विनजीत वैदिक अंकगणित पुस्तक || 1 || अध्याय 00.02 || क्या; क्यों; कैसे प्रश्नावली और उत्तरवली

विनजीत वैदिक अंकगणित पुस्तक || 1 || अध्याय 00.02 || क्या; क्यों; कैसे प्रश्नावली और उत्तरवली

लेखक

ॐ जितेन्द्र सिंह तोमर

(M.A., B. Ed., MASSCOM, DNYS )

(Specialist in Basic and Vedic Maths)


वैदिक गणित क्या है? (What is Vedic Maths?):

वैदिक गणित (Vedic Mathematics) के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

वैदिक गणित पर दो शब्द

वैदिक गणित (Vedic Mathematics), जैसा कि नाम से ही ज्ञात होता है कि वैदिक गणित वेदो में प्रयुक्त सूत्रों पर आधारित गणित है। इसलिए से वैदिक गणित कहा जाता है।
यह एक ऐसी विद्या है जो  विद्यार्थियों में गणित के प्रति भय को समाप्त करता है। उनकी बुद्धि को कुशाग्र बनाता है। जिससे गणित की जटिल गणनाएं भी उनके लिए सरल हो जाती है।

दूसरे शब्दों में कहें तो वैदिक गणित वास्तव में भारतीय वैदिक साहित्य में प्रयुक्त गणितीय गणनाओं के शाश्वत ज्ञान का आदि स्रोत है। वैदिक काल में वैदिक गणित एक मुख्य विषय था क्योंकि उसके बिना क्लिष्ट या दुरूह या कठिन ‌ज्योतिषीय व खगोलीय गणना करना संभव ही नहीं था।

वैदिक ऋचाओं में गणित, ज्योतिष, खगोल विद्या, आयुर्वेद आदि के ज्ञान की मानव उपयोगी पद्धतियों का विशद वर्णन मिलता है। 

महाभारत काल के बाद कुछ समय का इतिहास पुराणों में मिलता है परंतु उसके उपरांत 19वीं सदी तक लगभग 5000 वर्ष केवल और केवल भारतीय विधाओं का लोप होता रहा। वर्तमान वैदिक गणितज्ञ पुरी के शंकराचार्य स्वामी भारतीकृष्ण तीर्थ द्वारा प्राचीन भारत के महान् गणितज्ञ भास्कराचार्य (द्वितीय) के लीलावती नामक ग्रंथ की जटिल गणितीय प्रश्नोत्तरी का सुगम हल सूक्ष्म उदाहरणों द्वारा प्रस्तुत किया।

आधुनिक गणित में विद्यार्थियों को बने बनाए सूत्र रटा दिए जाते हैं। जिससे विद्यार्थियों की गणितीय तार्किक बुद्धि तथा तार्किक विवेक क्षमता का सुचारू रूप से विकास नहीं हो पाता है। जबकि वैदिक गणित के सूत्र, सूत्र निर्माण के साधन बन विद्यार्थियों के बौद्धिक कौशल का विकास करने में सहायक होते है।

सन 1981 स्वामी भारती कृष्णतीर्थ जी का 'वृहद् वैदिक मैथमेटिक्स' जब  लन्दन में प्रकाशित हुआ तो पाश्चात्य देशों के गणितज्ञ चकित रह गए। जब गणितज्ञों ने देखा कि वैदिक गणित की गणनाएं कंप्यूटर के अनुकूल है।

स्वामी भारती कृष्णतीर्थ जी ने बताया कि वैदिक गणित में गणना मानसिक रूप से आसानी से की जा सकती है। जो मस्तिष्क का विकास में सहायक होता है। वैदिक गणित का एक नाम मानस गणित भी है क्योंकि इसका अर्थ है मन में गणना करने में सहायक गणित। इसी कारण मानसिक गणना करने की क्षमता पैदा करने के कारण ही वैदिक गणित को 'मानस गणित' भी कहा जाता है। 

वैदिक गणित सीखने के बाद विद्यार्थी सूत्रों व उपसूत्रों पर आधारित गणित की कठिनतम संक्रियाओं (संकलन, व्यवकलन, गुणन, विभाज्यता, वर्ग-वर्गमूल, घन-घनमूल आदि) के लिए उपलब्ध अनेक विधियों होने से सुबिधा अनुसार श्रेष्ठ विधि का चयन करके अपने उत्तर शीघ्र प्राप्त कर सकता है।

