06.05 वर्ग निकालना (1) पांचांत अर्थात 5 से अन्त होने वाली संख्याओं का वर्ग

6.5 वर्ग निकालना (1) पांचांत अर्थात 5 से अन्त होने वाली संख्याओं का वर्ग


निखिल अंक उपप्रमेय नंबर 1 →एकाधिकेन पूर्वेण 

एकाधिकेन पूर्वेण विधि से वर्ग

सूत्र = (निखिलांक) × (निखिलांक का एकाधिकेन) / (चरमांक)²

हम किसी संख्या को दो भागों में विभक्त कर सकते हैं । इकाई के अंक को हम चरमांक कहते हैं जबकि शेष बचा भाग निखिलांक के नाम से जाना जाता है।
(शेष बचा भाग निखिलांक)(इकाई का अंक)
अतः
(शेष बचा भाग निखिलांक)(चरमांक)

जैसे 
* 15 में चरमांक 5 तथा निखिलांक 1 है।
* 75 में चरमांक 5 तथा निखिलांक 7 है।
* 185 में चरमांक 5 तथा निखिलांक 18 है।
* 9415 में चरमांक 5 तथा निखिलांक 941 है।


 इस सूत्र के प्रयोग से 5 से अंत होने वाली संख्याओं का वर्ग बहुत ही आसानी से किया जा सकता है।

जैसे: 5, 15, 25, 35, 45, 65, 105, 135, 125, 115, 125 आदि का वर्ग.

Q. 5 का वर्ग
05 में 'पूर्व' अंक है 0 और •0 का एकाधिक 1 होता है। इसलिए 

05²
=0/5²
= 0ו0/5² 
=0×1/25 
=0/25
=25 


Q. 15 का वर्ग
05 में 'पूर्व' अंक है 1 और •1 का एकाधिक 2 होता है। इसलिए 

15²
=1/5²
= 1ו1/5² 
=1×2/25 
=2/25
=225 

Q. 25 का वर्ग
25 में 'पूर्व' अंक है 2 और •2 का एकाधिक 3 होता है। इसलिए 

25²
=2/5²
= 2ו2/5² 
=2×3/25 
=6/25
=625 

Q. 35 का वर्ग
35 में 'पूर्व' अंक है 3 और •3 का एकाधिक 4 होता है। इसलिए 

35²
= 3/5²
= 3ו3/5² 
=3x4/25 
=1225

Q. 105 का वर्ग
105 में 'पूर्व' अंक है 10 और •(10) का एकाधिक 11 होता है। इसलिए 

105²
=10/5²
= 10ו10/5² 
=10×11/25 
=110/25
=110225 

Q. 115 का वर्ग
115 में 'पूर्व' अंक है 11 और •(11) का एकाधिक 12 होता है। इसलिए 

115²
=11/5²
= 11ו11/5² 
=11×12/25 
=132/25
=13225 

Q. 125 का वर्ग
125 में 'पूर्व' अंक है 12 और •(12) का एकाधिक 13 होता है। इसलिए 

125²
=12/5²
= 12ו12/5² 
=12×13/25 
=156/25
=15625 

Q. 395 का वर्ग
395 में 'पूर्व' अंक है 39 और •(39) का एकाधिक 40 होता है। इसलिए 

395²
=39/5²
= 39ו39/5² 
=39×40/25 
=1560/25
=156025 

Q. 1995 का वर्ग
1995 में 'पूर्व' अंक है 199 और •(199) का एकाधिक 200 होता है। इसलिए 

1995²
= 199/5²
= 19ו199/5² 
= 19×200/25 
= 3800/25
= 380025 

अभ्यास प्रश्न
निम्न का एक-एक कर वर्ग ज्ञात करो: 
45, 65, 75, 85, 95, 135, 145, 185, 195, 1235, 1545, 1785, 1895


लेखक
ॐ जितेंद्र सिंह तोमर

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