बहुत अच्छा। अब हम वैदिक गणित के तीसरे उपसूत्र की ओर बढ़ते हैं, जिसका गहराई से अध्ययन हम निम्नलिखित शीर्षकों में करेंगे:
🟦 वैदिक गणित उपसूत्र 3:
"गुणितासमुच्चयः समुच्चयगुणितः"
(Transliteration: Guṇitasamuccayaḥ Samuccayaguṇitaḥ)
1. 🔹 शाब्दिक अर्थ:
शब्द | अर्थ |
---|---|
गुणित | गुणा किया गया |
समुच्चय | कुल योग / समष्टि |
गुणितासमुच्चयः | गुणा किए गए पदों का समुच्चय |
समुच्चयगुणितः | समुच्चय का गुणा किया हुआ रूप |
👉 इसका पूरा अर्थ हुआ:
“गुणा किए गए पदों का समुच्चय = समुच्चय का गुणा”
दूसरे शब्दों में:
यदि किसी बीजगणितीय समीकरण में दोनों पक्षों का समुच्चय एक समान है, तो उस समीकरण को सरलता से हल किया जा सकता है।
2. 🔹 वैदिक एवं गणितीय संदर्भ:
यह उपसूत्र वैदिक गणित के उन सिद्धांतों में से एक है, जो बीजगणित और अंकगणित दोनों में संक्षिप्तीकरण और तेज निष्कर्ष निकालने के लिए प्रयुक्त होता है। विशेष रूप से, यह तब उपयोगी होता है जब दो प्रकार के परिणाम समान दिखाई दें — एक "गुणा करके फिर जोड़ने" से, दूसरा "जोड़कर फिर गुणा करने" से।
3. 🔹 सूत्र का गणितीय रूपांतरण:
यह सूत्र विशेष रूप से उन समस्याओं में लागू होता है जहाँ—
गुणनफल = गुणक समुच्चय × शेष पद समुच्चय
जैसे:
( a + b) (c + d) = ac + ad + bc + bd
यहाँ दोनों ओर जोड़ने और गुणा करने से एक ही उत्तर आता है।
यदि कोई समीकरण हो:
(x + a)(x + b) = x² + (a + b)x + ab
तो उपसूत्र कहता है:
गुणितासमुच्चय = समुच्चयगुणित
गुणितासमुच्चय = (x+a)(x+b)
समुच्चयगुणित = (x² + (a + b)x + ab)
4. 🔹 उपयोग की विधियाँ:
📘 विधि 1:
यदि दो पदों का गुणा करके फिर जोड़ा जाए, और वही उत्तर किसी अन्य प्रकार से जोड़कर फिर गुणा करके मिलता है, तो हम उपसूत्र का प्रयोग कर सकते हैं।
📘 विधि 2:
इसका प्रयोग समीकरणों में तुल्यता स्थापित करने में होता है।
5. 🔹 उदाहरण सहित अभ्यास:
🌟 उदाहरण 1:
(x + 3)(x + 4) = x² + 7x + 12
👉 यहाँ
समुच्चय = x + 3 + x + 4 = 2x + 7
गुणनफल = x² + 7x + 12
दूसरी ओर जोड़कर गुणा करो:
(x + 3)(x + 4) =
x(x + 4) + 3(x + 4)
= x² + 4x + 3x + 12
= x² + 7x + 12
🌟 उदाहरण 2:
यदि
(x + a)(x + b) = x² + 2 × a × b + a × b ....(1)
(x + a)(x + b) = (x + a + b) x + a × b ......(2)
👉 तो यह उपसूत्र दर्शाता है कि संपूर्ण गुणन को संकलित करके (समुच्चय के आधार पर) गणना की जा सकती है।
From equation 1 and 2
समीकरण एक वेश दों से
x² + 2 a b + a b = (x + a + b) x + a × b
गुणितासमुच्चय = समुच्चयगुणित
🌟 उदाहरण 3:
12 × 13 = ?