आपको ज्ञात होना चाहिए कि भारतीय गणित के इतिहास में 1000 ईसा पूर्व से 500 ईसा पूर्व का काल शुल्व काल अथवा वेदांत ज्योतिष काल कहा जाता है। क्योंकि इस काल में अनेक भारतीय गणितज्ञों ने शुल्व सूत्रों की रचनाएं की। इस काल में बौधायन, आपस्तम्ब, कात्यायन आदि ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। 

इसी काल में बौधायन द्वारा रेखागणित की एक प्रसिद्ध प्रमेय की रचना की गई। यह प्रमेय बौधायन प्रमेय कहलाती है।
इस पाइथागोरस प्रमेय को कौन नहीं जानता परंतु आपको बता दे कि इस प्रमेय की रचना शुल्व कल में बौधायन द्वारा की गई थी। इस प्रमेय को इनके बाद में पाइथागोरस ने 540 ईसा पूर्व में प्रतिपादित किया था। जबकि बौधायन ने पाइथागोरस इनसे 450 वर्ष पूर्व उक्त प्रमेय को प्रतिपादित किया था। इसलिए इस प्रमेय को पाइथागोरस प्रमेय के स्थान पर बौधायन प्रमेय कहा जाना चाहिए।

हजारों वर्ष पूर्व हुए शून्य व दशमलव अंकों व शून्य व दशमलव अंक पद्धति का आविष्कार आज विश्व के आधुनिक गणित पद्धति के आधार बनी हुईं हैं। 

समस्त वैज्ञानिक खोजों तथा आविष्कारों में शून्य व दशमलव गणितीय गणनाओं के प्रयोग के कारण यदि यह कहा जाए कि आधुनिक विज्ञान का विकास शून्य व दशमलव अंक पद्धति के आधार पर हुआ है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।

प्राचीन काल में गणनाओं को तेजी से तथा कम समय में हर करने के लिए वैदिक ऋषियों तथा गणितज्ञों द्वारा वैदिक सूत्रों का प्रयोग किया जाता था। वैदिक सूत्र हमें अंकगणित ही नहीं बीजगणित की समस्याओं को हल करने का एक नया दृष्टिकोण भी प्रदान करता हैं। वैदिक गणित का महत्त्व तो आज विश्व के गणितज्ञ भी स्वीकार करते हैं। 

लेखक
ॐ जितेंद्र सिंह तोमर

Frequently asked questions regarding Vedic Mathematics:


प्रश्न –> वैदिक गणित क्या है ?

उत्तर –>  वैदिक गणित (Vedic Mathematics), जैसा कि नाम से ही ज्ञात होता है कि वैदिक गणित वेदो में प्रयुक्त सूत्रों पर आधारित गणित है। इसलिए से वैदिक गणित कहा जाता है।

यह एक ऐसी विद्या है जो  विद्यार्थियों में गणित के प्रति भय को समाप्त करता है। उनकी बुद्धि को कुशाग्र बनाता है। जिससे गणित की जटिल गणनाएं भी उनके लिए सरल हो जाती है।

दूसरे शब्दों में कहें तो वैदिक गणित वास्तव में भारतीय वैदिक साहित्य में प्रयुक्त गणितीय गणनाओं के शाश्वत ज्ञान का आदि स्रोत है। वैदिक काल में वैदिक गणित एक मुख्य विषय था क्योंकि उसके बिना क्लिष्ट या दुरूह या कठिन ‌ज्योतिषीय व खगोलीय गणना करना संभव ही नहीं था।

प्रश्न –> वैदिक गणित, गणित के किन-किन क्षेत्रों में लागू हो सकता है ?
उत्तर –> वैदिक गणित, गणित के निम्न क्षेत्रों पर अपना अधिकार रखती है:
वैदिक गणित के सूत्र गणित की लगभग सभी शाखाओं के सभी अध्यायों में और सभी विभागों जैसे अंकगणित, बीजगणित, रेखागणित, समतल तथा गोलीय, त्रिकोणमिति, समतल तथा धन ज्यामिति तथा वैश्लेषक, शांकव, ज्योतिर्विज्ञान, समाकल तथा अवकल कलन इत्यादि पर लागू होते हैं। गणित में ऐसा कोई भाग नहीं है जिसमें इसका अनप्रयोग न हो।

