A 42. सामान्य अंकगणित ( पूर्णाक संख्याएं व उनके गुण )

A 42. सामान्य अंकगणित ( पूर्णाक संख्याएं व उनके गुण ) 

लेखक
ॐ जितेन्द्र सिंह तोमर
M.A., B.Ed., DNYS, MASSCOM
20/1/15/11/2021

पूर्णांक संख्याएँ (Integers): धनात्मक, त्रणात्मक और जीरों से मिलकर बनी हुई संख्याएँ पूर्णांक संख्याएं होती हैं।

Examples:-  ...... , –4, –3, –2, –1, 0, 1, 2, 3, 4, .....  सभी पूर्णांक संख्याए है।

अतः हम कह सकते हैं कि पूर्ण संख्याओं व ऋणात्मक संख्याओं के सम्मिलित रूप से पूर्णांक या पूर्णांक संख्याएं कहते है।

ये तीन प्रकार की होती हैं।

(1) धनात्मक संख्याएँ (Positive Integers in hindi ):- एक से लेकर अनंत तक की सभी धनात्मक संख्याएँ धनात्मक पूर्णांक हैं।Ex: 1, 2, 3, 4, ..... या +1, +2, +3, +4, +5,………

* सबसे छोटी धन पूर्णांक संख्या 1 है।

* सबसे बड़ी धन पूर्णांक संख्या अनन्त है।


(2)  ऋणात्मक संख्याएँ (Nagative Integers): - 1 से लेकर अनंत तक कि सभी ऋणात्मक संख्याएँ ऋणात्मक पूर्णांक हैं। Ex:  .... , –4, –3, –2, –1

* सबसे बड़ी धन पूर्णांक संख्या 1 है।

* सबसे छोटी धन पूर्णांक संख्या अनन्त है।


(3)  उदासीन या शून्य पूर्णांक (Neutral Integers):- चिन्ह् रहित पूर्णांक शून्य है, इसीलिए शून्य अर्थात जीरो को उदासीन या शून्य पूर्णांक कहते हैं।  Ex: 0

Note:

* शून्य संख्या को शून्य पूर्णाक भी कहा जाता है।

*  Bracket Means Multiplication

* A Number without Sign is always Positive


ध्यान देने योग्य कुछ बातें

* समान चिन्ह (+, +) अथवा (–, –) तथा विपरीत चिन्ह (+, –) अथवा (–, +) को समझे।

* जोड़ और घटाव अर्थात एडिशन व सबट्रैक्शन करते वक्त ध्यान दें कि 

–> समान चिन्हों की संख्याएं जुड़ती है तथा विपरीत चिन्हों की संख्याएं घटती है और उत्तर बड़ी संख्या वाले चिन्हों के साथ लिखा जाता है।

Exercise 01

(1) Solve the following:

01. – 6 + 8 

02. – 3 – 8 

03. – 1 + 2 

04. – 17 – 13 

05. – 7 + 25 

06. – 66 + 34 

07. 962 – 362 

08. – 966 + 566 

09. – 16 + 8 

10 – 3 – 18 

11. – 1 + 2

12. – 27 + 13 

13. 54 – 34 

14. 262 – 362 

15. – 66 + 66 

16. 908 – 108

17. – 111 + 11 

18. 200 – 300 

19. 373 – 245 

20. – 373 + 145 

21. – 500 + 300 

22. 4 – 5 

23. 14 – 25 

24. 524 – 534


Exercise 02

(2) Solve the following:

01. – 6 + 8 – 5 

02. – 3 – 8 + 6 

03. – 1 + 2 – 7 

04. – 17 – 13 –13 

05. – 7 + 25 – 12 

06. – 66 + 34 – 54 

07. 1262 – 362 – 400 

08. – 966 + 566 + 300 

09. – 16 + 8 + 20 

10. – 3 – 18 + 21 

11. – 1 + 2 – 8 

12. – 27 + 13 + 14 

13. – 17 – 8 + 25 

14. – 100 + 66 + 44 

15. 54 – 34 – 20 

16. 262 – 362 + 100 

17. 200 – 966 + 566 

18. 500 – 908 + 108 

19. – 111 + 11 + 99 

20. 200 – 300 + 100


Exercise 03

(3) Solve the following:

01. – 6 + 8 – 5 – 5 

02. – 3 – 8 + 6 – 5 

03. – 17 – 13 –13 – 15 

04. – 7 + 25 – 12 – 5 

05. – 66 + 34 – 54 – 15 

06. 162 – 62 – 40 – 5 

07. – 96 + 56 + 30 – 15 

08. – 27 + 13 + 14 – 16 + 8 

09. – 100 + 66 + 44 – 8 – 25 

10. 54 – 34 – 20 – 16 + 8 

11. 262 – 362 + 100 – 16 + 8 

12. 200 – 966 + 566 – 8 – 25 

13. 500 – 908 + 108 – 16 + 8 

14. – 111 + 11 + 99 – 16 + 8 

15. 200 – 300 + 100 – 8 – 25



* गुणा और भाग अर्थात मल्टीप्लिकेशन व डिवाइड करते वक्त ध्यान दें कि 

–> समान चिन्हों की गुणा या भाग धनात्मक तथा विपरीत चिन्हों की गुणा या भाग ऋणात्मक होती है।

Multiplication  or       Devide

(+) × (+) = +      or     (+) ÷ (+) = +

(–) × (–) = +      or     (–) ÷ (–) = +

(–) × (+) = –      or     (–) ÷ (+) = –

(+) × (–) = –      or     (+) ÷ (–) = –


Exercise 01

(1) Solve the following:

01. – (– 15) 

02. – (+17) 

03. + (– 20) 

04. – (– 12) 

05. +(– 12) 

06. +(– 52) 

07. – (– 11) 

08. – (– 2) 

09. + (– 3) 

10. – (– 4) 


11. – (– 4) × (– 5) 

12. (– 8) × 0 

13. 37 × (– 37) 

14. (– 183) × (– 44) 

15. (– 183) × (– 56) 

16. 15625 × (– 2) 

17. (– 15625) × 98 

18. – 2 × (– 15) 

19. (– 17) × (– 20) 

20. (– 12) × (– 12) 


21. (– 12) × (– 1) 

22. (– 2) × (– 3) 

23. (– 4) × (– 5) 

24. (– 18) × 0

25. – (37) × (– 37) × (– 3) 

26. (– 3) × (– 4) × (– 3) 

27. (– 13) × (– 56) × (–7) 

28. – 25 × (– 2) × (– 10) 

29. (– 25) × – 98 × (– 10) 

30. (– 2) × – 98 × (– 10)


31. – (– 4) × (– 5) × (– 10) 

32. (– 8) × 0 × (– 10)  

33. 37 × (– 37) × (– 10) 

34. (– 183)×(– 44)× (– 10) 

35. (– 183)×(– 56) × (– 10) 

36. 15625 × (– 2) × (– 10) 

37. (– 15625) × 98× (– 10) 

38. – 2 × (– 15) × (– 10) 

39. (– 17)×(– 20) × (– 10) 

40. (– 12)×(– 12) × (– 10)



पूर्णांक संख्या के गुण-धर्म (Properties of Integers Number)

(A) पूर्णांकों के योग एवं व्यवकलन/घटाव के गुण :-

योग के अंतगर्त संवृत 

(किन्ही दो पूर्णांकों को जोड़ने पर प्राप्त परिणाम एक पूर्णांक ही प्राप्त होता है।)

a + b = c

जैसे की – 

2 + 3 = 5 , 7 + 6 = 13 , यहाँ पर 5 एंव 13 एक पूर्णांक संख्या है।

व्यवकलन / घटाव के अंतर्गत संवृत

(किन्ही दो पूर्णांकों को आपस में घटाया जाता है तो प्राप्त परिणाम भी एक पूर्णांक संख्या प्राप्त होगी।)

a + b = c

जैसे की – 

2 – 3 = –1 , 7 – 6 = 1 , यहाँ पर –1 एंव 1 एक पूर्णांक संख्या है।

क्रमविनिमेय गुण :-

(दो पूर्णांकों को किसी भी क्रम जोड़ने पर परिणाम समान रहता है।)