अब 12 = 10 + 2, 13 = 10 + 3
तो(10 + 2)(10 + 3)= 10² + 10×3 + 2×10 + 2×3
= 100 + 30 + 20 + 6 = 156
यहाँ उपसूत्र के अनुसार समुच्चय से ही उत्तर:
उपसूत्र (x + a + b)x + a × b
(10 + 2 + 3)(10) + (2 × 3)
= 15 × 10 + 6
= 150 + 6
= 156 ✅
🌟 उदाहरण 4 (समीकरण में):
यदि कोई समीकरण हो:
(x + a)(x + b) = x² + (a + b)x + ab. .....(1)
तो उपसूत्र कहता है:
गुणितासमुच्चय = समुच्चयगुणित
(x+a)(x+b) = (x² + (a + b)x + ab)
6. 🔹 मानसिक गणना में योगदान:
यह उपसूत्र विद्यार्थियों को यह सिखाता है कि —
- जब भी दो संख्याएँ दी हों जिनमें एक सामान्य आधार हो (जैसे दोनों 10 के आसपास हों), तो हम उस आधार के इर्द-गिर्द सरल गणना कर सकते हैं।
- गुणा करने से पहले जोड़ना और जोड़कर गुणा करना एक ही परिणाम देता है।
उदाहरण:
97 × 96 = ?
Base = 100 (निकटतम पूर्णांक)
97 = 100 - 3
96 = 100 - 4
तो Answer = 100² - (3 × 100 + 4 × 100 - 3×4) = 10000 - 700 + 12 = 9312
या सीधे सूत्र द्वारा:
Base² – (a + b) × Base + ab
7. 🔹 आधुनिक शिक्षा में उपयोगिता:
- बीजगणित में बहुपदों को गुणा करने में
- संख्याओं का मन से गुणा करने में
- फैक्टराइजेशन और पुनर्निर्माण में
- समीकरणों को सरल करने में
- बहुपदीय सूत्र और पहचानें
8. 🔹 प्रतियोगी परीक्षाओं में लाभ:
- SSC, Banking, UPSC, RRB में तेज गुणा
- तेज अनुमान (approximation)
- Simplification सेक्शन
- BODMAS आधारित प्रश्न
9. 🔹 सारांश:
पक्ष | विवरण |
---|---|
उपसूत्र | गुणितासमुच्चयः समुच्चयगुणितः |
अर्थ | गुणा किए गए पदों का समुच्चय = समुच्चय का गुणा |
प्रयोग | बहुपद गुणा, बीजगणितीय सरलीकरण |
विशेषता | जोड़कर गुणा और गुणा कर जोड़ने से समान उत्तर |
मानसिक लाभ | तेज गणना, समीकरण सरलीकरण |
परीक्षाओं में लाभ | हाँ, बहुत |
यदि आप चाहें तो अब मैं चौथे उपसूत्र —
👉 "लोपनास्थापनाभ्याम्" को भी विस्तार से समझा सकता हूँ।
क्या आप आगे बढ़ना चाहेंगे?
बिलकुल, अब हम वैदिक गणित के तीसरे उपसूत्र "गुणितासमुच्चयः समुच्चयगुणितः" को और अधिक विस्तार और गहराई से समझेंगे। मैं इसे चार स्तरों पर विभाजित कर रहा हूँ ताकि आप इसकी तत्व-चर्चा, विधियाँ, व्युत्पत्तियाँ और मानसिक प्रयोग सब अच्छे से समझ सकें।
🔷 उपसूत्र 3: गुणितासमुच्चयः समुच्चयगुणितः
🕉️ I. मूल अर्थ और वैदिक चिंतन
➤ संस्कृत शब्दार्थ:
शब्द | अर्थ |
---|---|
गुणित | गुणा किया गया |
समुच्चय | संपूर्ण योग, सबका जोड़ |
गुणितासमुच्चयः | जिन पदों को गुणा किया गया, उनका कुल योग |
समुच्चयगुणितः | योग लेकर फिर उसे गुणा करना |
🔸 तो इसका आशय यह है:
यदि किसी बीजगणितीय या संख्यात्मक संरचना में अलग-अलग पदों का गुणा करके उनका योग किया जाए, और वहीं यदि उन पदों का समुच्चय पहले लेकर उसे गुणा किया जाए, तो दोनों के उत्तर समान होंगे।
🧠 II. गणितीय गूढ़ार्थ
यह उपसूत्र एक गहरा सिद्धांत बताता है:
यदि हम गुणा करने के बाद जोड़ते हैं (Distributive Property), और यदि हम पहले जोड़ें और फिर गुणा करें (Multiplicative Aggregation), तो दोनों का परिणाम समान होता है – इस स्थिति में उपसूत्र लागू होता है।
इसे गणितीय रूप में समझिए:
यदि, (a + b)(c + d) = ac + ad + bc + bd
{गुणितासमुच्चय} = ac + ad + bc + bd = {समुच्चयगुणित} = (a + b)(c + d)
🔧 III. तकनीकी उपयोग और व्यावहारिक विधियाँ
✅ विधि 1: दो द्विपदों का गुणन
मान लीजिए: (x + m)(x + n) = x^2 + (m + n)x + mn
🔹 उदाहरण:
(x + 5)(x + 2) = x^2 + 7x + 10
✅ विधि 2: दो संख्या जो 100 के आस-पास हों
उदाहरण 1: 98 × 97 = ?
