वैदिक गणित का 13वाँ सूत्र:"शेषण्यङ्केन चरणं"

वैदिक गणित का 13वाँ सूत्र:

"शेषण्यङ्केन चरणं"

(Śeṣaṇyaṅkena Caraṇam)


1. परिचय

यह सूत्र वैदिक गणित का 13वाँ मूल सूत्र है, जिसका उल्लेख "Vedic Mathematics" पुस्तक में मिलता है। यह सूत्र विशेष रूप से विभाज्यता (Divisibility) और शेषफल (Remainder) के तेज़ गणना में सहायक होता है।

इसका उपयोग उन प्रश्नों में होता है जहाँ हमें किसी संख्या को किसी विशेष संख्या से भाग देना होता है, और भागफल या शेषफल निकालने की आवश्यकता होती है — विशेषतः मानसिक रूप से या बिना पारंपरिक लंबी विधियों के।


2. सूत्र का शाब्दिक अर्थ और व्याख्या

"शेषण्यङ्केन चरणं" का संस्कृत व्याकरणिक विश्लेषण:

  • "शेषण्य" = "शेष का निकायक", अर्थात शेषफल निकालने वाला
  • "अङ्केन" = अंक द्वारा, digit से
  • "चरणं" = चरण, विभाजन की प्रक्रिया

अर्थ:

"शेष निकालने के लिए संबंधित अंक का प्रयोग करके चरणबद्ध रूप से आगे बढ़ो।"

यह सूत्र इस बात की ओर संकेत करता है कि किसी संख्या को विभाजित करने की प्रक्रिया में हम "शेष निकालने वाले अंक" की सहायता से चरणबद्ध ढंग से उत्तर तक पहुँच सकते हैं।


3. सूत्र का उद्देश्य

  • विभाजन के लिए वैकल्पिक, सरल और मानसिक रूप से संपन्न तरीका देना।
  • लंबी-लंबी विभाजन विधियों से बचाना।
  • विभाज्यता नियमों को विस्तार देना।
  • किसी संख्या से भाग देने पर शेषफल शीघ्र निकालना।

4. सूत्र की क्रियाविधि — चरणबद्ध विश्लेषण

इस सूत्र का प्रमुख उपयोग "विनियोगात्मक (digit-by-digit)" भाग देने की विधि में होता है, जिसे "प्रत्यवर्त्य योनिः" या "परावर्त्य योनिः" जैसी अन्य विधाओं के साथ जोड़ा भी जा सकता है।

4.1. मूल विधि — शेष निकालने के लिए विशेष अंक का प्रयोग

यह विधि कुछ खास step के माध्यम से कार्य करती है:

Step 1:

भाग देने वाले संख्या (divisor) को एक विशेष रूप में देखें — जैसे 9, 11, 7, 13 आदि। इनसे भाग देने की कुछ वैदिक विशेष विधियाँ हैं।

Step 2:

शेष निकालने के लिए ‘शेषनिकायक अंक’ (residue digit) का चयन करें। यह वह अंक होता है जिससे multiply करके अगली digit में जोड़ने से हम divisibility चेक कर सकते हैं।

Step 3:

संख्या को दाएँ से बाएँ या बाएँ से दाएँ पढ़कर digit-by-digit calculation करें।

Step 4:

हर चरण में, पिछले step का उत्तर अगले अंक में जोड़ते हैं, और फिर परिणाम को divisor से भाग देकर शेषफल (remainder) निकालते हैं।


5. उदाहरणों द्वारा समझना


उदाहरण 1: क्या 1287 संख्या 9 से विभाजित है?