प्रश्न –> वैदिक गणित सीखने के लिए कितनी मेहनत की आवश्यकता होती है?
उत्तर –> वैदिक गणित गणितीय गणनाओं को आसान और तेज़ तरीके से हल करने के लिए 16 सूत्र (सूत्र) और 13 उप-सूत्र (उप सूत्र) अर्थात कुल 39 वैदिक सूत्रों का उपयोग करके अंकगणित (arithmetic), बीजगणित (algebra), ज्यामिति (geometry), कलन (calculus), शंकुवगणित (conics) आदि सहज ही समझ में आ जाते हैं। 

वैदिक गणित के सूत्र शहज ही समझ में आ जाते हैं । सूत्रों के सरल अनुप्रयोग शहज ही याद हो जाते हैं । जिससे गणन प्रक्रिया मौखिक हो जाती है। और प्रश्न सरलता से हल हो जाते हैं।

वैदिक गणित कई स्टेप्स की प्रक्रिया वाले (क्रमानुसार अथवा एक साथ) जटिल प्रश्नों को हल करने में आधुनिक पाश्चात्य विधि (प्रचलित) की अपेक्षा एक तिहाई, चौथाई, दसवां या उससे भी कम समय लेता है।

जैसा कि आप समझ ही गए होंगे कि वैदिक गणित, गणित की सभी शाखाओं पर लागू होता है। विद्यार्थीगण वैदिक गणित का सम्पूर्ण पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए औसतन 2 या 3 घंटे प्रतिदिन के हिसाब से लगते हैं।

प्रश्न –> वैदिक गणित क्या है ? 
उत्तर –> वैदिक गणित (Vedic Mathematics), जैसा कि नाम से ही ज्ञात होता है कि वैदिक गणित वेदो में प्रयुक्त सूत्रों पर आधारित गणित है। इसलिए से वैदिक गणित कहा जाता है। यह एक ऐसी विद्या है जो विद्यार्थियों में गणित के प्रति भय को समाप्त करता है। उनकी बुद्धि को कुशाग्र बनाता है। जिससे गणित की जटिल गणनाएं भी उनके लिए सरल हो जाती है। दूसरे शब्दों में कहें तो वैदिक गणित वास्तव में भारतीय वैदिक साहित्य में प्रयुक्त गणितीय गणनाओं के शाश्वत ज्ञान का आदि स्रोत है। वैदिक काल में वैदिक गणित एक मुख्य विषय था क्योंकि उसके बिना क्लिष्ट या दुरूह या कठिन ‌ज्योतिषीय व खगोलीय गणना करना संभव ही नहीं था। 


प्रश्न –> वैदिक गणित, गणित के किन-किन क्षेत्रों में लागू हो सकता है ? 
उत्तर –> वैदिक गणित, गणित के निम्न क्षेत्रों पर अपना अधिकार रखती है: वैदिक गणित के सूत्र गणित की लगभग सभी शाखाओं के सभी अध्यायों में और सभी विभागों जैसे अंकगणित, बीजगणित, रेखागणित, समतल तथा गोलीय, त्रिकोणमिति, समतल तथा धन ज्यामिति तथा वैश्लेषक, शांकव, ज्योतिर्विज्ञान, समाकल तथा अवकल कलन इत्यादि पर लागू होते हैं। गणित में ऐसा कोई भाग नहीं है जिसमें इसका अनप्रयोग न हो। 

प्रश्न –>  वैदिक सूत्र क्या है? 

उत्तर –>  वैदिक सूत्र वेद नामक प्राचीन भारतीय पुस्तकों (Scripts) पर आधारित गणितीय अवधारणा हैं जिन्हें जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी भारती कृष्ण तीर्थजी (Bharati Krishna Tirthaji) ने अपनी वैदिक गणित की पुस्तक में वर्णित किया है। इन्हें ही वैदिक सूत्र नाम दिया गया है। उन्होंने अपनी पुस्तक में 16 सूत्र और 13 उप-सूत्र मिलाकर कुल 39 वैदिक सूत्रों व उपसूत्रों का संग्रह किया है। 

प्रश्न –> क्या वैदिक गणित उपयोगी है? 