उदाहरण – 

a + b = b + a = m

2 + 3 = 5

3 + 2 = 5 

प्राप्त परिणाम एक समान है।

साहचर्य गुण

a + (b + c) = (a + b) + c

योज्य तत्समक (Additive Identity)

a + 0 = a = 0 + a

Additive identity: - When zero is added to any whole number then the result is the same whole number again. That is why the Zero is called an identity for addition of whole  numbers or additive identity for whole numbers. 

योज्य तत्समक:- जब शून्य को किसी प ूर्ण संख्या में जोड़ते हैं, तो परिणाम स्वयं वही पूर्ण संख्या होती है। इसी कारण, शून्य को पूर्ण संख्याओं के योग के लिए तत्समक अवयव (Additive Element) (या तत्समक) कहते हैं। शून्य को पूर्ण संख्याओं के लिए योज्य तत्समक (Additive identity) कहते हैं

a + 0 = a = 0 + a

Identity for Multiplication: - Zero is the identity for addition of whole numbers. The whole number 1 is the identity for multiplication of whole numbers. 

गुणन के लिए तत्समक:- शून्य को पूर्ण संख्याओं के योग के लिए तत्समक अवयव (Identity element) या (तत्समक) कहते हैं। पूर्ण संख्या 1 को पूर्ण संख्याओं के गुणन के लिए तत्समक कहते हैं।

(B) पूर्णांकों का गुणन सम्बंधित गुण-धर्म :-

(–1) × (–1) = 1 होता है।

Euler

गुणन के अंतर्गत संवृत :-

पूर्णांक गुणन के अंतगर्त संवृत होते है।
सभी पूर्णांकों a तथा b के लिए a × b एक पूर्णांक होता है ।

 गुणन की क्रमविनिमेयता 

पूर्णांक संख्याए गुणन के प्रति क्रमविनिमेयता दर्शाती है।
a × b = b × a

शून्य से गुणन 

पूर्णांक संख्या जब किसी को शून्य से गुणा किया जाता है, तो गुणनफल के रूप में शून्य प्राप्त होता है।
a × 0 = 0 × a = 0

गुणनात्मक तत्समक :-

पूर्ण संख्याओं के लिए 1 गुणनात्मक तत्समक (Multiplicative Identity) है ।
a × 1 = 1 × a = a

गुणन साहचर्य गुण :-

यह गुणन साहचर्य गुण का पालन करती है।
(a × b) × c = a × (b × c)

(a) जब एक धनात्मक पूर्णांक को एक ऋणात्मक पूर्णांक से भाग दिया जाता है या जब एक ऋणात्मक पूर्णांक को एक धनात्मक पूर्णांक से भाग दिया जाता है, तो प्राप्त भागफल एक ऋणात्मक होता है।

(b) एक ऋणात्मक पूर्णांक को दूसरे ऋणात्मक पूर्णांक से भाग देने पर प्राप्त भागफल एक धनात्मक होता है ।

(c) किसी भी पूर्णांक a के लिए, हम पाते हैं कि

(i) a ÷ 0 परिभाषित नहीं है ।

(ii) a ÷ 1 = a है।


Multiplicative Properties of Whole numbers 

01. Closer Property of Multiplication 

a × b = c

02. Commutative Law of Multiplication 

a × b = b × a

03. Multiplicative Additive Property of zero

a × 0 = 0

04. Multiplicative Additive Property of One 

a × 1 = a

05. Associative Law of Multiplication 

a ×(b × c) = (a × b) × c

06. Distributive Law of Multiplication over Addition. 

a (b + c) = a × b + a × c

07. Distributive Law of Multiplication over Subtraction. 

a (b – c) = a × b – a × c

08. Special 

m (a + b + c) = m × a + m × b + m × c



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