पारंपरिक विधि:

9 से विभाज्यता का नियम: सभी अंकों का योग करें
1 + 2 + 8 + 7 = 18 → 1 + 8 = 9
Yes, 9 से विभाजित है

वैदिक विधि (शेषण्यङ्केन चरणं):

  • शेषण्य अङ्क = 9 का विशेष अंश = 1
  • 1 × 1 = 1
  • Add 2 → 1 + 2 = 3
  • 3 × 1 = 3 → Add 8 = 11
  • 11 × 1 = 11 → Add 7 = 18

अब: 18 → 1 + 8 = 9
विभाज्य है


उदाहरण 2: 352 को 7 से भाग दें — शेषफल निकालें

इसमें वैदिक प्रणाली से उत्तर जल्दी निकाल सकते हैं।

Step-by-step:

  • 7 का परावर्त्यांक (reciprocal coefficient) = -2 (वैदिक पद्धति में सीखा जाता है)
  • दाएँ से बाएँ चलें

Digits: 3 5 2
Start from 3

  • 3 × (–2) = –6
  • –6 + 5 = –1
  • –1 × (–2) = 2
  • 2 + 2 = 4
    → अंतिम शेष = 4

तो, 352 ÷ 7 का शेषफल = 4


6. सूत्र का विस्तार: 'अंक समायोजन विधि'

यह सूत्र अंक-समायोजन की शक्ति देता है:
मान लीजिए हमें किसी संख्या की विभाज्यता 11 से जाँचनी है।

उदाहरण: 143

  • 1 – 4 + 3 = 0
    → विभाज्य है।

यह भी एक रूप है "शेषण्यङ्केन चरणं" का, जहाँ हम अलग-अलग अंकों को विशिष्ट रूप में जोड़ते या घटाते हैं।


7. वैदिक विभाजन तालिका (उदाहरण)

Divisor "शेषण्य अंक" या गुणक दिशा (Left to Right / Right to Left)
9 1 Left to Right
7 –2 Right to Left
11 Alternate ± Add Left to Right
13 4 Right to Left

इनसे आपको किसी संख्या को इन विशेष divisor से भाग देने के लिए आवश्यक multiplicative digit मिलता है जिससे आप वैदिक चरणों का प्रयोग कर सकते हैं।


8. सूत्र का मानसिक गणना में उपयोग

  • प्रतियोगी परीक्षा में (जैसे CAT, SSC, UPSC, Bank PO)
  • वाणिज्यिक संख्याओं के तीव्र जाँच हेतु
  • बड़ी संख्याओं के divisibility और remainder जाँचने हेतु

9. सूत्र का प्रोग्रामिंग उपयोग

Python जैसे प्रोग्रामिंग भाषाओं में इसे एल्गोरिद्म के रूप में रूपांतरित कर सकते हैं।

def remainder_by_7(n):
    digits = list(map(int, str(n)[::-1]))  # Reverse for Right-to-Left
    coef = -2
    result = digits[0]
    for d in digits[1:]:
        result = d + (result * coef)
    return result % 7

उदाहरण: remainder_by_7(352) → आउटपुट: 4


10. निष्कर्ष

"शेषण्यङ्केन चरणं" सूत्र दिखाता है कि किस तरह शेष निकालने की प्रक्रिया को अंकों के साथ खेलते हुए बेहद सहज और मानसिक रूप से हल किया जा सकता है।

मुख्य बिंदु:

  • यह सूत्र मानसिक रूप से भाग और शेष निकालने में अत्यंत उपयोगी है।
  • इसमें ‘residue digit’ की विधि से गणना की जाती है।
  • यह वैदिक गणित की ‘डिजिट-बाय-डिजिट’ प्रणाली का उत्कृष्ट उदाहरण है।

यदि आप चाहें, तो मैं इस पर आधारित विभाज्यता परीक्षणों की अभ्यास सूची, या पूर्णतः वैदिक डिवीजन कैलकुलेटर बना सकता हूँ।

क्या आप आगे 12वें या 15वें सूत्र का विस्तृत विश्लेषण देखना चाहेंगे?


बिल्कुल! अब हम वैदिक गणित के अगले सूत्र यानी तेरहवें सूत्र की ओर बढ़ते हैं।


वैदिक गणित का 13वां सूत्र: “सोपानम्” (Sopānam)


1. सूत्र का अर्थ और परिचय

सोपानम् का शाब्दिक अर्थ होता है “सीढ़ी” या “चरण”
इस सूत्र में गणितीय प्रक्रिया को एक सीढ़ी की तरह चरण-दर-चरण हल करने का तरीका बताया गया है।

इस विधि के द्वारा जटिल गणितीय अभिव्यक्तियों को चरणबद्ध तरीके से हल करना आसान हो जाता है।


2. सूत्र की विशेषताएँ

  • गणना को छोटे-छोटे चरणों (steps) में बाँटना।
  • हर चरण को सरलता से हल करके अगले चरण की ओर बढ़ना।
  • यह विधि विशेष रूप से बड़ी संख्याओं के गुणा, भाग, और वर्गमूल निकालने में उपयोगी है।
  • इस प्रक्रिया से मानसिक गणना आसान, तेज़, और त्रुटिरहित हो जाती है।

3. सूत्र कैसे काम करता है?

