जोड़ना
(i) शुद्धीकरण द्वारा
द्वितीय विधि
विनकुलम संख्याओं को जोड़ना।
आइए हम आपको एक बार फिर से रेखांक, रेखांकितअंक या विनकुलम् या ॠणात्मक संख्याओं के बारे में बताते हैं।
रेखांक :– रेखांक एक ॠणात्मक अंक होता हैं, जिसे उसके ऊपर रेखा खींच कर व्यक्त करते हैं।
Rekhank :–Rekhank is a negative number or a digit with a bar on its top, this bae is used to show a negative number.
वैदिक गणित को सीखने के लिए विनकुलम् के सिद्धांतों को जानना बहुत ही आवश्यक है। विनकुलम् को वैदिक गणित में रेखांक, रेखांकित अंक या ऋणात्मक अंक के नाम से भी जाना जाता है।
वर्तमान में गणित में संकलन, व्यावकलन, गुणा और भाग में एक ही समय में केवल धनात्मक संख्याओं का प्रयोग किया जाता है अर्थात उसके सभी अंक धनात्मक होते हैं।
इस प्रकार हम कह सकते हैं की वैदिक गणित में हम निम्न अंकों का ही उपयोग करते हैं जैसे 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6 या –4, 7 या –3 , 8 या –2, 9 या –1 आदि।
जैसे –* एक अंक की संख्या 7 अंक धनात्मक हैं।
* दो अंक की संख्या 75 के सभी अंक धनात्मक हैं।
* तीन अंक की संख्या 785 के सभी अंक धनात्मक हैं।
इसी प्रकार बड़ी संख्या संख्य 8273505 के सभी अंक धनात्मक हैं।
वैसे तो वैदिक गणित में 0 से 9 तक सभी अंकों का उपयोग होता है, परंतु अपनी सुविधा और कुछ गणनाओं को सुलभ बनाने के लिए हम इन्हें 5 या 5 से छोटे अंक या संख्याओं के रूप में ही लेते हैं। अर्थात इन गणनाओं में बड़े अंकों 6, 7, 8, 9 का प्रयोग नहीं किया जाता है।
अंक 6, 7, 8, 9 को छोटे अंकों में परिवर्तित करने की प्रक्रिया में हमें ऋणात्मक अंक प्राप्त होते हैं। साथ ही वैदिक गणित में धनात्मक एवं ऋणात्मक दोनों प्रकार के अंकों का प्रयोग किया जाता है।
वैदिक गणित में प्रयुक्त होने वाली संख्याओं के सभी अंक 5 या 5 से छोटे रखे जाते हैं
वैदिक गणित ( Vedic Mathematics ) में संख्याओं के अंकों को ऋणात्मक रूप में लिखने को विनकुलम् कहते हैं। वैदिक गणित में ऋणात्मक अंक ( –2 ) को, अंक 2 के ऊपर ऋणात्मक चिह्न लगाकर याा बार चिन्ह द्वारा व्यक्त किया जाता है।
जो ( –2 ) का विनकुलम् अंक या
वैदिक गणित में प्रयुक्त होने वाली संख्याओं में सभी अंक 5 या 5 से छोटे रखे जाते हैं। अतः संख्या में जो भी अंक 5 से बड़े ( 6, 7, 8, 9 ) होते हैं, उन सभी ( 6, 7, 8, 9 ) अंकों के स्थान पर उनके विनकुलम् अंक रख देते हैं।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि वैदिक गणित में हम गणना को छोटा वह सरल बनाने के लिए शून्य सहित प्राकृतिक अंकों के साथ साथ विनकुलम अंकों का उपयोग करते हैं । इस प्रकार वैदिक गणित में केवल 14 प्रकार के अंगो का ही उपयोग किया जाता है। जो निम्न हैं → 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6 या –4, 7 या –3 , 8 या –2, 9 या –1 आदि।
किसी अंक का विनकुलम् ज्ञात करना :
5 से बड़े जिस अंक का विनकुलम् ज्ञात करना हो तो उसका ’10 से विचलन’ ज्ञात कर लेते हैं। इस प्रकार जो ऋण आत्मक अंक आताा हैउसी को हम उस संख्या का विनकुलम अंक कहते हैं।
उदाहरण –
अंक 6 का 10 से विचलन = 6 – 10 = –4
अंक 6 का विनकुलम् =
* अंक 7 का विनकुलम् ज्ञात करना।
अंक 7 का 10 से विचलन = 7 – 10 = –3
अंक 7 का विनकुलम् =
* अंक 8 का विनकुलम् ज्ञात करना।
अंक 8 का 10 से विचलन = 8 – 10 = –2
अंक 8 का विनकुलम् =
इसी प्रकार,
* अंक 9 का विनकुलम् ज्ञात करना।अंक 9 का 10 से विचलन = 9 – 10 = –2
अंक 9 का विनकुलम् =
अंक 6 का विनकुलम् =
अंक 7 का विनकुलम् =
अंक 8 का विनकुलम् =
अंक 9 का विनकुलम् =
विनकुलम् संख्याएँ :
वे संख्याएँ जिनमें धनात्मक तथा ऋणात्मक दोनों प्रकार के अंक प्रयुक्त होते हैं, विनकुलम् संख्याएँ कहलाती हैं।
निखिलम् सूत्र के द्वारा सामान्य संख्याओं को आसानी से विनकुलम संख्या में बदला जा सकता है। :
निखिलम सूत्र है
निखिलम नवत: चरमं दशत: ।
अर्थात
‘प्रत्येक अंक को 9 में से तथा अंतिम दाएँ अंक (इकाई) को 10 में से घटाओ।’
इस सूत्र की सहायता से सामान्य संख्याओं को विनकुलम् संख्याओं में आसानी से बदल सकते हैं।
अभ्यास 1
1. Ekadhika or Ekadhikain (एकाधिक या एकाधिकेन):
Ekadhika means “one more”.
एकाधिक का अर्थ होता हैं - एक अधिक।
Example:
0 का एकाधिकेन = 0 + 1 =1
Ekadhika of 0 is =0+1=1
1 का एकाधिकेन = •1 = 1 + 1 =2
2 का एकाधिकेन = •2 = 2 + 1 =3
3 का एकाधिकेन = •3 = 3 + 1 =4
4 का एकाधिकेन = •4 = 4 + 1 =5
5 का एकाधिकेन = •5 = 5 + 1 =6
6 का एकाधिकेन = •6 = 6 + 1 =7
7 का एकाधिकेन = •7 = 7 + 1 = 8
8 का एकाधिकेन = •8 = 8 + 1 = 9
9 का एकाधिकेन = •9 = 9 + 1 = 10
•(12) का एकाधिकेन =12+1=13
Ekadhika of •(12) is = 12+1=13
25 का एकाधिक = •(25) = 25+1=26
Ekadhika of 25 is = •(25) = 25+1=26
अतः किसी भी अंक के ऊपर बिन्दु या डॉट लगाने से उसका मान एकाधिक अर्थात एक बढ़ जाता है -
यदि •0 के ऊपर बिन्दु या डॉट लगाएंगे तो वह 1 पढ़ा जाएगा
•2 पर बिन्दु लगाएंगे तो 3,
•3 पर लगाएंगे तो 4
इसी प्रकार •9 पर बिन्दु लगाएंगे तो वह 10 हो जाएगा।
एकाधिक बिन्दु के प्रयोग से वैदिक गणित की कई कठिनतम गणनाएं सरल हो जाती हैं।
अब हम अपने काम पर आते हैं।
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