उत्तर –> प्राचीन काल में गणनाओं को तेजी से तथा कम समय में हल करने के लिए वैदिक ऋषियों तथा गणितज्ञों द्वारा वैदिक सूत्रों का प्रयोग किया जाता था। वैदिक सूत्र हमें अंकगणित ही नहीं बीजगणित की समस्याओं को हल करने का एक नया दृष्टिकोण भी प्रदान करता हैं। वैदिक गणित का महत्त्व तो आज विश्व के गणितज्ञ भी स्वीकार करते हैं। 

वैदिक गणित व्यक्ति को सरल और जटिल दोनों प्रकार की गणितीय समस्याओं को कई गुना तेजी से हल करने व बुद्धिमान निर्णय लेने में मदद करता है। यह समस्याओं को हल करने में मदद करता है। यह कठिन अवधारणाओं को याद रखने के बोझ (burden) को कम करता है।

प्रश्न –>  वैदिक गणित कठिन है या आसान ?

उत्तर –> हमारे विचार के अनुसार वैदिक गणित बहुत आसान है। वैदिक गणित, गणित की समस्याओं को आसान और तेज़ तरीके से हल करने वाले सूत्रों का एक संग्रह है। 

इन वैदिक विधियों से कठिन समस्याओं को तुरंत व सरलता से हल किया जा सकता है। वैदिक गणित की गणनाएं मानसिक रूप से की जा सकती है इसलिए से मानस गणित भी कहते हैं।

प्रश्न –> वैदिक गणित की खोज किसने की? 

उत्तर: वैदिक गणित भारतीय संत जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ द्वारा लिखित एक पुस्तक है। जगद्गुरु जी द्वारा इसे पुनर्जीवित किया गया इसलिए उन्हें ही इसका खोज कर्ता माना जाता है, परंतु वैदिक गणित के खोजकर्ता हमारे प्राचीन भारतीय वैदिक ऋषि हैं।

प्रश्न –> वैदिक गणित का संबंध किस वेद से है? 

उत्तर –> वैदिक गणित का संबंध चार वेदों में से एक, अथर्ववेद (Atharva Veda) से है। इसमें प्रयुक्त होने वाले सूत्र व उप सूत्र, अथर्ववेद के परिशिष्ठ का हिस्सा थे। 

प्रश्न –> वैदिक क्या वैदिक गणित का कोई दूसरा नाम भी है इसे इंग्लिश में क्या कहते हैं?

उत्तर –> वैदिक गणित का दूसरा नाम मानस गणित है इसे इंग्लिश में भी Vedic Mathematics ही कहते हैं।

प्रश्न –> वैदिक गणित सीखने की सही उम्र क्या है? 

उत्तर –> वैदिक गणित सीखने की न्यूनतम आयु 8 वर्ष है और अधिकतम आयु कुछ भी हो सकती है। हमने छात्रों की उम्र और कक्षा के अनुसार 3 पुस्तकें बनाई हैं?

प्रथम पुस्तक कक्षा 3 से 5 के लिए। (उम्र 8 से 10 वर्ष)

द्वितीय पुस्तक कक्षा 6 से 8 के लिए। (उम्र 11 से 13 वर्ष)

तृतीय पुस्तक कक्षा 9 से 10 के लिए। (उम्र 14 से 15 वर्ष)

प्रश्न –> क्या वैदिक गणित वास्तविक है? 

उत्तर –> जी हाँ। लोगों का मानना है कि वैदिक गणित का वेदों से कोई संबंध नहीं है। 

यह वास्तव में भारती कृष्ण तीर्थ द्वारा भ्रामक रूप से वैदिक गणित शीर्षक वाली पुस्तक से उत्पन्न हुई है। 

लेकिन जब हम बच्चों को वैदिक गणित पढ़ते हैं तो हम पाते हैं कि यह प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हो रहा है।

जिन नियमों को हम वैदिक गणित में उपयोग करते हैं। उनमें से अधिकतर नियमों को वर्तमान आधुनिक गणित आज भी नहीं जानता, लेकिन वैदिक गणित के अनुप्रयोग प्रश्नों के आंसर अर्थात उत्तर ढूंढने में बहुत सहायक होते हैं।

प्रश्न –> स्कूलों में वैदिक गणित क्यों नहीं पढ़ाया जाता? 