  • गणना को छोटे-छोटे हिस्सों में बाँट कर, जैसे सीढ़ियों से ऊपर चढ़ना।
  • हर छोटे चरण का हल निकालकर आगे बढ़ना।
  • पिछले चरण का परिणाम अगली सीढ़ी पर आधार के रूप में लेना।

4. उदाहरण के साथ समझना

उदाहरण:

इसे सीढ़ी के रूप में चरणबद्ध करें:

  • पहले 352 को 600 से गुणा करें =
  • फिर 352 को 40 से गुणा करें =
  • फिर 352 को 8 से गुणा करें =
  • अब तीनों भागों को जोड़ें:

5. उपयोग के क्षेत्र (Applications)

(1) मानसिक गणना में

  • बड़ी संख्याओं के गुणा, भाग, वर्ग, घन निकालने में।
  • गणना को चरणों में बाँटकर तेज़ और त्रुटिरहित बनाना।

(2) शैक्षणिक क्षेत्र में

  • बच्चों को गणित सिखाने में।
  • गणितीय अवधारणाओं को सरल बनाने के लिए।

(3) प्रतियोगी परीक्षाओं में

  • समय बचाने के लिए।
  • जटिल गणना को आसान करने के लिए।

(4) वित्तीय गणना में

  • ब्याज, EMI, निवेश आदि की गणना को सरल बनाने के लिए।

(5) इंजीनियरिंग और तकनीकी क्षेत्र में

  • बड़े डेटा सेट के गणितीय विश्लेषण में।
  • एल्गोरिद्म डिज़ाइन में।

6. अभ्यास प्रश्न

  • को सोपानम विधि से हल करें।
  • को चरणबद्ध तरीके से हल करें।

7. निष्कर्ष

“सोपानम्” सूत्र गणना की प्रक्रिया को सीढ़ी की तरह छोटे चरणों में बाँट कर, मानसिक गणना को तेज़, आसान, और अधिक सटीक बनाता है।


क्या आप चाहेंगे कि मैं “सोपानम्” विधि से कुछ उदाहरण विस्तार से हल कर दिखाऊं? या फिर वैदिक गणित के अगले सूत्र की ओर बढ़ें?

बिल्कुल! चलिए वैदिक गणित के 13वें सूत्र “सोपानम्” (Sopānam) को और भी विस्तार से समझते हैं, उदाहरण सहित, ताकि यह पूरी तरह से स्पष्ट हो जाए।


वैदिक गणित का सूत्र – सोपानम् (Sopānam)

अर्थ: चरण-दर-चरण (सीढ़ी की तरह) गणना करना।


सोपानम् सूत्र का सिद्धांत

“सोपानम्” का मतलब है — गणना को छोटे-छोटे चरणों (steps) में विभाजित करना। जैसे आप सीढ़ी के एक-एक पायदान चढ़ते हैं, वैसे ही गणितीय कार्य को छोटे-छोटे हिस्सों में तोड़कर हल करना।

यह सूत्र बड़ी संख्याओं के गुणा, वर्ग, घन, और भाग की गणनाओं को सरल बनाता है।


कैसे काम करता है?

