = 50 (=100/2) 

अत:

विचलन = 54 – 50 = +4

विचलन = 57 – 50 = +7

2.    दायें पक्ष में विचलनों का गुणनफल लिखते हैं।

= (+4) × (+4) 

= 28

3.    बायें पक्ष में एक संख्या व दूसरी संख्या के विचलन का योग को उपाधार अंक से गुणा कर लिखते हैं।

=[54+(+7) या 57+(+4)]÷2 /4x7

= 61÷2/ 28

= 30.5 / 28

4.    अभीष्ट गुणनफल LHS/RHS

= 30 / 50+28

= 307/8

= 3078

= 3078



(b) जब एक संख्या आधार से बड़ी तथा दूसरी संख्या आधार से छोटी हों तो।


Example (4) 49 X 55

मुख्य आधार 100 तो उपाधार = 50 (=100/2)

49          –1       

55          +5                    

=[49+(+5) या 55+(–1)] ÷2/–1×+5

= 54÷2/ –5

= 27/ –05

[Remove Negative (–) sign]

(Take 1 from 27 and add 100 to –05)

= (27–1)/ (100–05)

= 26/95

= 2695

संकेत

1.  मुख्य आधार 100 तो उपाधार = 50 (=100/2) 

अत:

विचलन = 49 – 50 = –1

विचलन = 55 – 50 = +5

2. उपाधार से विचलन 

49   – 50 =   –1       

55   –  50 =   +5      

3. दायाँ पक्ष (RHS) 

–1 x +5 

= –05 (Main Base =100)

4. बायाँ पक्ष (LHS)  

[49+5 या 55 –1] ÷2

= 54 ÷2

= 27

5. अभीष्ट गुणनफल LHS/RHS

= 27/–05

6. ऋणात्मक अंक को धनात्मक अंक में बदलने के लिए बाएं पक्ष में से एक घटा देते हैं (LHS–1) तथा दाएं पक्ष में 10 जोड़ (10+RHS) देते हैं।

= (270–1)/ (10–5)

= 269/5

= 2695


Example (5) 48 X 56

मुख्य आधार 100 तो उपाधार = 50 (=100/2) अतः यहां उप-आधार = 50 है

48          –2       

56          +6                   

=[48+(+6) या 56+(–2)]÷2/–2×+6

= 54÷2/ –12

= 27/ –12

[Remove Negative (–) sign]

(Take 1 from 27 and add 100 to –12)

अतः ऋणात्मक अंक को धनात्मक अंक में बदलने के लिए बाएं पक्ष में से 1 सैकड़ा घटा  (LHS–1) तथा दाएं पक्ष में 100 जोड़ (100+RHS) देते हैं।

= (27–1)/ (100–12)

= 26/88

= 2688

संकेत

1. मुख्य आधार 100 तो उपाधार = 50 (=100/2) 

2. उपाधार से विचलन 

48   – 50 =   –2       

56   –  50 =   +6      

3. दायाँ पक्ष (RHS) [Main Base =100]

–2 x +6 = –12 

4. बायाँ पक्ष (LHS)  

=[48+(+6) या 56+(–2)]÷2

= 54÷2

= 27

5. अभीष्ट गुणनफल LHS/RHS

= 27/–12

6. यहां ऋणात्मक अंक को धनात्मक अंक में बदलने के लिए बाएं पक्ष में से 1 सैकड़ा घटा  (LHS–1) तथा दाएं पक्ष में 100 जोड़ (100+RHS) देते हैं।

= (270–1)/ (10–5)

= 269/5

= 2695

Example (8) 68 X 54

मुख्य आधार 100 तो उपाधार = 50 (=100/2) 

68          +18       

54          +4                   

=[68+(4) या 54+(+8)]÷2 /+18×4

= 72÷2/72

= 36/ 72

संकेत

1. मुख्य आधार 100 तो उपाधार = 50 (=100/2) 

2. उपाधार से विचलन 

68   – 50 =   +18       

54   –  50 =  +4      

3. दायाँ पक्ष (RHS) 

+18 x 4 = 72 

4. बायाँ पक्ष (LHS)  

[68+4 या 54 +18]÷2

= 72÷2

= 36

5. अभीष्ट गुणनफल LHS/RHS

= 36/72


Practice Time (1)

(a) 1. Multiply the followings:
निम्नलिखित की गुणा करो।

1) 41 X 44                 
2) 59 X 58
3) 49 X 43                 
4) 59 X 55
5) 69 X 66                 
6) 49 X r7
7) 59 X 59                 
8) 49 X 42
9) 59 X 51                 
10) 38 X 50
11) 48 X 41                 
12) 58 X 52
13) 68 X 53                 
14) 51 X 74
15) 52 X 65                 
16) 38 X 53
17) 48 X 57                 
18) 68 X 53
19) 51 X 79                 
20) 57 X 51
21) 37 X 52                
22) 47 X 65
23) 52 X 77               
24) 37 X 58
25) 47 X 69  



लेखक

ॐ जितेंद्र सिंह तोमर

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