उत्तर: वर्तमान में गणित शिक्षक बच्चों को पढ़ने के लिए गणित के पाश्चात्य देशों में प्रचलित नीरस और सूखे तरीके ही उपयोग में लाते हैं। जो बच्चों की गणित के प्रति अरुचि पैदा करते हैं। 

धार्मिक विवाद और अनट्रेंड शिक्षकों के कारण वैदिक गणित को स्कूलों के पाठ्यक्रम में जगह नहीं दी गई है इसलिए स्कूलों में वैदिक गणित को नहीं पढ़ाया जाता।

वर्तमान में कुछ राज्य सरकारों ने वैदिक गणित के कुछ अध्याय गणित के सलेवस में जोड़े हैं।

प्रश्न –> मैं वैदिक गणित कहाँ से सीख सकता हूँ? 

उत्तर –> 8 से 25 वर्ष के आयु वर्ग के छात्रों ओपन स्काईज (Open Skys) लाइव इंटरेक्टिव ऑनलाइन क्लासेस (Live interactive Online Classes) के माध्यम से openskys.in पर 10 गुना तेजी से गणित सीख सकते है। वैदिक गणित सीखने की न्यूनतम आयु 8 वर्ष है लेकिन अधिकतम आयु का कोई बंधन नहीं है।

प्रश्न –> क्या मैं घर पर वैदिक गणित सीख सकता हूँ? 

उत्तर –> हमारा वैदिक गणित पाठ्यक्रम ऑनलाइन उपलब्ध है और साथ ही कुछ ट्यूटोरियल भी घर पर ही अध्ययन सामग्री के रूप में भेज सकते हैं। जो एक व्यक्ति को अपने घर के आराम के भीतर वैदिक गणित के कौशल हासिल करने में सहायता करेगा।

प्रश्न –> वैदिक गणित आधुनिक गणित के लिए किस प्रकार सहायक है?

उत्तर –> जैसा कि हमने आपको बताया है कि वैदिक गणित तेज और सटीक मानसिक गणना में मदद करता है। इसके द्वारा 16 सूत्र और 13 उप सूत्रों की सहायता से आधुनिक गणित का कोई भी कठिन समीकरण को वैदिक गणित की मानसिक गणना से ही हल किया जा सकता है। 

आप संकलन (addition), वयवकलन (Subtraction), गुणा (multiplication), भाग (division), वर्ग (square), वर्गमूल (square root), घन (cube), घनमूल (cube root), बीजगणित (algebra), त्रिकोणमिति (trigonometry) आदि आसानी से कर सकते हैं।

प्रश्न –>  वैदिक गणित का भविष्य क्या है? 

उत्तर –>  वैदिक गणित में सिखाई जाने वाली अवधारणाएं प्रतियोगी परीक्षा के उम्मीदवारों (competitive exam aspirants) के लिए विशेष रूप से ग्रेड III के लिए व्यापक रूप से लागू होती हैं। 

इसलिए वैदिक गणित का भविष्य और दायरा बहुत ही व्यापक और उज्ज्वल है और समय को देखते हुए भविष्य में भी यह केवल उज्ज्वल ही रहेगा। 

यदि विद्यार्थी को 5 तक की गुणन सारणी अर्थात पहाड़े की बुनियादी समझ हो तो वैदिक गणित को  समझने में मदद मिलती है।

प्रश्न –> मैं अपने बच्चे को वैदिक गणित कैसे पढ़ाऊं? 

उत्तर –> वैदिक गणित सीखने की न्यूनतम आयु 8 वर्ष है और अधिकतम आयु कुछ भी हो सकती है। हमने छात्रों की उम्र और कक्षा के अनुसार 3 पुस्तकें बनाई हैं?

★ प्रथम पुस्तक कक्षा 3 से 5 के लिए। (उम्र 8 से 10 वर्ष)

★ द्वितीय पुस्तक कक्षा 6 से 8 के लिए। (उम्र 11 से 13 वर्ष)

★ तृतीय पुस्तक कक्षा 9 से 10 के लिए। (उम्र 14 से 15 वर्ष)

आप अपने बच्चे की एज और कक्षा के अनुसार पुस्तक नहा सकते हैं।

प्रश्न –> मैं वैदिक गणित क्यों पढ़ूं ? 

उत्तर –> यदि आप वैदिक गणित के भव्य दृष्टांत को एक बार पढ़ लेंगे तो आप स्वयं ही समझ जाएंगे कि आधुनिक गणित और वैदिक गणित में क्या अंतर है। तब आप इसे पूरा पढ़ने और चुनने के लिए स्वयं ही बहुत इच्छुक हो जाएंगे।

नोट : –> आप अपनी शंका के समाधान के लिए यहां प्रश्न पूछ सकते हैं?

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