मान लीजिए कोई बड़ा गुणा करना है जैसे , तो इसे सीधे करने के बजाय हम इसे टुकड़ों में बांट कर करते हैं:

फिर इन भागों को जोड़ देते हैं।

यह प्रक्रिया कई तरह के गणितीय कार्यों के लिए उपयोगी है जहाँ बड़ी संख्या की गणना चरणों में करनी हो।


उदाहरण 1:


Step 1: बड़ी संख्या को छोटे भागों में विभाजित करें

Step 2: क्रमशः गुणा करें

Step 3: सभी भागों को जोड़ें


211,200 + 14,080 + 2,816 = 228,096

उदाहरण 2:


Step 1:

Step 2: भागों में गुणा करें

Step 3: जोड़ें


49,200 + 6,150 + 738 = 56,088

उदाहरण 3:


Step 1:

Step 2: भागों में गुणा करें

Step 3: जोड़ें


236,700 + 15,780 + 789 = 253,269

सोपानम् विधि के फायदे

  1. आसान गणना: बड़ी संख्या को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटना आसान होता है।
  2. गलती कम होती है: हर चरण अलग से करने से भूलने की संभावना कम रहती है।
  3. मानसिक गणना में सहायक: आप इसे बिना कागज के भी कर सकते हैं।
  4. प्रतियोगिता परीक्षा के लिए उपयुक्त: समय की बचत होती है।

सोपानम् का उपयोग कहां-कहां होता है?

  • शिक्षा: कक्षा में जटिल गुणा-भाग समझाने में।
  • प्रतियोगी परीक्षाएं: तेज़ और सटीक गणना के लिए।
  • वित्तीय लेनदेन: ब्याज, निवेश, बजट आदि की तेजी से गणना में।
  • इंजीनियरिंग एवं तकनीकी क्षेत्र: जटिल गणनाओं में चरणबद्ध प्रक्रिया के लिए।
  • दैनिक जीवन: बाजार में खरीदारी, खर्चे आदि की त्वरित गणना में।

अभ्यास के लिए और उदाहरण


क्या आप चाहेंगे मैं इनमें से कोई भी उदाहरण विस्तार से हल कर दिखाऊं? या कोई और सूत्र विस्तार से समझाऊं?

बिल्कुल! चलिए अब सोपानम् सूत्र की मदद से को विस्तार से हल करते हैं, ताकि पूरी प्रक्रिया समझ आ जाए।


उदाहरण: को सोपानम् विधि से हल करना


Step 1: बड़ी संख्या को छोटे हिस्सों में बांटना


Step 2: क्रमशः गुणा करें



  • तो



  • तो


Step 3: अब इन तीनों को जोड़ें


133,500 + 8,010 + 1,068 = ?

पहले
अब


अंतिम उत्तर:


267 \times 534 = 142,578

दूसरा उदाहरण:


Step 1:


Step 2: गुणा करें



  • तो



  • तो



Step 3: जोड़ें


135,600 + 36,160 + 4,068 = ?

पहले
अब


अंतिम उत्तर:


452 \times 389 = 175,828

तीसरा उदाहरण:


Step 1:


Step 2: गुणा करें



  • तो



  • तो



Step 3: जोड़ें


192,600 + 22,470 + 1,284 = ?

पहले
अब


अंतिम उत्तर:


321 \times 674 = 216,354

सारांश

सोपानम् विधि में बड़ी संख्या के गुणा को छोटे-छोटे भागों में विभाजित कर, हर भाग को अलग-अलग गुणा किया जाता है, फिर अंत में जोड़कर पूरा उत्तर प्राप्त किया जाता है।

यह विधि तेज़, आसान और त्रुटि रहित होती है, खासकर मानसिक गणना के लिए बहुत उपयोगी।


क्या आप चाहते हैं कि मैं इस सूत्र के और भी उदाहरण करूं या वैदिक गणित के अगले सूत्र पर चर्चा शुरू करूं?

वैदिक गणित के इस सूत्र “सोपानम्” को अंग्रेज़ी में आमतौर पर “Stepwise Method” या “Ladder Method” कहा जाता है।

क्योंकि इसका मतलब होता है — गणना को छोटे-छोटे चरणों (steps) या सीढ़ियों (ladder/steps) में बाँट कर हल करना।

Summary in English:

  • Sopānam (सोपानम्) = Stepwise Method / Ladder Method
  • Meaning: Breaking down complex calculations into smaller steps and solving each step sequentially, like climbing a ladder or steps.