दोनों संख्याएँ 100 से कम हैं।
- 98 = 100 - 2
- 97 = 100 - 3
तो,
Left Part = 100 - (2 + 3) = 95
Right Part = 2 × 3 = 06
उत्तर = 9506
उदाहरण 2: 103 × 104 = ?
- 103 = 100 + 3
- 104 = 100 + 4
Left = 100 + (3 + 4) = 107
Right = 3 × 4 = 12
उत्तर = 10712
📚 IV. बीजगणितीय उपयोग
➤ उपयोग 1: त्रिपद वर्गीकरण
(x + a)(x + b) = x² + (a + b)x + ab
यदि हमें को फैक्टर करना हो:
Find two numbers whose sum = 11 and product = 30
→ 5 और 6
तो, x² + 11x + 30 = (x + 5)(x + 6)
➤ उपयोग 2: समीकरण हल करना
x² + 9x + 20 = 0
(x + 4)(x + 5) = 0
x = – 4, – 5
उपसूत्र आपको यह संकेत देता है कि त्रिपदी समीकरणों को तत्काल गुणनफल और योग से ही तोड़ा जा सकता है।
🧮 V. मानसिक गणना में सहायता
प्रकार | कैसे करें? | उदाहरण |
---|---|---|
100 के निकट | Base ± deviation | 102 × 106 = (100 + 2)(100 + 6) = 10812 |
Factorization | Sum और Product देखें | x² + 13x + 40 → (x + 5)(x + 8) |
Speed math | जोड़ और गुणा का समन्वय | (12)(13) = 10² + (2×10 + 3×10) + 2×3 = 156 |
📈 VI. प्रतियोगी परीक्षाओं में उपयोग
परीक्षा | उपयोग क्षेत्र |
---|---|
SSC, Banking | Simplification, Approximation |
UPSC | CSAT गणना भाग |
NEET/JEE | Quadratic equations में फैक्टरिंग |
CAT, MAT | तेज गणना और विकल्प चयनीय विधि |
🧘 VII. वैदिक दार्शनिक दृष्टिकोण
इस उपसूत्र में एक सांख्यिक दर्शन छुपा है:
“कई मार्ग एक ही लक्ष्य की ओर ले जाते हैं।”
यानी चाहे आप गुणा करके जोड़ें, या जोड़कर गुणा करें — सही पथ पर चलें तो उत्तर एक ही होगा।
🔚 VIII. सारांश तालिका
बिंदु | विवरण |
---|---|
उपसूत्र | गुणितासमुच्चयः समुच्चयगुणितः |
अर्थ | गुणितों का योग = योग का गुणा |
प्रकार | अंकगणित और बीजगणित दोनों में लागू |
विधियाँ | द्विपदीय गुणन, मानसिक अंकगणना |
उपयोग | फैक्टराइजेशन, तेजी से गणना, समीकरण हल |
प्रतियोगी परीक्षाओं में | हाँ, अत्यंत लाभकारी |
मानसिक योग्यता | विश्लेषणात्मक सोच, तेज गणना |
यदि आप चाहें तो मैं इसी प्रकार उपसूत्र 4: "लोपनास्थापनाभ्याम्" को भी गहराई से समझा सकता हूँ।
क्या मैं चौथे उपसूत्र की ओर बढ़ूँ?
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