द्विघात-समीकरण

द्विघात-समीकरण

Dwighat Samikaran Quadratic Education

हमारे वैदिक संस्कृति की दिव्यता के वर्णन में गणित की बीजगणितीय शाखा के अन्तर्गत वर्ग-समीकरण या द्विघात-समीकरण (Quadratic Education) की चर्चा करेंगे जो हमारे प्राचीन गणितीय ज्ञान को न सिर्फ

प्रमाणित करेगा बल्कि गणित को सरल तथा रोचक बनाने में मदद करेगा।

भास्करीय बीज-गणित, अव्यक्त-वर्गादि-समीकरण में -कः स्वार्धसहितो राशिः खगुणो वर्गितो युतः ।

स्वपादाभ्यां खभक्तश्च जातः पञ्चदशोच्यताम् ।।

(-उदाहरण श्लोक - 5)

जिन्हें हल करने पर इस प्रकार का समीकरण प्राप्त होता है-

9x² + 12x = 60

भारकराचार्य का " गणित विवेक " उनका

वह सर्वसमिका का सूत्र है -खण्डद्वयस्याभिहतिर्द्विनिघ्नी

(-लीलावती श्लोक - 9)

जिसके अनुसार द्विघाती बहुपद पूर्ण वर्ग का रुप धारण करता है। इस प्रकार उस सर्वसमिका के नियंत्रण के अनुसार किसी संख्या को जोड़ कर समीकरण का हल प्राप्त करना चाहिए।

इस प्रकार प्राचीन भारतीय गणित में वर्ग-समीकरण के हल के लिए दो प्रकार के सूत्र का आविष्कार हुआ है।

उपर्युक्त विवरों के अनुशीलन से प्राप्त प्रथम भास्कराचार्य के व्यापक सूत्र को प्रकट करता है-

प्रथम (first) :-

दोनों पक्षों को 1/a से गुणित करके पूर्ण वर्ग बनाते हुए

वर्ग-समीकरण का सूत्र -ax² + bx = c; (जहाँ a ≠ 0)

=> x²+ (b/a) x = c/a

=> x² + (b/a) x + (b/2a)2 = (c/a) +(b/2a)² => (x + b/2a) = c/a + (b/2a)

अतः व्यापक सूत्र ->

X = {c/a +(b/2a) 2) + b/2a

द्वितीय (second):-दोनों पक्षों को 4a से गुणित करके पूर्ण वर्ग बनाते हुए वर्ग-

समीकरण का सूत्र -

वर्ग-समीकरण का सबसे समुचित वही पूर्व उल्लिखित सूत्र है, जिसे गणित के महान् विद्वान आर्यभट्ट ने

प्रवर्तित किया तथा आगे चलकर श्रीधराचार्य द्वारा व्यापक

स्वरुप प्रदान किया गया, जिसे विश्व-गणित में स्वीकार किया गया।

सचमुच, यह विवरण कितना अद्भुत है कि सभी पर्थों को 43 से गुणित करके प्राप्त किया गया आर्यभट्ट का

सूत्र सबसे सफल एवं समुचित सूत्र सिद्ध हुआ।

ब्रह्मगुप्त का सूत्र इस प्रकार है-वर्गचतुर्गुणितानां रूपाणां मध्यवर्गसहितानाम् ।

मूलं मध्येनोनं वर्गद्विगुणोद्धतं मध्यः ।।

(-ब्रह्मस्फूट-सिद्धांत - 18.44)

अर्थात :-

व्यक्त रुप (c) के साथ अव्यक्त वर्ग के चतुर्गुणित गुणांक (4ac) को अव्यक्त मध्य के गुणांक के वर्ग (b²) से सहित

करें या जोड़ें। इसका वर्गमूल प्राप्त करें तथा इसमें से मध्य अर्थात b को घटायें। पुनः इस संख्या को अज्ञात अ बर्ग के गुणांक (a) के द्विगुणित संख्या से भाग देवें। प्राप्त