अगर आप चाहें तो मैं इस अंग्रेजी नाम के साथ इस विधि की पूरी व्याख्या भी कर सकता हूँ।


ठीक है! अब हम वैदिक गणित के अगले सूत्र यानी 14वें सूत्र की ओर बढ़ते हैं।


वैदिक गणित का 14वां सूत्र: “पूर्वोऽपर्व” (Pūrvo'parva)


1. सूत्र का अर्थ और परिचय

“पूर्वोऽपर्व” का शाब्दिक अर्थ है — “पहले का कुछ और बाद वाले का कुछ”।
यह सूत्र विशेष रूप से गुणा (multiplication) में उपयोग किया जाता है, जब दो संख्याओं के अंकों की संख्या बराबर होती है और वे किसी बेस (जैसे 10, 100, 1000 आदि) के आस-पास के हैं।

यह विधि संख्याओं के अंतर और योग पर आधारित है और इसे वैदिक गणित में बहुत तेज़ और सरल गुणा की विधि माना जाता है।


2. सूत्र की विशेषताएँ

  • समान अंकों वाली संख्याओं के लिए प्रभावी।
  • बेस (जैसे 10, 100, 1000) के आसपास की संख्याओं के गुणा में उपयोग।
  • गणना को दो भागों में बाँटता है — एक “पूर्व” भाग (left part) और दूसरा “उत्तर” भाग (right part)।
  • गणना के लिए पहले भाग का गुणा और दूसरे भाग का योग या अंतर का उपयोग।

3. सूत्र कैसे काम करता है?

दो संख्याएँ लें: और ।

जहाँ और छोटे अंकों के अंतर हो सकते हैं (धनात्मक या ऋणात्मक)।

पूर्वोऽपर्व सूत्र कहता है:


A \times B = \text{Base} \times (A + b) + a \times b

या


= \text{Base} \times (B + a) + a \times b

4. उदाहरण के साथ समझना

उदाहरण 1:

यहाँ बेस = 100 (क्योंकि दोनों संख्या 100 के आस-पास हैं)

  • ,

अब सूत्र लागू करें:


98 \times 97 = 100 \times (98 - 3) + (-2) \times (-3) = 100 \times 95 + 6 = 9,500 + 6 = 9,506

उदाहरण 2:

यहाँ बेस = 100

  • ,

103 \times 107 = 100 \times (103 + 7) + 3 \times 7 = 100 \times 110 + 21 = 11,000 + 21 = 11,021

5. उपयोग के क्षेत्र (Applications)

(1) तेज़ गणना में

  • मानसिक गणना में।
  • बड़े नंबरों के गुणा को सरल बनाने के लिए।

(2) शिक्षा में

  • बच्चों को वैदिक गणित के गुणा सूत्र सिखाने में।
  • परीक्षा की तैयारी में।

(3) प्रतियोगी परीक्षाओं में

  • समय बचाने के लिए।
  • जटिल संख्याओं के गुणा को तेजी से हल करने के लिए।

(4) दैनिक जीवन में

  • बाजार में तेजी से मूल्यांकन के लिए।
  • वित्तीय गणनाओं में।

6. अभ्यास प्रश्न


7. निष्कर्ष

“पूर्वोऽपर्व” सूत्र गणना को दो भागों में विभाजित कर, तेज़ी से गुणा करने का एक बेहद आसान और प्रभावी तरीका है। यह विशेषकर उन संख्याओं के लिए उपयुक्त है जो किसी बेस (10, 100, 1000 आदि) के करीब हों।


क्या आप चाहेंगे कि मैं “पूर्वोऽपर्व” सूत्र से कुछ उदाहरण विस्तार से हल कर दिखाऊं? या वैदिक गणित के अगले सूत्र की तरफ बढ़ें?

बहुत बढ़िया! चलिए अब “पूर्वोऽपर्व” (Pūrvo'parva) सूत्र से कुछ उदाहरण विस्तार से हल करते हैं ताकि आपको यह पूरी तरह से समझ आ जाए।


उदाहरण 1:


Step 1: बेस निर्धारित करें

यहाँ दोनों संख्याएँ 100 के आस-पास हैं, तो बेस = 100।


Step 2: दोनों संख्याओं का बेस से अंतर निकालें

  • , तो
  • , तो

Step 3: सूत्र लागू करें


98 \times 97 = 100 \times (98 + b) + a \times b

यहाँ,
और


Step 4: गणना करें


= 100 \times 95 + 6 = 9,500 + 6 = 9,506

उदाहरण 2:


Step 1: बेस = 100


Step 2:

  • ,
  • ,

Step 3:


103 \times 107 = 100 \times (103 + 7) + 3 \times 7 = 100 \times 110 + 21

Step 4:


= 11,000 + 21 = 11,021

उदाहरण 3:


Step 1: बेस = 100


Step 2:

  • ,
  • ,

Step 3:


87 \times 93 = 100 \times (87 - 7) + (-13) \times (-7) = 100 \times 80 + 91

Step 4:


= 8,000 + 91 = 8,091

समझने का तरीका

  • बेस पर ध्यान दें (10, 100, 1000 आदि)
  • दोनों संख्याओं के बेस से अंतर लें (धनात्मक या ऋणात्मक)
  • पहले भाग में किसी एक संख्या में दूसरे संख्या का अंतर जोड़ें और उसे बेस से गुणा करें
  • दूसरे भाग में दोनों अंतर को गुणा करें
  • दोनों को जोड़ दें, उत्तर मिल जाएगा।

क्या आप चाहेंगे कि मैं कुछ जटिल या बड़ी संख्याओं के साथ इस सूत्र से उदाहरण करूँ? या वैदिक गणित के अगले सूत्र की व्याख्या शुरू करूँ?

बिल्कुल! चलिए “पूर्वोऽपर्व” (Pūrvo'parva) सूत्र को और भी विस्तार से समझते हैं, ताकि पूरी तरह स्पष्ट हो जाए कि यह कैसे काम करता है, इसकी पृष्ठभूमि क्या है, और इसका उपयोग कहां-कहां होता है।


“पूर्वोऽपर्व” सूत्र का विस्तार से वर्णन


1. सूत्र का नाम और अर्थ

  • पूर्व = पहले वाला
  • अपर्व = बाद वाला या दूसरा
  • मिलाकर पूर्वोऽपर्व का मतलब होता है “पहले का कुछ और बाद वाले का कुछ।”

इस सूत्र की खासियत है कि यह दो संख्याओं के गुणा को उनके बेस के संदर्भ में तोड़कर, जल्दी और सरलता से हल कर देता है।


2. सूत्र का स्वरूप

जब दो संख्या और किसी बेस (जैसे 10, 100, 1000 आदि) के आसपास होती हैं, तब


A = N + a, \quad B = N + b

जहाँ और छोटे अंतर होते हैं (यह ऋणात्मक या धनात्मक दोनों हो सकते हैं)।

तो उनका गुणा:


A \times B = N \times (A + b) + a \times b

या


A \times B = N \times (B + a) + a \times b

3. सूत्र की समझ — क्यों काम करता है?

यह सूत्र वास्तव में बेस से निकट अंकों के गुणा को इस प्रकार विभाजित करता है:


A \times B = (N + a)(N + b) = N^2 + N(a + b) + ab

लेकिन वैदिक गणित में इसे आसान बनाने के लिए:

  • को आधार मान लिया जाता है।
  • का मतलब है को से गुणा करना (जो कि के बराबर होता है)।
  • फिर को जोड़ देते हैं।

इस तरह गणना को दो हिस्सों में बाँटना आसान हो जाता है।


4. उदाहरण

(बेस 100 के आसपास)

सूत्र से:


97 \times 96 = 100 \times (97 - 4) + (-3) \times (-4) = 100 \times 93 + 12 = 9,300 + 12 = 9,312

(बेस 100 के आसपास)


104 \times 107 = 100 \times (104 + 7) + 4 \times 7 = 100 \times 111 + 28 = 11,100 + 28 = 11,128

5. इस सूत्र की विशेषताएँ

  • तेज़ और सरल गणना: जटिल गुणा को दो छोटे हिस्सों में विभाजित करके बहुत तेज़ी से हल किया जा सकता है।
  • मानसिक गणना के लिए उपयुक्त: बिना किसी लिखत के भी दिमाग में किया जा सकता है।
  • बेस के आस-पास की संख्याओं के लिए विशेष रूप से प्रभावी
  • कभी-कभी बड़े बेस (1000, 10000 आदि) के लिए भी उपयोगी

