21.02 लघुत्तम समापवर्तक एवं महत्तम समापवर्तक के सूत्र

लघुत्तम समापवर्त्य : दो या दो से अधिक संख्याओं का ‘ लघुत्तम समापवर्त्य वह छोटी-से-छोटी संख्या है, जो उन दी गई संख्या में से प्रत्येक से पूर्णतया विभाजित हो जाती है।

जैसे: 3, 5, 6 का लघुतम समापवर्त्य 30 है, क्योंकि 30 को ये तीनों संख्याएँ क्रमशः विभाजित कर सकती हैं।

समापवर्त्य (Common Multiple) : एक संख्या जो दो या दो से अधिक संख्याओं में । से प्रत्येक से पूरी-पूरी विभाजित होती हो, तो वह संख्या उन संख्याओं की समापवर्त्य कहलाती है।

जैसे 3, 5, 6 का समापवर्त्य 30, 60, 90 आदि हैं।

महत्तम समापवर्तक : ‘महत्तम समापवर्तक’ वह अधिकता संख्या है, जो दी गई संख्याओं को पूर्णतया विभाजित करती है।

जैसे: संख्याएँ 10, 20, 30 का महत्तम समापवर्तक 10 है।

समापवर्तक (Common Factor) : ऐसी संख्या जो दो या दो से अधिक संख्याओं में से प्रत्येक को पूरी-पूरी विभाजित करें,
जैसे: 10, 20, 30 का समापवर्तक 2, 5, 10 है।

अपवर्तक एवं अपवर्त्य (Factor and Multiple) : यदि एक संख्या m दूसरी संख्या n को पूरी-पूरी काटती है, तो m को n का अपवर्तक ( Factor ) तथा n को m का अपवर्त्य (Multiple) कहते हैं।

गुणनखण्ड विधि :

दी हुई संख्याओं के अभाज्य गुणनखण्ड ज्ञात कर लेते हैं तथा गुणनखण्डों को घात से प्रदर्शित करते हैं, तत्पश्चात् अधिकतम घात वाली संख्याओं का गुणा करते हैं।

जैसे:- 16, 24, 40, 42 का ल.स. –
16 = 2 × 2 × 2 × 2 = 24
24 = 3 × 2 × 2 × 2 = 3 × 23
40 = 5 × 2 × 2 × 2 = 5 × 23
42 = 7 × 3 × 2 = 7 × 3 × 2

ल.स. = 24 × 3 × 5 × 7 = 16 × 105 = 1680

भाग विधि :

इस विधि को निम्न उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है।

उदाहरणार्थ:- 36 , 48 और 80 का ल. स.

भाग विधि

अतः 36 , 48 और 80 का ल. स. = 2 × 2 × 2 × 2 × 3 × 3 × 5 = 720

इसमें संख्याओं को उभयनिष्ठ अभाज्य भाजकों द्वारा विभाजित किया जा सकता है तथा इस क्रिया की पुनरावृत्ति तब तक करते हैं जब तक शेषफल एक प्राप्त हो। इन अभाज्य भाजकों का गुणनफल ही अभीष्ट ल.स. होगा।


गुणनखण्ड विधि :

इस विधि में दी गई सभी संख्याओं के रूढ़ गुणनखण्ड करते हैं । तथा जो संख्याएँ सभी में सर्वनिष्ठ हों उनका गुणा करते हैं।

जैसे: 28, 42 और 98 का म.स. –
28 = 2 × 2 × 7
42 = 2 × 3 × 7
98 = 2 × 7 × 7
28, 42 और 98 का म स. = 2 × 7 = 14

भाग विधि :

इस विधि में दी गई संख्याओं में से सबसे छोटी संख्या से उससे बड़ी संख्या में भाग देते हैं , तत्पश्चात् बचे शेष से भाजक में भाग दिया जाता है और यह क्रिया तब तक करते हैं, जब तक शून्य शेष बचे, तब अन्तिम भाजक ही दी हुई संख्याओं का म.स. होगा यदि संख्या तीन हैं, तो प्राप्त म.स. तथा तीसरी संख्या के साथ यही क्रिया करते हैं। आगे इसी तरह करते जाते हैं।

जैसे: 36, 54, 81 का म.स. –
सर्वप्रथम 36 तथा 54 का म.स. इस विधि से निकालते हैं।

36) 54 (1
       36
       18) 36 (2
              36
               ×
अतः 36 तथा 54 का म.स. = 18

अब, 18 तथा 81 का म.स. निकालते हैं।

18) 81 (4
       72
         9) 18 (2
              18
                ×
अतः 36, 54 तथा 81 का म.स. 9 है।

दशमलव संख्याओं का ल. स. तथा म. स. निकालना

दी गई सभी दशमलव संख्याओं को परिमेय संख्या p/q के रूप में लिखते हैं तथा भिन्नों के आधार पर उनका ल.स. या म.स. ज्ञात करते हैं।

जैसे:- 7, 10.5 एवं 1.4 का म. स.
अतः 7 = 7/1, 10.5 = 105/10, 1.4 = 14/10
म.स. = 7 , 105 14 का म.स./1 , 10 , 10 का ल.स. = 7/10 = 0.7

भिन्नों का म.स.प. एवं ल.स.प. :

* भिन्नों का म.स.प. = अंशों का म.स.प./हरों का ल.स.प.

* भिन्नों का ल.स.प. = अंशों का ल.स.प./हरों का म.स.प.

महत्तम समापवर्तक और लघुत्तम समापवर्तक के सूत्र :

* भिन्नों का लघुत्तम समापवर्तक (L.C.M) = अंशों का ल.स./हरों का म.स.

* भिन्नों का महत्तम समापवर्तक (H.C.F.) = अंशों का म.स./हरों का ल.स.

* ल.स × म.स. = पहली संख्या × दूसरी संख्या

* ल.स.= (पहली संख्या × दूसरी संख्या) ÷ म.स.

* म.स.= (पहली संख्या × दूसरी संख्या) ÷ ल.स.

* पहली संख्या = (ल.स. × म.स) ÷ दूसरी संख्या

* दूसरी संख्या = (ल.स. × म.स) ÷ पहली संख्या

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