संख्या ही अज्ञात व राशि का मान है।

श्रीधराचार्य ने इस बहुमूल्य सूत्र को भास्कराचार्य का नाम ले कर अविकल रूप से उद्धृत किया -

चतुराहतवर्गसगैः रुपैः पक्षद्वयं गुणयेत् । अव्यक्तवर्गरूपैर्युक्तौ पक्षी ततो मूलम् ।।

(भारकरीय बीज-गणित, अव्यक्त-वर्गादि-समीकरण , पृ. -221)

अर्थात :-

प्रथम अव्यक्त वर्ग के चतुर्गुणित रूप या गुणांक (4a) से

दोनों पक्षों के गुणांको को गुणित करके द्वितीय अव्यक्त गुणांक (b) के वर्गतुल्य रूप दोनों पक्षों में जोड़ें। पुनः

द्वितीय पक्ष का वर्गमूल प्राप्त करें। वर्ग-समीकरण का व्यापक सूत्र -

श्रीधराचार्य द्वारा प्रोक्त नियम तथा बीजगणितीय की भाषा

में क्रमिक सूत्र ;

द्विघात समीकरण के रूप को अन्य पक्ष में करने पर। ax² + bx + c 0

ax² + bx

-C

चतुराहत-वर्गसमै रूपैः पक्षद्वयं गुणयेत् के अनुसार चतुर्गुणित प्रथम अव्यक्त वर्ग के गुणांक (4a) से दोनों

पक्षों

के गुणांको को गुणित करने पर;

4a (ax² + bx - c)

4a2 x² + 4abx -4ac

इससे सहज ही a² + 2ab + b² का आकार प्राप्त होता है

(2ax)2 + 2 (2ax) b+b²= b24ac अतः तदनुरूप नियम अव्यक्तवर्गरूपैर्युक्तौ पक्षी अव्यक्त

के गुणांक या b के वर्गतुल्य रूप दोनों पक्षों में जोड़ें। समीकरण का यह आकार गुणनखण्डन के द्वारा पूर्ण वर्ग

का रूप धारण कर लेता है; (2ax+b)2 b²-4ac

अतः द्वितीय पक्ष के भी पूर्ण वर्ग बन जाने से ततो मूलम्

द्वितीय पक्ष का वर्गमूल प्राप्त करें -2ax+b (b²-4ac)/½

X-b(b²-4ac)} + 2a

उदाहरण (Example):-9x²+12x600

or, 9x² + 12x = 60

ог, 4x9x (9x2 + 12x = 60)

ог, 324x² + 432x = 2160

or, (18x)²+2x18xx 12 + (12)²=144 + 2160

or, (18x + 12)2 = 144 +2160

or, 18x+12 (144+2160) 2

ог, 18x 12 ± (2304) Therefore X = (-12±48)-18

X=2,10/3

अभ्यास (Exercise):-

(1) 2x27x + 3 = 0

(2) 1/(x+4)-1/(x-7) = 11/30

(3) दो क्रमागत धन सम संख्याओं के वर्गों का योग 340 है। संख्या ज्ञात किजिए।

(The sum of the square of two positive consecutive even numbers is 340. Find the numbers.)

(4) स्वपदैर्नवभिर्युक्तं स्याच्चत्वारिंशताधिकम । शतद्वादशकं विद्वान् कः स राशिर्निगद्यताम्।। (-लीलावती - 74)

O learned one, find the square number x² such that x² + 9x = 1240.

(5) बाले मरालकुलमुलदलानि सप्त,

तीरे विलासभरमन्थरगान्यपश्यम्।

कुर्वच्च केलिकलहं कलहंसयुग्मम्,

शेष जले वद मरालकुलप्रमाणम् ।।

(-लीलावती - 73)

(There was a folk of swans on a lakeside. Seven times half the square root of the

number of

swans were moving about near the lake. One amorous pair of swans was playing in

water.

How many swans were there?

द्विघात समीकरण Dwighat Samikaran Quadratic Education

http://www.manasganit.com/Post/details/5

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