वैदिक गणित के उपसूत्र ६: "यावदूनम् तावदूनिकेन"

वैदिक गणित के छठे उपसूत्र का विस्तृत अध्ययन


🔶 उपसूत्र ६: "यावदूनम् तावदूनिकेन"

(संस्कृत: Yāvadūnam Tāvadūnikena)

अर्थ:

"जितना कम, उतने ही से"
यह उपसूत्र मुख्यतः गणना में घटाव, वर्ग, और गुणा के कुछ विशिष्ट प्रकारों को सरल बनाने के लिए प्रयोग होता है, विशेषतः जब कोई संख्या किसी निश्चित आधार (जैसे 10, 100, 1000 आदि) से थोड़ी कम हो।


🔹 उपयोग का क्षेत्र:

  • जब संख्याएँ 10, 100, 1000 आदि से कुछ कम हों।
  • विशेषकर तब, जब दो संख्याएँ एक ही आधार से कम हों।
  • छोटे और तीव्र वर्ग या गुणा हेतु।
  • अंकगणितीय त्रुटियों से बचने और मानसिक गणना में तेजी लाने के लिए।

🔸 सूत्र की व्याख्या:

मान लीजिए दो संख्याएँ हैं:

A = (base - a)
B = (base - b)

तो उनका गुणनफल इस सूत्र से होगा:

A × B = [(base - a - b)] × base + (a × b)

यहाँ:

  • a और b उस संख्या से कितनी कम हैं, जिसे हम आधार (Base) मानते हैं।
  • पहले भाग में घटा हुआ योग लिया जाता है और उसे आधार से गुणा किया जाता है।
  • दूसरे भाग में इन दोनों की कमी (a × b) को जोड़ दिया जाता है।

🔹 उदाहरण 1:

96 × 94 = ?

यहाँ आधार = 100

96 = 100 - 4
94 = 100 - 6

तो,

A = 96, a = 4
B = 94, b = 6

👉 पहले भाग: 96 - 6 = 90
👉 दूसरे भाग: 4 × 6 = 24

उत्तर = 90 × 100 + 24 = 9024


🔹 उदाहरण 2:

98 × 97 = ?

यहाँ भी आधार = 100

98 = 100 - 2
97 = 100 - 3

👉 पहले भाग: 98 - 3 = 95
👉 दूसरा भाग: 2 × 3 = 6
(लेकिन ध्यान दें: यह 100 का आधार है, इसलिए दो अंकों में लिखेंगे ⇒ 06)

उत्तर = 95 × 100 + 06 = 9506


🔹 उदाहरण 3:

89 × 87 = ?

आधार = 100

89 = 100 - 11
87 = 100 - 13

👉 89 - 13 = 76
👉 11 × 13 = 143

उत्तर = 76 × 100 + 143 = 76143


🔹 उदाहरण 4:

999 × 996 = ?

आधार = 1000

999 = 1000 - 1
996 = 1000 - 4

👉 999 - 4 = 995
👉 1 × 4 = 4 (तीन अंकों में = 004)

उत्तर = 995 × 1000 + 004 = 995004


🔸 सूत्र का मानसिक प्रयोग:

जब भी कोई संख्या आधार से थोड़ी कम हो, तो हम इस सूत्र का उपयोग कर उसे मानसिक रूप से आसानी से गुणा कर सकते हैं।

उदाहरण:
97 × 98 = ?

  • 97 = 100 - 3
  • 98 = 100 - 2
  • तो, 97 - 2 = 95
  • 3 × 2 = 6 ⇒ दो अंकों में = 06
    ⇒ उत्तर = 9506

🔸 इस उपसूत्र से वर्ग निकालना:

यदि कोई संख्या आधार से कुछ कम है, तो उसका वर्ग निकालने के लिए भी यही उपसूत्र प्रयोग होता है।

उदाहरण:

94² = ?