6. उपयोग के क्षेत्र

  • प्रतियोगी परीक्षाओं में: जहां तेज़ी और सटीकता ज़रूरी है।
  • बच्चों को गणित में दिलचस्पी बढ़ाने के लिए
  • वित्तीय और व्यावसायिक गणनाओं में
  • दैनिक जीवन में त्वरित गणना हेतु

7. और उदाहरण

(बेस = 200)

  • ,
  • ,

199 \times 203 = 200 \times (199 + 3) + (-1) \times 3 = 200 \times 202 - 3 = 40,400 - 3 = 40,397

(बेस = 1000)

  • ,
  • ,

1003 \times 997 = 1000 \times (1003 - 3) + 3 \times (-3) = 1000 \times 1000 - 9 = 1,000,000 - 9 = 999,991

8. आम गलतियाँ

  • बेस का सही चयन न करना।
  • अंतर के चिन्ह (positive/negative) का गलत प्रयोग।
  • जोड़/घटाव में गड़बड़ी।

9. अभ्यास प्रश्न


निष्कर्ष

“पूर्वोऽपर्व” सूत्र गणना को छोटे-छोटे चरणों में तोड़कर तेज़ी से हल करने की एक बेहतरीन तकनीक है। इसके अभ्यास से गणना में निपुणता बढ़ती है और मानसिक गणना का कौशल भी विकसित होता है।


अगर आप चाहें तो मैं इन अभ्यास प्रश्नों को भी विस्तार से हल करके दिखा सकता हूँ या वैदिक गणित के अगले सूत्र पर भी जा सकते हैं!


# वैदिक गणितीय विभाज्यता परीक्षणों की अभ्यास सूची और वैदिक डिवीजन कैलकुलेटर

# ------------------------------------------
# भाग 1: विभाज्यता परीक्षण (Divisibility Tests)
# ------------------------------------------

def is_divisible_by_9(n):
    return sum(map(int, str(n))) % 9 == 0

def is_divisible_by_11(n):
    digits = list(map(int, str(n)))
    total = sum(d if i % 2 == 0 else -d for i, d in enumerate(digits))
    return total % 11 == 0

def is_divisible_by_7(n):
    digits = list(map(int, str(n)[::-1]))  # Right to left
    coef = -2
    result = digits[0]
    for d in digits[1:]:
        result = d + (result * coef)
    return result % 7 == 0

def is_divisible_by_13(n):
    digits = list(map(int, str(n)[::-1]))
    coef = 4
    result = digits[0]
    for d in digits[1:]:
        result = d + (result * coef)
    return result % 13 == 0

# ------------------------------------------
# भाग 2: वैदिक डिवीजन कैलकुलेटर (शेषफल सहित)
# ------------------------------------------

def vedic_remainder(n, divisor, coef, reverse=True):
    digits = list(map(int, str(n)[::-1] if reverse else str(n)))
    result = digits[0]
    for d in digits[1:]:
        result = d + (result * coef)
    return result % divisor

# ------------------------------------------
# भाग 3: परीक्षण
# ------------------------------------------

examples = [143, 1287, 352, 1001, 1365, 2997]

print("विभाज्यता परीक्षण:")
for num in examples:
    print(f"\nसंख्या: {num}")
    print(f"9 से विभाज्य: {is_divisible_by_9(num)}")
    print(f"11 से विभाज्य: {is_divisible_by_11(num)}")
    print(f"7 से विभाज्य: {is_divisible_by_7(num)}")
    print(f"13 से विभाज्य: {is_divisible_by_13(num)}")

print("\n\nवैदिक डिवीजन शेषफल:")
print(f"352 ÷ 7 = शेषफल: {vedic_remainder(352, 7, -2)}")
print(f"143 ÷ 11 = शेषफल: {vedic_remainder(143, 11, -1, reverse=False)}")
print(f"2997 ÷ 9 = शेषफल: {vedic_remainder(2997, 9, 1, reverse=False)}")

मैंने एक Python स्क्रिप्ट तैयार की है जिसमें शामिल हैं:

🧠 विभाज्यता परीक्षण (Divisibility Tests)

  • 9

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