94 = 100 - 6

👉 94 - 6 = 88
👉 6² = 36

उत्तर = 8800 + 36 = 8836


🔶 सूत्र का उपयोग कैसे करें: चरण-दर-चरण

Step 1:

संख्याओं के लिए एक उपयुक्त "Base" पहचानें (जैसे 10, 100, 1000)।

Step 2:

दोनों संख्याएँ उस Base से कितनी कम हैं (a और b), यह निकालें।

Step 3:

पहले संख्या में दूसरी की कमी घटाएँ (या इसके विपरीत)।

Step 4:

कमी a और b को गुणा करें।

Step 5:

प्राप्त दोनों भागों को Base के अनुसार जोड़ें (पहले भाग × base + दूसरे भाग)।


🔶 अभ्यास प्रश्न (उत्तर बाद में दिए जा सकते हैं):

  1. 97 × 95 = ?
  2. 99 × 98 = ?
  3. 96 × 92 = ?
  4. 89 × 87 = ?
  5. 88 × 86 = ?
  6. 995 × 997 = ?
  7. 999 × 998 = ?
  8. 93² = ?
  9. 98 × 94 = ?
  10. 1001 × 996 = ? (यहाँ "यावदधिकम्" उपसूत्र अधिक उपयुक्त हो सकता है)

🔸 उपसंहार:

"यावदूनम् तावदूनिकेन" उपसूत्र वैदिक गणित की सुंदरता को दर्शाता है – जहाँ गिनती न केवल तेज़ होती है बल्कि सृजनात्मक और मानसिक रूप से प्रबल भी। यह उपसूत्र उन गणनाओं को भी आसान बना देता है जो सामान्यतः भारी लगती हैं।


यदि आप चाहें तो मैं इस उपसूत्र पर आधारित 100 अभ्यास प्रश्नों की एक पुस्तिका भी तैयार कर सकता हूँ — उदाहरण सहित।

क्या आप उसे चाहते हैं?

अवश्य। अब हम वैदिक गणित के छठे उपसूत्र “यावदूनम् तावदूनिकेन” का अत्यंत विस्तृत, सूक्ष्म, और व्यवस्थित अध्ययन करेंगे – जिसमें इसका शाब्दिक अर्थ, तात्त्विक विवेचन, गणनात्मक प्रयोग, मनोवैज्ञानिक पक्ष, वर्ग और गुणा में प्रयोग, उदाहरणों की विविधता, और अभ्यास प्रश्न भी सम्मिलित होंगे।


🔷 १. उपसूत्र: "यावदूनम् तावदूनिकेन"

संस्कृत व्याख्या:

  • यावद् ऊनम् = "जितना कम हो"
  • तावद् ऊनिकेन = "उतने ही से"

सरल अर्थ:

“किसी संख्या को जितना वह आधार से कम है, उतने ही से उसे गुणित करो।”


🔷 २. वैदिक दृष्टिकोण:

यह उपसूत्र किसी भी संख्या को एक निकटतम पूर्ण आधार (Base) से संदर्भित करके गणना को सरल बनाने की प्रक्रिया सिखाता है।

वैदिक गणित इस बात को मानता है कि पूर्ण संख्याओं (जैसे 10, 100, 1000) के साथ कार्य करना सरल होता है। इसलिए यदि कोई संख्या उनसे थोड़ी कम है, तो उसे उन “कमी” वाले अंशों से ही गुणित करके शेष कार्य कर लेना चाहिए।


🔷 ३. उपयुक्त आधार (Suitable Base) का चयन

उपयुक्त Base कब चुनें?

  • जब दोनों संख्याएँ एक ही Base (जैसे 100 या 1000) से थोड़ी कम हों।
  • Base का चयन संख्याओं के सबसे निकटतम 10 का गुणज (multiple of 10, 100, 1000 आदि) के रूप में किया जाता है।

उदाहरण:

  • यदि संख्याएँ हैं 96 और 98 → Base = 100
  • यदि संख्याएँ हैं 995 और 998 → Base = 1000

🔷 ४. सूत्र की गणनात्मक विधि (Step-by-Step)

मान लीजिए दो संख्याएँ हैं A और B, और Base = B
जहाँ

A = Base – a
B = Base – b

तो:

A × B = (Base – a – b) × Base + (a × b)

या एक वैकल्पिक रूप में:

A × B = (A – b) × Base + (a × b)

या

A × B = (B – a) × Base + (a × b)

ध्यान देने योग्य बातें:

  • गुणनफल को दो भागों में विभाजित किया जाता है:

    • Left part (Basis adjusted part)
    • Right part (Deficiency product)
  • Right Part में अंकों की संख्या Base के शून्यों जितनी होनी चाहिए:

    • Base = 100 → दो अंक
    • Base = 1000 → तीन अंक

🔷 ५. उदाहरणों के साथ विस्तार

🔸 उदाहरण 1:

96 × 94 = ?
Base = 100

96 = 100 - 4 → a = 4
94 = 100 - 6 → b = 6

अब,

Left Part = 96 – 6 = 90
Right Part = 4 × 6 = 24 (दो अंकों का होना चाहिए)

उत्तर = 90 × 100 + 24 = 9024


🔸 उदाहरण 2:

89 × 88 = ?
Base = 100

89 = 100 - 11
88 = 100 - 12

Left = 89 – 12 = 77
Right = 11 × 12 = 132 (3 अंकों में आ गया, जो Base = 100 के लिए अधिक है, तो इसे carry करें)

Right Part = 132 →
→ 100 में 32 और 1 carry →
→ Left Part = 77 + 1 = 78
→ Final = 78 | 32 = 7832


🔸 उदाहरण 3:

995 × 996 = ?
Base = 1000

995 = 1000 - 5
996 = 1000 - 4

Left Part = 995 - 4 = 991
Right Part = 5 × 4 = 20 (Base = 1000 ⇒ 3 digits ⇒ 020)

Final Answer = 991020


🔷 ६. इस उपसूत्र से वर्ग कैसे निकालें?

यदि कोई संख्या Base से कम है और हमें उसका वर्ग चाहिए:

यदि A = (Base – a), तो
A² = (Base – 2a) × Base + (a²)

उदाहरण:

93² = ?
→ 93 = 100 - 7
→ Left Part = 93 – 7 = 86
→ Right Part = 7² = 49
→ Final = 8600 + 49 = 8649


🔷 ७. मानसिक गणना हेतु संक्षिप्त प्रक्रिया:

Step क्रिया उदाहरण (98 × 96)
1 Base पहचानें (यहाँ 100) Base = 100
2 कमी ज्ञात करें (2 और 4) a = 2, b = 4
3 Left Part = 98 – 4 = 94
4 Right Part = 2 × 4 = 08
5 Final Answer = 9408

🔷 ८. सूत्र की व्यावहारिक उपयोगिता

  • तेजी से गणना करने के लिए विशेष रूप से उपयोगी है, जहाँ कैलकुलेटर की ज़रूरत नहीं पड़ती।
  • प्रतियोगी परीक्षाओं (CAT, SSC, UPSC, Bank Exams) में समय बचाने के लिए प्रभावी।
  • यह विद्यार्थियों में गणितीय आत्मविश्वास बढ़ाता है।
  • इससे एक ही साथ लॉजिक, पैटर्न समझ, और मानसिक गणना विकसित होती है।

🔷 ९. अभ्यास के लिए कुछ विशेष उदाहरण

प्रश्न Base कमी a, b Left Part Right Part Final उत्तर
97 × 96 100 3, 4 97 – 4 = 93 3×4 = 12 9312
995 × 998 1000 5, 2 995 – 2 = 993 5×2 = 010 993010
89 × 87 100 11, 13 89 – 13 = 76 11×13 = 143 76143
994 × 993 1000 6, 7 994 – 7 = 987 6×7 = 042 987042

🔷 १०. अगले चरण:

यदि आप चाहें तो मैं इस उपसूत्र पर आधारित:

  • 100 अभ्यास प्रश्नों की एक विस्तृत पुस्तिका
  • उत्तर सहित, वर्गीकृत स्तर: Beginner → Advanced
  • प्रत्येक पर हल की विधि

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